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भारत के राष्ट्रपति ने शिक्षक दिवस के अवसर पर उत्कृष्ट शिक्षकों को 'राष्ट्रीय पुरस्कार' प्रदान किए

राष्ट्रपति भवन : 05.09.2019

भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द ने शिक्षक दिवस के अवसर पर आज (5 सितंबर, 2019) नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में आयोजित समारोह में देश भर के उत्कृष्ट शिक्षकों को ‘राष्ट्रीय पुरस्कार’ प्रदान किए।

इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि चरित्र-निर्माण की मजबूत नींव स्कूलों और विद्यालयों में ही डाली जाती है। शिक्षक का मुख्य उद्देश्य है – विद्यार्थी को अच्छा इंसान बनाना। अच्छे इंसान का निर्माण करने के लिए शिक्षकों द्वारा विद्यार्थियों में ईमानदारी, अनुशासन, प्रामाणिकता और सत्यनिष्ठा यानि honesty, discipline और integrity का संचार करना होता है। इन जीवन-मूल्यों से सम्पन्न अच्छा इंसान समाज के हर क्षेत्र में अच्छा सिद्ध होगा। इस प्रकार, अच्छे इंसान बनाकर, आप सभी शिक्षक-गण राष्ट्र-निर्माण में भागीदार बनते हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि आज विश्व ‘सूचना युग’ से ‘ज्ञान युग’ यानि ‘knowledge society’ में प्रवेश कर रहा है। लेकिन, केवल ज्ञान पर ही आश्रित रहने से मानव-समाज की सुरक्षा सुनिश्चित करना संभव नहीं होगा। ज्ञान के साथ-साथ विवेक का होना भी अनिवार्य है। विवेक-सम्मत ज्ञान ही मानवीय समस्याओं का समाधान कर सकता है। इसीलिए वैश्वीकरण और स्पर्धा के इस दौर में भी हमें ‘artificial intelligence’ और ‘human compassion’ का समन्वय करना है। हमें ‘digital learning’ और ‘character building’ में सामंजस्य बनाना है। ऐसे विवेकपूर्ण ज्ञान के आधार पर ही हम सब, जलवायु परिवर्तन या climate change, प्राकृतिक जल-स्रोतों और जंगलों में हो रही कमी, जीवधारियों की अनेक प्रजातियों के लुप्त होने के संकट, पिघलते ग्लेशियर, जहरीली हवा व खाद्य पदार्थों से जुड़ी समस्याओं का समाधान कर सकते हैं। इसी प्रकार, विद्यार्थियों को बूंद-बूंद पानी बचाने की सीख देकर हमारे शिक्षक-गण जल-संरक्षण के राष्ट्रीय अभियान में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं।

राष्ट्रपति ने शिक्षकों से एक ऐसी नई पीढ़ी का निर्माण करने का आग्रह किया जो ज्ञान और विवेक के सामंजस्य से परिपूर्ण हो ताकि वह आज की सभी चुनौतियों का सफलतापूर्वक समाधान कर सके।

इस अवसर पर उपस्थित गण्यमान्य लोगों में केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री, श्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’, और मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री, श्री धोत्रे संजय शामराव थे।