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भारत के राष्ट्रपति ने वर्ष 2013 से 2017 तक के ‘उत्कृष्ट सांसद सम्‍मान’ प्रदान किए; उन्होंने कहा कि भारत के लोगों की आशाओं पर खरा उतरना ही हमारी संसदीय प्रणाली की सफलता की कसौटी है

राष्ट्रपति भवन : 01.08.2018

भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्‍द ने आज (1 अगस्त, 2018) नई दिल्ली में वर्ष 2013 से 2017 के ‘उत्कृष्ट सांसद सम्‍मान’ प्रदान किए।

इस अवसर पर, राष्ट्रपति ने ‘उत्कृष्ट सांसद सम्‍मान’ से सम्‍मानित श्रीमती नजमा हेपतुल्ला, श्री हुकुमदेव नारायण यादव, श्री गुलाम नबी आज़ाद, श्री दिनेश त्रिवेदी और श्री भर्तृहरि महताब को बधाई दी।उन्होंने कहा कि सांसदों के रूप में उनमें से प्रत्येक ने सदन की कार्यवाही को समृद्ध बनाया है। उन्‍होंने यह कार्यसंसदीय गरिमा को अक्षुण्ण रखते हुए, अपने ज्ञान और विवेक के द्वारा किया है। उन्‍होंने अपने आचरण से अन्य सांसदों के लिए अनुकरणीय आदर्श प्रस्तुत किए हैं।

राष्‍ट्रपति ने कहा कि भारतीय लोकतन्त्र की आत्मा हमारी संसद में बसती है। सांसद, केवल किसी एक दल या संसदीय क्षेत्र के प्रतिनिधि नहीं होते हैं, वे हमारे संवैधानिक आदर्शों के संवाहक होते हैं। सभी सांसद करोड़ों देशवासियों की आशाओं और आकांक्षाओं के प्रति उत्तरदायी हैं। यह एक बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी है।

राष्‍ट्रपति ने कहा कि देश की जनता, विशेषकर गरीब वंचित जनता, अपने प्रतिनिधियों की ओर बहुत उम्मीद से देखती है। गरीब और वंचित लोग यह आस लगाए रखते हैं कि उनके सांसद,उनके तथा उनके बच्चों के जीवन को बेहतर बनाने का हर संभव प्रयास करेंगे। और इसी कारण,सामान्य जनता यह देखना चाहती है किउसके प्रतिनिधि,सदैव उसके कल्याण के कामों में लगे रहें। जनता यह भी अपेक्षा करती है कि संसद में उनकी कठिनाइयों पर और उन कठिनाइयों के समाधान पर चर्चा हो। उनकी आशाओं पर खरा उतरना ही हमारी संसदीय व्यवस्था की सफलता की कसौटी है और इसी कसौटी पर खरा उतरना ही संसदीय लोकतन्त्र की सफलता मानी जानी चाहिए।

यह विज्ञप्ति 2005 बजे जारी की गई।