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भारत के राष्ट्रपति ने पंडित रामनारायण शर्मा राष्ट्रीय आयुर्वेद पुरस्कार प्रदान किया

राष्ट्रपति भवन : 04.12.2017

भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द ने आज (04 दिसंबर, 2017) राष्ट्रपति भवन में वर्ष 2008-2014 का पंडित रामनारायण शर्मा राष्ट्रीय आयुर्वेद पुरस्कार प्रदान किया।

इस अवसर पर, राष्ट्रपति ने कहा कि आयुर्वेद स्वस्थ जीवन के लिए एक समग्र चिकित्सा प्रणाली है। यह मानव शरीर के शारीरिक, मानसिक आध्यात्मिक और सामाजिक पहलुओं और उनके परस्पर संबंधों के प्रति एक समेकित दृष्टिकोण है। आयुर्वेद और योग मन और तन के बीच संबंध की खोज पर आधारित है। स्वस्थ मन से जुड़ा एक स्वस्थ तन या स्वस्थ तन से जुड़ा स्वस्थ मन एक शक्तिशाली विचार है। हमें मानव व्यक्तित्व के मानसिक और शारीरिक दोनों पहलुओं पर ध्यान देने के लिए भावी पीढ़ी को प्रोत्साहित करना चाहिए।

भारत के जंगल, पर्वत और गांव जड़ी-बूटियों का भंडार हैं। औषधीय पौधों एवं जड़ी-बूटियों का मुख्य स्रोत वन है। देश की 90 प्रतिशत औषधीय वनस्पतियां एवं जड़ी-बूटियां वनों में उगने वाले पौधों से ही प्राप्त होती हैं। भारत के जंगलों में पांच हजार से अधिक जड़ी-बूटियां पायी जाती हैं। इस अमूल्य भंडार को बचाना और बढ़ाना, प्रकृति एवं आयुर्वेद के लिए समय की मांग है। औषधीय पौधों एवं जड़ी-बूटियों के संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक बनाने की जरूरत पर जोर दिया जाना चाहिए।

इस अवसर पर उपस्थित, आयुर्वेद विशेषज्ञों को संबोधित करते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि आधुनिक जीवनशैली से संबंधित रोग तेजी से लोगों को प्रभावित कर रहे हैं तथा विश्व भारत से वैकल्पिक चिकित्सा की उम्मीद कर रहा है। इस बारे में आयुर्वेद एक अहम भूमिका निभा सकता है। राष्ट्रपति ने कहा कि ऐसे रोगों की रोकथाम, उपचार और प्रबंधन के लिए विशेषज्ञों पर आयुर्वेद को एक सशक्त माध्यम बनाने का दायित्व है।

पंडित रामनारायण शर्मा राष्ट्रीय पुरस्कार 1982 में रामनारायण वैद्य आयुर्वेद शोध न्यास ने स्थापित किया था। इसके अंतर्गत प्रत्येक वर्ष एक विख्यात आयुर्वेदिक विद्वान को सम्मानित किया जाता है। पुरस्कार में 2 लाख रुपये नकद, भगवान धन्वंतरी की एक रजत मूर्ति और एक प्रशस्ति पत्र शामिल होता है।

यह विज्ञप्ति 1300 बजे जारी की गई