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भारत के राष्ट्रपति तमिलनाडु में; उन्होंने क्रिस्चियन मेडिकल कॉलेज वेल्लूर के शताब्दी समारोह का उद्घाटन किया; उन्होंने कहा कि हमारे देश में स्वास्थ्य-चर्या पेशेवरों की कमी को तुरंत दूर करने की जरूरत है

राष्ट्रपति भवन : 04.05.2018

भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द ने आज (04 मई, 2018) क्रिस्चियन मेडिकल कॉलेज के शताब्दी समारोह का उद्घाटन किया।

इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि जन-स्वास्थ्य एक वैश्विक जन सुविधा और मौलिक मानव अधिकार है। एक देश के रूप में हमारे द्वारा की गई प्रगति के बावजूद, स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने के मामले में क्षेत्रीय, ग्रामीण-शहरी और स्त्री-पुरुष व सामुदायिक असंतुलन बने हुए हैं। इन पर पूरी तरह ध्यान दिए बिना हम चैन से नहीं बैठ सकते।

राष्ट्रपति ने कहा कि समाजों के विकसित होने, अर्थव्यवस्थाएं विकसित होने और आबादी की पद्धतियों में बदलाव आने के साथ-साथ देशों को महामारी संबंधी संक्रमण से गुजरना पड़ता है। भारत भी ऐसी संक्रमण स्थिति का अनुभव कर रहा है। इसके कारण रोग नियंत्रण में तीन प्रकार की चुनौतियां सामने आती हैं। हमें इन तीनों का एक साथ मुकाबला करना होगा। सबसे पहले, भारत को मातृत्व और शिशु मृत्यु दर तथा तपेदिक जैसे संक्रामक रोगों, मलेरिया जैसे मच्छर जनित रोगों, हैजा, अतिसार जैसे जल जनित रोगों तथा प्रतिरोधक टीकों से रोकी जाने वाली खसरा और टिटेनस जैसे बीमारियों को कम करना होगा। दूसरे, भारत को मधुमेह, हृदय रोगों और बहुत प्रकार के कैंसरों जैसी असंक्रामक और जीवन शैली से जुड़ी हुई बीमारियों की बढ़ोत्तरी का भी समाधान खोजना होगा। और अंतत: हमें एचआईवी, एवियन फ्लू और एच1एन1 इन्फ्लूएंजा जैसी दुबारा उभर रही संक्रामक बीमारियों के निदान और इलाज के लिए प्रणालियां विकसित करने की आवश्यकता है। एक वैश्वीकृत दुनिया में उत्तरोत्तर वृहत्तर बड़ी संख्या में लोगों के देश में और देश से बाहर यात्रा करने से थोड़े से भी मामले बहुत जल्दी महामारी का रूप ले सकते हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि इस त्रिस्तरीय चुनौती पर समूची स्वस्थ्य-चर्या व्यवस्था में लगातार ध्यान देना होगा। इसके लिए रोगों की रोकथाम, स्वास्थ्यवर्धक आदतों को बढ़ावा देने तथा बीमार होने पर इलाज की जरूरत है। किसी भी स्वास्थ्य समस्या का प्रभाव व्यापक होता है और यह अनेक क्षेत्रों को प्रभावित करता है। इस चुनौती का सामना करने के लिए बहु-हितधारक कार्यनीति अपनानी होगी। इसमें सरकार और नागरिक समाज, निजी और सार्वजनिक स्वास्थ्यचर्या प्रदाताओं, धर्मार्थ और आर्थिक संस्थानों को अपनी भूमिका और दायित्व निभाना होगा।

स्वास्थ्य-चर्या प्रणाली में जनशक्ति की कमी का उल्लेख करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे देश में स्वास्थ्य-चर्या पेशेवरों की कमी को पूरा करने तथा अधिक से अधिक कॉलेजों और चिकित्सा स्नातकों के लिए गुंजायश पैदा करने के लिए चिकित्सा शिक्षा में तुरंत सुधार करने की जरूरत है। इंजीनियर और डॉक्टर हमारे हित के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी का बखूबी इस्तेमाल करते हैं। भारत में स्नातक इंजीनियरी की 1.47 मिलियन सीटें हैं लेकिन मेडिकल स्नातकों की केवल 67352 सीटे ही हैं। पिछले चार सालों के दौरान लगभग20 प्रतिशत सीटें बढ़ी हैं। एक देश और एक व्यवस्था के तौर पर हमें इस कमी को शीघ्र दूर करने की जरूरत है।

राष्ट्रपति ने कहा कि डॉक्टरों का मस्तिष्क तेज होना चाहिए परंतु इससे भी ज्यादा उनमें सहृदयता होनी चाहिए। उन्होंने क्रिस्चियन मेडिकल कॉलेज वेल्लूर से सहृदय डॉक्टरों और नर्सों को प्रशिक्षित करते रहने का आग्रह किया।

शाम को, राष्ट्रपति श्री नारायणी हॉस्पीटल एंड रिसर्च सेंटर वेल्लूर की किडनी ट्रांसप्लांट यूनिट और कार्डियाक यूनिट का भी उद्घाटन करेंगे।

यह विज्ञप्ति 1440 बजे जारी की गई।