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केन्द्रीय इंजीनियरी सेवा (सड़क) और केन्द्रीय लोक निर्माण विभाग के अधिकारी प्रशिक्षार्थियों ने राष्ट्रपति से भेंट की

राष्ट्रपति भवन : 02.04.2018

केन्द्रीय इंजीनियरी सेवा (सड़क) और केन्द्रीय लोक निर्माण विभाग के अधिकारी प्रशिक्षार्थियों के अलग-अलग समूहों ने एक साथ आज (02 अप्रैल, 2018) राष्ट्रपति भवन में भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द से भेंट की।

अधिकारी प्रशिक्षार्थियों को संबोधित करते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि उनकी सेवाएं उन्हें राष्ट्र सेवा के लिए एक विशाल मंच उपलब्ध करवाती हैं। वे सभी वास्तव में देश के विकास और प्रगति की रूप-रेखा तैयार करेंगे। इंजीनियरी सेवा परीक्षा में उनकी सफलता पर खुशी मनाने का एक प्रमुख कारण यह अवसर ही, होना चाहिए।

राष्ट्रपति ने कहा कि हमारी अवसंरचना परियोजनाओं के भावी अगुआओं के रूप में, अधिकारी प्रशिक्षार्थियों को इंजीनियरी कार्य सामाजिक चेतना के साथ करना चाहिए। उदाहरण के लिए, उन्हें सुनिश्चित करना चाहिए कि वे जो भी कार्यालय, आवास या सड़क या सार्वजनिक अवसंरचना सुविधा का निर्माण करें, वे हमारे दिव्यांग नागरिकों के लिए सुगम्य हों। भले ही, इस बारे में औपचारिक नियम मौजूद हों परंतु जमीनी स्तर पर परियोजनाओं को सुगम्यता सुनिश्चित करने के और अधिक प्रयास करने चाहिए। इस पहलू को किसी अवसंरचना परियोजना में अतिरिक्त सुविधा के रूप में नहीं बल्कि नियोजन व कार्यान्वयन के अभिन्न हिस्से के रूप में शामिल होना चाहिए।

राष्ट्रपति ने कहा कि युवा इंजीनियर होने के नाते, उन्हें जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों और ऊर्जा दक्षता के लाभों की पूरी जानकारी है। आप सभी को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि जो इमारतें, सड़कें और अन्य आधारभूत अवसंरचनाएं आप बनाएं, वे ऊर्जा दक्ष और पर्यावरण अनुकूल होनी चाहिए। उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हुई कि केन्द्रीय लोक निर्माण विभाग ने शून्य ऊर्जा खपत वाले विशुद्ध हरित भवनों के निर्माण की दिशा में शुरुआती कदम उठाए हैं। उसे यह सुनिश्चित करने का कठोर प्रयास करना चाहिए कि हरित भवन एक परिपाटी बन जाएं। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय भी परियोजनाओं को अमल में लाते समय पर्यावरणीय पहलुओं को और अधिक महत्व देता रहेगा।

राष्ट्रपति ने कहा कि अधिकारी प्रशिक्षार्थी ऐसे संस्थानों में शामिल हुए हैं जिन्होंने उन्हें राष्ट्र की सेवा करने और प्रतिदिन करोड़ों नागरिकों के जीवन को स्पर्श करने का अनूठा अवसर प्रदान किया है। यदि उन्हें कभी संदेह हो कि वे राष्ट्र व समाज के लिए क्या कर सकते हैं तो उन्हें श्री एम. विश्वेश्वरैया और श्री ई. श्रीधरन जैसे महान तकनीकीविदों का ध्यान करना चाहिए। अधिकारी प्रशिक्षार्थियों को उनकी तरह नवाचार की भावना पुष्ट करनी चाहिए तथा चुनौतियों के बीच समाधानकर्ता के रूप में उभर कर सामने आना चाहिए।

यह विज्ञप्ति 1435 बजे जारी की गई।