Back

भारत के राष्ट्रपति ‘पांचवें अंतर्राष्ट्रीय आंबेडकर सम्मेलन’ के उद्घाटन समारोह में शामिल हुए

राष्ट्रपति भवन : 02.12.2021

भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द ने आज (2 दिसंबर, 2021) नई दिल्ली में ‘अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति विधायक/सांसद मंच’ और ‘डॉ. आंबेडकर चैंबर ऑफ कॉमर्स’ द्वारा आयोजित किए जा रहे ‘पांचवें अंतर्राष्ट्रीय आंबेडकर सम्मेलन’ का उद्घाटन किया।

इस अवसर पर अपना वक्तव्य देते हुए, राष्ट्रपति ने इस सम्मेलन के आयोजन के लिए ‘अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति विधायक/सांसद मंच’ की सराहना की। उन्होंने कहा कि इस मंच द्वारा सामाजिक और आर्थिक न्याय के मुद्दों पर निरंतर प्रकाश डालने का कार्य किया जाता रहा है और डॉ. आंबेडकर के आदर्शों और लक्ष्यों को प्रसारित करने में यह मंच महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उन्हें यह जानकर भी प्रसन्नता हुई कि इस सम्मेलन में चर्चा हेतु संवैधानिक अधिकारों के मुद्दे के साथ-साथ शिक्षा, उद्यमिता, नवाचार और आर्थिक विकास को प्रमुखता दी गई है।

राष्ट्रपति ने कहा कि बाबा साहब, समाज की नैतिक अंतरात्मा को जगाने के पक्षधर थे। वे कहते थे कि अधिकारों की रक्षा केवल क़ानूनों से नहीं हो सकती, अपितु समाज में नैतिक और सामाजिक चेतना का होना भी अनिवार्य है। उन्होंने सदैव अहिंसात्मक तथा संवैधानिक माध्यमों पर बल दिया।

राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे संविधान में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जन-जातियों के हितों की रक्षा के लिए अनेक प्रावधान हैं। संविधान के अनुच्छेद-46 में यह निर्देश दिया गया है कि राज्य को, अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जन-जातियों की शिक्षा और आर्थिक हितों का विकास विशेष सावधानी के साथ करना है। साथ ही, इस अनुच्छेद में राज्य को यह भी निर्देश दिया गया है कि सामाजिक अन्याय तथा सभी प्रकार के शोषण से उनका संरक्षण किया जाएगा। इन दिशा-निर्देश को कार्यरूप देने के लिए अनेक संस्थान बनाए गए हैं और प्रक्रियाएं लागू की गई हैं। काफी सुधार भी हुए हैं। लेकिन, हमारे देश और समाज द्वारा अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है।

राष्ट्रपति ने कहा कि वंचित वर्गों के बहुत से लोग अपने अधिकारों तथा उनके हित में चल रहे सरकार के अनेक कार्यक्रमों के बारे में नहीं जानते हैं। इसलिए, इस फोरम के सदस्यों की यह जिम्मेदारी है कि उन्हें उनके अधिकारों और सरकार की पहल के बारे में जागरूक करें। उन्होंने कहा कि आप सबकी यह भी ज़िम्मेदारी है कि अनुसूचित जातियों व जन-जातियों के जो लोग विकास की इस यात्रा में आपसे पीछे रह गए हैं उन्हें भी आप आगे बढ़ाएं। ऐसा करके ही आप डॉ. आंबेडकर के प्रति सच्ची श्रद्धा व्यक्त कर सकेंगे।