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भारत के राष्ट्रपति ने कुलाध्यक्ष पुरस्कार 2018 प्रदान किए; उन्होंने अनुसंधान और नवाचार प्रोत्साहन के मुद्दे पर केन्‍द्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की बैठक को संबोधित किया

राष्ट्रपति भवन : 02.05.2018

भारत के राष्ट्रपति, श्री रामनाथ कोविन्द ने आज (2 अप्रैल, 2018) राष्ट्रपति भवन में केन्‍द्रीय विश्वविद्यालयों, जिनके वे कुलाध्‍यक्ष हैं, के कुलपतियों की एक दिवसीय बैठक की मेज़बानी की। बैठक के उद्घाटन सत्र के दौरान, उन्होंने मौलिक और अनुप्रयुक्त विज्ञान तथा मानवि की, कला और सामाजिक विज्ञान के क्षेत्र में अनुसंधान के लिए कुलाध्यक्ष पुरस्कार प्रदान किए।

पुरस्कार वितरण समारोह में बोलते हुए,राष्ट्रपति ने कुलाध्यक्ष पुरस्कार, 2018के विजेताओं को बधाई दी।ये पुरस्कार प्रोफेसर संजय के.जैन को कैंसर के इलाज को और अधिक प्रभावी और सुलभ बनाने की क्षमता वाली औषधि संदाय प्रणाली के विकास संबंधी उनके कार्य के लिए; प्रो. आशीष कुमार मुखर्जी को सर्प विष की आणविक संरचना पर उनके शोध के लिए; प्रोफेसर अश्वनी पारीक को कृषि पैदावार और किसानों की आय बढ़ाने की क्षमता वाली चावल की किस्म के विकास पर कार्य के लिए तथा प्रो.प्रमोद के. नायर को मानवि की, कला और सामाजिक विज्ञान के क्षेत्र में उनके कार्य के लिए प्रदान किए गए।

राष्ट्रपति ने कहा कि अनुसंधान और नवाचार ही नवीन ज्ञान की आधार-भूमि हैं और ज्ञान में ही वह कुंजी छिपी है जो हमारे विश्व, राष्ट्र और समाज के समक्ष चुनौतियों के समाधान ढूंढने की शक्ति रखती है। कभी-कभी इस बारे में अनभिज्ञता होती है कि अनुसंधान एक श्रमसाध्य कार्य है और अनुसंधानकर्ता को हमेशा मुश्किल हालात में कार्य करना पड़ता है। अनुसंधान के लिए अनुसंधानकर्ता के निरंतर संकल्प और पूरी संस्थागत मदद की जरूरत होती है। अनुसंधान 9 से 5 बजे तक की नौकरी वाला कार्य नहीं है और इसलिए अनुसंधान संस्कृति को सहयोग और प्रोत्साहन दिए जाने के प्रति हमारा दृष्टिकोण दिखावे से मुक्‍त होना चाहिए।

राष्ट्रपति ने कहा कि अनुसंधान और नवाचार हमारे देश के लोगों को गरीबी से बाहर निकालने, उनका स्‍वास्‍थ्‍य व सेहत सुनिश्चित करने तथा खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने में अहम भूमिका निभा सकते हैं। अनुसंधानकर्ता और नवान्‍वेषक हमारी रोजमर्रा की समस्याओं को हल करने में मदद कर सकते हैं। विश्वविद्यालय भी जनसाधारण द्वारा किए जाने वाले नवाचार की मदद के लिए व्यवस्था तैयार कर सकते हैं और ऐसे जमीनी स्तर के नवान्वेषकों की मदद अपने कार्य को और अधिक परिष्कृत करने में कर सकते हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि विश्वविद्यालयों को अपने शैक्षिक कार्यक्रमों में समुदाय-उन्मुख पहलों को शामिल करना चाहिए और अपने परिसरों के आसपास के समुदायों के साथ जुड़ना चाहिए। जो विश्वविद्यालय पिछड़े हुए क्षेत्रों में स्थित हैं उन पर अपने आसपास के समुदायों के साथ कार्य करने की एक विशेष जिम्मेदारी है। ऐसी सामुदायिक पहलों से उनके विद्यार्थियों की सोच का दायरा विस्‍तृत होगा वे भावी जीवन के लिए स्वयं को भलीभांति तैयार कर सकेंगे।

दिन में केन्‍द्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों ने केन्‍दीय विश्वविद्यालयों में अनुसंधान और नवाचार के प्रोत्साहन से संबंधित मुद्दों पर प्रस्तुतियां दीं।

बाद में, बैठक के समापन सत्र को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि विश्वविद्यालयों को हमारे राष्ट्र के सम्मुख उपस्थित विशिष्ट चुनौतियों के समाधान में अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए। इनमें से अनेक चुनौतियों के लिए रचनात्मक और नवान्‍वेषी समाधानों की आवश्यकता है। उनका परम कर्तव्य है कि उनके परिसर ऐसे स्थानों के रूप में उभरें जहां उन्मुक्त अभिव्यक्ति और विचारों को प्रोत्साहन दिया जाता हो, जहां प्रयोग धर्मिता को बढ़ावा दिया जाता हो और असफलता को उपहास के नहीं बल्कि सीख लेने के अवसर के तौर पर देखा जाता हो। इसके अतिरिक्त, विश्वविद्यालयों को हमारे लोगों, हमारे राष्ट्र, शहरों, कस्‍बों और गांवों की समस्याओं से विद्यार्थियों को अवगत कराने का माध्यम बनना चाहिए। रचनात्मक व नवान्‍वेषी चिंतन को प्रेरित करने के साथ-साथ ऐसे अनुभव के माध्‍यम से विश्वविद्यालय अपने विद्यार्थियों को राष्ट्रीय विकास में योगदान करने वाली अनुसंधान और नवाचार परियोजनाओं को अपनाने के लिए तैयार कर सकते हैं।

एक दिवसीय बैठक में भाग लेने वालों में केन्‍द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री, श्री प्रकाश जावड़ेकर; मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री, डॉ सत्यपाल सिंह; प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार, प्रोफेसर के विजय राघवन; अध्यक्ष, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, प्रोफेसर डी. पी. सिंह; 41 केन्‍द्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के अलावा मानव संसाधन विकास मंत्रालय, विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के प्रतिनिधि शामिल थे।

यह विज्ञप्ति 1515 बजे जारी की गई