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भारत के राष्ट्रपति ने 21वें विश्व मानसिक स्वास्थ्य सम्मेलन का उद्घाटन किया और इस रोग से लड़ने का आग्रह किया

राष्ट्रपति भवन : 02.11.2017

भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द ने आज (02 नवम्बर, 2017) नई दिल्ली में केयरिंग फाउंडेशन और अन्य संस्थाओं की साझीदारी से विश्व मानसिक स्वास्थ्य परिसंघ द्वारा आयोजित किए जा रहे 21वें विश्व मानसिक स्वास्थ्य सम्मेलन का उद्घाटन किया।

इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि विश्व मानसिक स्वास्थ्य सम्मेलन पहली बार भारत में हो रहा है। यह उचित समय पर यहां आयोजित हुआ है। हमारे देश में मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दे गंभीर रूप धारण करते जा रहे हैं। हमारे राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण, 2016 में यह पाया गया है कि भारत की लगभग 14 प्रतिशत आबादी को सक्रिय मानसिक स्वास्थ्य उपायों की जरूरत है।

राष्ट्रपति ने उल्लेख किया कि महानगरों में रहने वाले लोग और जो युवा हैं, चाहे वे वयस्क हो या बच्चें और किशोर हों, मानसिक रोगों के प्रति सबसे संवेदनशील हैं। भारत में हमारी 65 प्रतिशत जनसंख्या 35 वर्ष की आयु से नीचे है और हमारा समाज तेजी से शहरीकृत हो रहा है। इससे मानसिक स्वास्थ्य महामारी की आशंका है।

राष्ट्रपति ने कहा कि मानसिक रोगियों के सामने सबसे बड़ी बाधा सामाजिक अपमान और अनदेखी की है। इस मुद्दे की ओर ध्यान नहीं दिया जाता और न ही इस पर बातचीत की जाती है। हमें मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों पर बातचीत करनी चाहिए और अवसाद तथा तनाव जैसी उपचार योग्य बिमारियों का इस तरह इलाज करना चाहिए कि ये अनदेखी न रहे और न ही इनसे किसी प्रकार का अपराधबोध हो।

मानसिक स्वास्थ्य चुनौतियों से निपटने में एक सबसे बड़ी कमी मानव संसाधनों की है। भारत 1.25 अरब लोगों का देश है परंतु यहां दस लाख से भी कम कम यानि केवल 7 लाख डॉक्टर हैं। मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में यह कमी बहुत ज्यादा है। हमारे देश में लगभग 5,000 मनोचिकित्सक हैं और 2000 से कम चिकित्सीय मनोवैज्ञानिक हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि भारत का राष्ट्रीय स्वास्थ्य मानसिक कार्यक्रम, मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में 22 उत्कृष्ट केंद्रों का निर्माण कर रहा है। इसके समानांतर, जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम में पहले ही भारत के तकरीबन 650 जिलों में से 517 शामिल कर लिए गए हैं। इससे हमारे समाज के निचले स्तर तक मानसिक स्वास्थ्य के बारे में जागरूता फैल रही है।

राष्ट्रपति ने खुशी व्यक्त की कि विश्व सम्मेलन में योग, ध्यान तथा मानसिक स्वास्थ्य के प्रति पारंपरिक दृष्टिकोणों पर सत्र आयोजित किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि योग का उदाहरण बहुत ही शिक्षाप्रद है। जब लोग योग के बारे में बात करते हैं तो वे इसके मनोवैज्ञानिक लाभों का भी जिक्र करते हैं। तथापि योग के मानसिक, मनोवैज्ञानिक और ज्ञानात्मक लाभ भी हमारे अध्ययन के लिए उतने ही जरूरी हैं। उन्होंने चिंता और अवसाद का मुकाबला करने तथा मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं की शुरुआत को रोकने में योग की भूमिका पर आयोजित विशेष सत्र की परिचर्चाओं पर प्रतिक्रिया की उम्मीद की।

यह विज्ञप्ति 1240 बजे जारी की गई