भारत के राष्ट्रपति ने 65वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार प्रदान किए; उन्होंने कहा कि हमारी फिल्में हमारे सबसे प्रमुख सांस्कृतिक निर्यातों में से हैं और वैश्विक भारतीय समुदाय को जोड़ने का प्रमुख माध्यम हैं
राष्ट्रपति भवन : 03.05.2018
भारत के राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविन्द ने आज (3 मई, 2018) दिल्ली में 65वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार प्रदान किए।
इस अवसर पर, राष्ट्रपति ने कहा कि हमारी फिल्में भारत की सबसे बड़ी ताक़कन विविधता का प्रतिनिधित्व भी करती हैं और उसमें योगदान भी देती हैं। हमारी फिल्मों के कथानक हमारी सभ्यता और हमारे साझे समाज के आदर्शों के प्रति निष्ठावान रहने की प्रेरणा देते हैं। वे हमें सीख देती हैं और हमारा मनोरंजन करती हैं। वे उन सामाजिक चुनौतियों को हमारे सामने पुन: पुन: प्रस्तुत करती हैं जिन पर हमें अभी विजय प्राप्त करनी है। और यह कार्य वह ऐसी भाषा में करती हैं जो सार्वभौमिक है।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत में भोजपुरी से लेकर तमिल, मराठी से लेकर मलयालम आदि अनेक भाषाओं में फिल्में बनाई जाती हैं। तथापि सिनेमा अपने आप में एक भाषा है। हिंदी सिनेमा ने संभवत: पूरे देश में एक भाषा के तौर पर हिंदी को लोकप्रिय बनाने में किसी भी अन्य संस्थान से संभवत: ज्यादा कार्य किया है। सत्यजीत रे या ऋत्विक घटक के मानवतावाद और उसकी बारीकियों की सराहना करने के लिए बांग्लाभाषी होना जरूरी नहीं है। हमें बाहुबली महाकाव्य के प्रति मंत्र-मुग्ध होने के लिए तेलुगु जानने की जरूरत नहीं है। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि ए. आर. रहमान जिन्होंने एक बार फिर राष्ट्रीय पुरस्कार जीता है ने बहुत पहले ही उन लोगों पर एक छाप छोड़ी थी जो गीतों के तमिल शब्दों को समझ नहीं पाते हैं परंतु उसके बावजूद उनके संगीत से सम्मोहित हो जाते थे।
राष्ट्रपति ने कहा कि सिनेमा संस्कृति है और सिनेमा वाणिज्य भी है। भारतीय फिल्म उद्योग एक वर्ष में लगभग 1500 फिल्में बनाता है और इस प्रकार विश्व के विशालतम उद्योगों में शामिल है। यह भारतीय सौम्य शक्ति का परिचायक है और इसकी मौजूदगी अंतरमहाद्वीपीय स्तर पर है। हमारी फिल्में जापान और मिस्र, चीन और अमेरिका, रूस और ऑस्ट्रेलिया और बहुत से सुदूर देशों में देखी जाती हैं और सराही जाती हैं। फिल्में हमारे प्रमुखतम सांस्कृतिक निर्यातों में से एक हैं और वैश्विक भारतीय समुदाय को अपनी मातृभूमि की घटनाओं से जुड़ने का एक महत्वपूर्ण माध्यम भी हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि हम सिनेमा केऔर व्यापकतर मनोरंजन अर्थव्यवस्था के रोमांचक और परिवर्तनकारी युग में रह रहे हैं। प्रौद्योगिकी ने फिल्मों की निर्माण प्रक्रिया को और उन्हें देखने के तरीकों को बदल दिया है। किफायती डेटा और स्मार्ट फोनों तथा टैबलेट के आगमन से फिल्म-अवलोकन के स्व-रूपों में स्पष्ट परिवर्तन आया है। भारतीय फिल्म उद्योग इन बदलावों के अनुकूल खुद को ढाल रहा है और कि उन्हें विश्वास है कि फिल्म उद्योग चुनौतियों को अवसरों में बदलने की युक्तियां गढ़ता रहेगा। फिल्म निर्माताओं को यह जानना चाहिए कि बाजार से जुड़े फिल्म निर्माण के अर्थतंत्र और वितरण लगातार व्यवहार्य होते जाएंगे। आशा है कि इससे वे गुणवत्ता के प्रति अपनी सोच को उच्चतर स्तर पर लाने के लिए प्रोत्साहित होंगे।
यह विज्ञप्ति 1920 बजे जारी की गई