राष्ट्रपति कोविन्द ने शिक्षकों को राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया
राष्ट्रपति भवन : 05.09.2021
भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द ने कहा कि किसी भी समाज में निहित प्रतिभा के संयोजन की प्राथमिक ज़िम्मेदारी शिक्षकों की होती है। एक अच्छा शिक्षक व्यक्तित्व-निर्माता है, समाज-निर्माता है, और राष्ट्र-निर्माता भी है। वे आज (5 सितंबर, 2021) शिक्षक दिवस के अवसर पर वर्चुअल पुरस्कार समारोह को संबोधित कर रहे थे, जिसमें देश भर के 44 शिक्षकों को राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।
राष्ट्रपति ने पुरस्कार प्राप्त करने वाले सभी शिक्षकों को उनके विशिष्ट योगदान के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि ऐसे शिक्षकों के विषय में जानकर उनके इस विश्वास और भी मजबूती मिलती है कि भावी पीढ़ियों का निर्माण, हमारे सुयोग्य शिक्षकों के हाथों में सुरक्षित है। उन्होंने कहा कि सबके जीवन में शिक्षकों का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान होता है। हर व्यक्ति को अपने शिक्षकों की याद आजीवन रहती है। जो शिक्षक स्नेह और निष्ठा के साथ अपने विद्यार्थियों को निखारते हैं उनके प्रति ऐसे विद्यार्थी सदैव आदर-भाव रखते हैं।
राष्ट्रपति ने शिक्षकों से आग्रह किया कि वे अपने विद्यार्थियों में, एक स्वर्णिम भविष्य की कल्पना करने और उसके लिए योग्यता अर्जित करने की प्रेरणा जगा सकते हैं तथा उन्हें सक्षम बना सकते हैं ताकि वे अपनी महत्वाकांक्षाओं को पूरा कर सकें।उन्होंने कहा कि शिक्षकों का कर्त्तव्य है कि वे अपने विद्यार्थियों में अध्ययन के प्रति रुचि जागृत करें। संवेदनशील शिक्षक अपने व्यवहार, आचरण व शिक्षण से विद्यार्थियों का भविष्य संवार सकते हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षकों को इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि प्रत्येक विद्यार्थी की क्षमता अलग होती है, उनकी प्रतिभा अलग होती है, मनोविज्ञान अलग होता है, सामाजिक पृष्ठभूमि व परिवेश भी अलग-अलग होता है। इसलिए हर एक बच्चे की विशेष जरूरतों, रुचियों और क्षमताओं के अनुसार उसके सर्वांगीण विकास पर बल देना चाहिए।
राष्ट्रपति ने कहा कि पिछले लगभग डेढ़ वर्ष से संपूर्ण विश्व कोरोना महामारी के कारण उत्पन्न हुए संकट से गुज़र रहा है। इस परिस्थिति में जब सभी कॉलेज और स्कूल बंद थे, तब भी शिक्षकों ने विषम स्थितियों का सामना करते हुए बच्चों की शिक्षा का क्रम रुकने नहीं दिया। इसके लिए शिक्षकों ने प्रयासपूर्वक बहुत कम समय में ही डिजिटल प्लेटफॉर्म्स का उपयोग करना सीखा और शिक्षा प्रक्रिया को जारी रखा। उन्होंने कहा कि कुछ शिक्षकों ने अपनी मेहनत और लगन से स्कूलों में उल्लेखनीय बुनियादी सुविधाएं विकसित की हैं। उन्होंने ऐसे समर्पित शिक्षकों को साधुवाद दिया और आशा व्यक्त की कि समस्त शिक्षक समुदाय बदलती परिस्थितियों के अनुरूप अपनी शिक्षण पद्धति में भी बदलाव करते रहेंगे।
राष्ट्रपति ने कहा कि पिछले वर्ष लागू की गई हमारी राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भारत को ग्लोबल नॉलेज सुपर-पावर के रूप में स्थापित करने का महत्वाकांक्षी उद्देश्य निश्चित किया गया है। विद्यार्थियों को ऐसी शिक्षा प्रदान करनी है जो ज्ञान पर आधारित न्यायपूर्ण समाज के निर्माण में सहायक हो। हमारी शिक्षा-व्यवस्था ऐसी होनी चाहिए जिससे विद्यार्थियों में संवैधानिक मूल्यों तथा नागरिकों के मूल कर्तव्यों के प्रति निष्ठा उत्पन्न हो, देश के प्रति प्रेम की भावना मजबूत बने तथा बदलते वैश्विक परिदृश्य में वे अपनी भूमिका के बारे में सचेत रहें।
राष्ट्रपति ने कहा कि केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा शिक्षकों को समर्थ बनाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं। मंत्रालय ने एकीकृत शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम, ‘निष्ठा’ का संचालन आरंभ किया है जिसके अंतर्गत शिक्षकों के लिए ‘ऑनलाइन क्षमता निर्माण’ के प्रयास किये जा रहे हैं। इसके अलावा पिछले वर्ष जारी किए गए ‘प्रज्ञाता’ अर्थात डिजिटल शिक्षा पर दिशानिर्देश भी एक सराहनीय कदम है जिससे कोविड महामारी से उत्पन्न संकट के दौरान भी शिक्षण की गति बनाए रखी गई है। उन्होंने विषम परिस्थितियों में भी नए रास्ते तलाशने के लिए केंद्र सरकार के शिक्षा मंत्रालय की पूरी टीम की सराहना की।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री, श्री धर्मेंद्र प्रधान ने स्वागत भाषण दिया जबकि शिक्षा राज्य मंत्री, श्रीमती अन्नपूर्णा देवी ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
इससे पहले आज सुबह, राष्ट्रपति ने भारत के पूर्व राष्ट्रपति, डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। माननीय राष्ट्रपति और राष्ट्रपति भवन के अधिकारियों ने राष्ट्रपति भवन में डॉ. राधाकृष्णन के चित्र के समक्ष श्रद्धा-सुमन अर्पित किए।