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भारत के राष्ट्रपति ने संसद की लोक लेखा समिति के शताब्दी समारोह का उद्घाटन किया

राष्ट्रपति भवन : 04.12.2021

भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द ने कहा कि सामान्य रूप से संसदीय समितियां और विशेष रूप से लोक लेखा समिति (पीएसी), विधायिका के प्रति कार्यपालिका का प्रशासनिक उत्तरदायित्व सुनिश्चित करती हैं। वे आज (4 दिसंबर, 2021) संसद भवन के सेंट्रल हॉल में संसद की लोक लेखा समिति के शताब्दी समारोह के उद्घाटन के अवसर पर अपना वक्तव्य दे रहे थे।

राष्ट्रपति ने कहा कि लोकतंत्र में संसद जनता की अभिलाषा की प्रतिमूर्ति होती है। विभिन्न संसदीय समितियाँ इसके विस्तार के रूप में कार्य करती हैं तथा इसके कार्यकरण में वृद्धि करती हैं। उन्होंने कहा कि श्रम का यह विभाजन स्वागत योग्य है क्योंकि इससे सदनों को सभी मुद्दों पर चर्चा और बहस करने का अवसर प्राप्त होता है जबकि संसद सदस्यों के चयनित समूह चुनिंदा मामलों पर अधिक ध्यान केंद्रित कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि संसदीय समितियों के बिना संसदीय लोकतंत्र अधूरा रह जाएगा। लोक लेखा समिति के माध्यम से ही नागरिक सरकारी खजाने पर नजर रख सकते हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि संसदीय लोकतंत्र में शासन के लिए जवाबदेही सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। अत: स्पष्ट है कि लोक लेखाओं की जाँच करने वाली जन-प्रतिनिधियों की समिति महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। लोक लेखा समिति को विवेक का नैतिकतापूर्ण आचरण प्रस्‍तुत करने की बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई है। इससे संसाधनों को बढ़ाने के बेहतर तरीके खोजने में मदद मिलती है और इससे भी महत्वपूर्ण बात है कि इन संसाधनों को जनता के कल्याण के लिए कुशलतापूर्ण व्यय करने में भी मदद मिलती है। उन्होंने कहा कि चूंकि संसद के पास ही कार्यपालिका को धन जुटाने और खर्च करने की अनुमति देने का अधिकार होता है, तो उसका यह कर्तव्य भी होता है कि वह यह आकलन करे कि जिस उद्देश्य से धन जुटाया गया है उसका व्यय उसी अनुरुप किया गया या नहीं।

राष्ट्रपति ने कहा कि लोक लेखा समिति का, दशकों से सराहनीय और अनुकरणीय रिकॉर्ड रहा है। स्वतंत्र विशेषज्ञों ने भी इसके कामकाज की सराहना की है। पूर्ववर्ती राष्ट्रपतियों में से एक,श्री आर वेंकटरमन, और हमारे तीन पूर्व प्रधानमंत्री, श्री अटल बिहारी वाजपेयी, श्री पी.वी. नरसिम्हा राव और श्री इंदर कुमार गुजराल सहित अनेक महानुभावों ने इस समिति में अपनी सेवाएं दीं हैं। उन्होंने कहा कि पीएसी ने तकनीकी अनियमितताओं, यदि हुईं हों तो, का पता लगाने के लिए न केवल कानूनी और औपचारिक दृष्टिकोण से,बल्कि अर्थव्यवस्था, विवेक, ज्ञान और उपयुक्तता के दृष्टिकोण से भी सार्वजनिक व्यय की जांच की है। उन्होंने कहा कि लोक लेखा समिति के कार्य का उद्देश्य केवल अपव्यय, हानि, भ्रष्टाचार, अतिव्यय, अक्षमता के मामलों को ध्यान में लाना है। उन्होंने कहा कि यदि ईमानदार करदाताओं से आने वाले एक-एक रुपये में से अधिक से अधिक हिस्‍सा आज जरूरतमंदों के साथ-साथ राष्ट्र निर्माण की पहलों के लिए खर्च हो रहा है, तो समझ लीजिए कि पीएसी और उसके सदस्यों ने इस प्रक्रिया में बड़ी भूमिका निभाई है।