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राष्ट्रपति भवन में नोबेल विजेता संगोष्ठी का आयोजन किया गया; राष्ट्रपति ने कहा कि रचनात्मक विद्यालयी शिक्षा प्रणाली अनुसंधान और नवान्वेषण संस्कृति का आधार है

राष्ट्रपति भवन : 05.02.2018

आज (05 फरवरी, 2018)जैव प्रौद्योगिकी विभाग,भारत सरकार ने नोबेल फाउंडेशन के साथ मिलकर राष्ट्रपति भवन में एक दिवसीय नोबेल विजेता संगोष्ठी का आयोजन किया। यह संगोष्ठी भारतीय वैज्ञानिक और नीति निर्णय समुदाय और नोबेल फाउंडेशन के बीच नियमित व महत्वपूर्ण संबंध के रूप में नोबेल पुरस्कार शृंखला का एक हिस्सा है।

संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र को संबंधित करते हुए,राष्ट्रपति ने कहा कि भारत के स्वतंत्र होने के बाद के70 वर्षों में विज्ञान के प्रति विश्वास ने हमारे समाज और विकास प्रक्रिया को आकार प्रदान किया है। कृषि से लेकर परमाणु ऊर्जा के सहयोग;रोग प्रतिरोधक टीके के नवान्वेषण से लेकर अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में प्रगति तक,विज्ञान ने राष्ट्र निर्माण में हमारी मदद की है।

राष्ट्रपति ने कहा कि विज्ञान में इस निवेश के साथ कदम से कदम मिलाते हुए,हमने अपने उच्च शिक्षा संस्थानों के माध्यम से लोगों में भी निवेश किया है। हमने हाल ही में अनेक केन्द्रीय विश्वविद्यालयों; भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थानों अैर भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थानों की स्थापना की। परिवर्तनशील भारत के लिए इस निवेश से वैज्ञानिकों,चिकित्सीय अनुसंधानकर्ताओं और प्रौद्योगिकीविदों का एक विशाल समूह तैयार होगा। इस निवेश के सार्थक परिणाम प्राप्त करने के लिए इन संस्थानों को और हमारे विद्यालयों को भी विश्व में सर्वोत्तम बनना होगा। यह एक चुनौती है परंतु हम एकजुट होकर इसे पूरा कर सकते हैं। हम सब मिलकर नवान्वेषण को अपने वैज्ञानिक वर्ग का जुनून ही नहीं बल्कि अपनी विद्यालयी शिक्षा प्रणाली की जीवन रेखा भी बना सकते हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि विश्व निरंतर बदल रहा है और प्रत्येक दिशा से विचारों का प्रवाह हो रहा है,इसलिए हमारे वैज्ञानिकों को अनुसंधान और प्रौद्योगिकी की नवीनतम प्रगति से जुड़े रहना चाहिए। बिना वैश्विक उद्यम के विज्ञान का कोई अर्थ नहीं है। हम आज इसी पर ध्यान दे रहे हैं। हम विश्व श्रेणी के संस्थानों और विश्वविद्यालयों की स्थापना कैसे कर सकते हैं और हम इन्हें अपनी राष्ट्रीय सीमाओं के भीतर और उससे परे भी अपने समाज के साथ कैसे जोड़ सकते हैं;इस पर भी विचार चल रहा है।

नोबेल विजेताओं क्रिश्चियने नुसलिएन-वोलार्ड सर,रिचर्ड जॉन रॉबर्ट्स,सर्ज हैरोख और डॉ. थॉमस रॉबर्ट लिंडल ने संगोष्ठी को संबोधित किया।

-क्रिश्चियन नुसलिएन- वोलार्ड एक जर्मन जैव विज्ञानी हैं जो‘फ्रूट फ्लाई’के भ्रुणीय विकास के लिए विख्यात हैं। अपने योगदान से उन्होंने शरीर-विज्ञान या चिकित्सा क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार प्राप्त किया।

-रिचर्ड जॉन राबर्ट्स एक अंगेज जैवरसायन-विज्ञानी और आणविक जैव विज्ञानी हैं जिन्हें जीन-संयोजन तंत्र की उनकी खोज के लिए शरीर-विज्ञान अथवा चिकित्सा क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

-सर्ज हैरोख एक फ्रांसीसी भौतिक विज्ञानी हैं जिन्हें अलग-अलग फोटोन के क्वांटम मैकेनिकल व्यवहार के अध्ययन की पद्धतियां तैयार करने के लिए भौतिकी में2012 के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

-थॉमस रॉबर्ट लिंडल स्वीडन में जन्मे ब्रिटिश विज्ञानी हैं जो कैंसर अनुसंधान में विशेषज्ञ हैं,उन्हें2015 में रसायन विज्ञान में नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया।

राष्ट्रपति ने संगोष्ठी के समापन सत्र को भी संबोधित किया।

इस अवसर पर, राष्ट्रपति ने कहा कि मजबूत,गतिशील और रचनात्मक शिक्षा तथा विद्यालयी शिक्षा प्रणाली के बिना हम अनुसंधान और नवान्वेषण संस्कृति पैदा नहीं कर सकेंगे। यह जरूरी है कि हम अपनी कक्षाओं में जिज्ञासा का पोषण करें और विज्ञान को शब्दजाल से मुक्त करें।

राष्ट्रपति ने कहा कि श्रेष्ठ अनुसंधानकर्ता उसी प्रणाली में उभरकर सामने आते हैं जिसमें श्रेष्ठ शिक्षक और श्रेष्ठ संकाय को महत्व दिया जाता है। अनुसंधान संस्थानों और विश्वविद्यालयों तथा अनुसंधान और उद्योग के बीच संयोजन अत्यंत आवश्यक है। इनका अस्तित्व अलग-अलग चारदीवारियों में बना नहीं रह सकता। विज्ञान को समाज के साथ जोड़ना भी महत्वपूर्ण है। उदाहरण के लिए हमारे अंतरिक्ष कार्यक्रम के प्रति व्यापक समर्थन का एक कारण आम भारतीयों के जीवन से जुड़े समाधान प्रदान करने की भारत के अंतरिक्ष वैज्ञानिकों की योग्यता रही है, चाहे मामला हमारे किसानों की मदद के लिए मौसम की प्रवृत्तियों का मानचित्रण हो या स्वास्थ्य सुविधाओं तक पहुंच बढ़ाने वाली टेली-मेडिसिन का।

यह विज्ञप्ति 1855 बजे जारी की गई