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भारत के राष्ट्रपति ने भारतीय सनदी लेखाकार संस्थान के प्लेटिनम जुबली समारोह का उद्घाटन किया; उन्होंने कहा कि वस्तु और सेवा कर से भारतीय समाज में कर अनुपालन बढ़ा है

राष्ट्रपति भवन : 01.07.2018

भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्‍द ने आज (1 जुलाई, 2018) नई दिल्ली में भारतीय सनदी लेखाकार संस्थान के प्लेटिनम जुबली समारोह का उद्घाटन किया।

इस अवसर पर, राष्ट्रपति ने कहा कि एक न्यायसंगत कर-निर्धारण प्रणाली का अनुपालन सरकार को राजस्व अदाकरने से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण है। यह उसी सामाजिक करार का भाग है, जिस पर हमारे संविधान में जोर दिया गया है। इस संविधान के अंतर्गत हमने स्वयं को कुछ अधिकार दिए हैं परंतु कुछ दायित्व भी दिए हैं। हम सार्वजनिक वस्तुएं और सेवाएं, स्वास्थ्य और शिक्षा सुविधाएं, बेहतर ढांचागत सुविधाएं, कानून और व्यवस्था तथासीमाओं की सुरक्षा के रूप में सामाजिक लाभ प्राप्त करने के लिए करों का भुगतान करते हैं। यह महत्वपूर्ण है कि यथा-संभव अधिकतम संख्या में नागरिकों द्वारा इस दायित्व का निर्वहन किया जाए, चाहे वे करों का भुगतान प्रत्यक्ष रूप से करते हों या अप्रत्यक्ष रूप में। अपने साझा समाज और राष्ट्र जिनके हम एक अंग हैं, के प्रति योगदान करने का पावन कर्तव्‍य हम में से हर एक का है।

राष्ट्रपति ने कहा कि ऐसी संस्कृति को आगे बढ़ाने में सनदी लेखाकारों की प्रमुख भूमिका है। वे करदाताओं और कर-निर्धारण प्रणाली सुगम बनाने में सहायक होते हैं और सार्वजनिक विश्वास के प्रहरी हैं। बहुत से मायनों में, कर प्रणाली उतनी ही जटिल होती जाती है जितनी वे उसे बनाना चाहते हैं। पेशेवरों के रूप में कर नियोजन के बारे में अपने ग्राहकों को सलाह देने का उनको समुचित अधिकार है। यद्यपि चतुर कर नियोजन और कर विलम्‍बन और कर अपवंचन के बीच ज्‍यादा अंतर नहीं होता। सनदी लेखाकारों की जिम्‍मेदारी है कि इस बारीक़ अन्‍तर को मिटने न दें।

राष्ट्रपति ने कहा कि ऐसे औचित्‍य को बनाए रखना न केवल सभी करदाताओं और सभी कर-निर्धारण और वित्तीय पेशेवरों का कानूनी कर्तव्य है बल्कि इस कर्तव्‍य के साथ नैतिकता भी जुड़ी हुई है। जब बैंकिंग घोटाले होते हैं, जब बड़े कर्जदार भाग जाते हैं और अपने-अपने बैंकों को अधर में छोड़ जाते हैं या जैसा कि कुछ वर्ष पहले ‘सत्यम’ के मामले हुआ था, जब प्रोमोटरों ने स्‍वयं निधियों का गबन किया था, तो यह स्थिति विश्‍वास भंग की बन जाती है। यह न केवल कॉरपोरेट नैतिकता के प्रति बल्कि ईमानदार नागरिकों और हमारे सामूहिक जीवन मूल्‍यों के प्रति छल के बराबर है। सफेदपोश अपराध अपने पीछे सबूत छोड़ कर नहीं जाते, वे अपने पीछे टूटे हुए दिल और टूटा हुआ भरोसा छोड़ जाते हैं। जब ऐसी घटनाएं होती हैं तो इन पर आत्‍म-मंथन करने की जरूरत होती है। यह पूछना प्रासंगिक हो जाता है कि क्या बैलेंस शीट के लेखांकन के लिए जिम्मेदार लोगों ने अपना कर्तव्य सही तरह से निभाया है या इस खेदपूर्ण परिस्थिति के लिए उनकी भी कोई जिम्‍मेदारी है या नहीं।

यह ध्यान दिलाते हुए कि आज वस्तु और सेवा कर लागू किए जाने की प्रथम वर्षगांठ है, राष्ट्रपति ने कहा कि वस्तु और सेवा कर ने अनेक लक्ष्यों को हासिल करने में हमारी मदद की है। इसने देशभर में पंजीकरण, सीमा शुल्क भुगतान, रिटर्न फाइल करने और कर के रिफंड के लिए एक साझा मंच तैयार करके कारोबार में आसानी को बढ़ाया है। वस्तु और सेवा कर ने प्रौद्योगिकी पर निर्भरता को भी बढ़ाया है तथा मुंहदेखे व्‍यवहार की संभावना घटाई है।

राष्ट्रपति ने वस्तु और सेवा कर के सफल कार्यान्वयन के लिए सभी नागरिकों और प्रत्येक हितधारक को बधाई दी। उन्होंने कहा कि वस्तु और सेवा कर की शुरुआत पिछले कुछ वर्षों के दौरान अर्थव्यवस्था को औपचारिक रूप देने, विधि के शासन को लागू करने, वित्तीय और कारोबारी लेन-देन में पारदर्शिता को बढ़ाने तथा भारत को बेहतर कर-अनुपालक समाज बनाने के अनवरत प्रयास का हिस्सा रही है।

राष्ट्रपति ने भारतीय सनदी लेखाकार संस्थान से युवाओं और विशेषकर महिलाओं में वित्तीय साक्षरता बढ़ाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि महिलाओं की शिक्षा किसी भी देश और किसी भी सभ्यता के लिए एक परिवर्तनकारी माध्यम है। महिलाओं के बीच अधिक से अधिक वित्तीय साक्षरता से यह प्रक्रिया आगे बढ़ती है। इससे हमें अधिक समृद्ध और अधिक समतामूलक समाज बनाने में मदद मिलेगी।

यह विज्ञप्ति 1250 बजे जारी की गई।