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राष्ट्रपति ने कहा कि भारतीय वन सेवा के अधिकारी पर्यावरण और पारिस्थितिक संरक्षण के एक महत्वपूर्ण क्षेत्र में देश के एक सैनिक हैं।

राष्ट्रपति भवन : 03.08.2017

इन्दिरा गांधी वन अकादमी, देहरादून के भारतीय वन सेवा के (2016 बैच) के89 परिवीक्षाधीनों के एक समूह ने दिनांक (03.08.2017)को भारत के राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविन्द से राष्ट्रपति भवन में मुलाकात की।

वन सेवा अधिकारियों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि उन्होंने एक श्रेष्ठ कार्यक्षेत्र का चुनाव किया है। भारतीय परंपरा और संस्कृति में वनों का विशेष स्थान रहा है। हमारी सभ्यता ने वनों से अपनी बौद्धिक और आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त की है। इसलिए वन केवल संसाधन नहीं है बल्कि उनमे ंदेश ही सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और बौद्धिक विरासत भी समाविष्ट है। इस विरासत की रक्षा करने का दायित्व अब आप पर है। आपके ऊपर पर्यावरणीय सुरक्षा सुनिश्चित करने,देश के सतत विकास की आवश्यकताओं में सहायता पहुंचाने की जिम्मेदारी है।

पिछले कुछ दशकों के दौरान, पर्यावरणीय ह्यास,वन क्षेत्र के सिकुड़ने और इन सबसे बढ़कर,वैश्विक तापमान के कारण जलवायु परिवर्तन से मानव अस्तित्व को होने वाले खतरे के प्रति दुनिया जागरूक हुई है। जैसा कि आप जानते हैं कि भारत जटिल जलवायु परिवर्तन मामलों के निपटान में एक विश्व अगणी के रूप में उभर कर आया है। हमारी राष्ट्रीय वन नीति में परिकल्पना की गयी है कि भू-भाग का33 प्रतिशत वन क्षेत्र होना चाहिए। आपको प्राकृतिक वनों को समृद्ध करने के उपाय ढूंढ़ने होंगे और गैर वन क्षेत्र को वृक्ष क्षेत्र में लाने में सुविधा पहुंचानी होगी। आप जन सेवा के कार्य में शामिल हुए हैं और पर्यावरण तथा पारितंत्र की रक्षा के महत्वपूर्ण क्षेत्र में राष्ट्र के सेनानी हैं। अपना कर्त्तव्य निष्पक्ष होकर,बिना भय और ईमानदारी के साथ इस प्रकार निभाएं कि आपके कार्यों से राष्ट्र और आम नागरिकों को पूर्ण रूप से फायदा मिले। भारत विश्व में सबसे तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्थओं में से एक है। और हमने अपने लिए कड़े लक्ष्य निर्धारित किए हैं। आपको संरक्षण संबंधी जरूरतों और विकास की आवश्यकताओं के बीच संतुलन बनाना है। आपका काम समस्या उत्पन्न करना नहीं बल्कि समाधन प्रदान करना है।

यह विज्ञप्ति 1230 बजे जारी की गई