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भारत के राष्ट्रपति ‘भारतीय कंपनी सचिव संस्थान’ के 51वें स्थापना दिवस में शोभायमान हुए, उन्होंने कहा कि कुशल, निष्पक्ष और न्यायसंगत कार्पोरेट प्रशासन तंत्र हमारे राष्ट्र-निर्माण का महत्वपूर्ण घटक है

राष्ट्रपति भवन : 05.10.2019

भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द ने आज (5 अक्टूबर, 2019) नई दिल्ली में भारतीय कंपनी सचिव संस्थान के 51वें स्थापना दिवस को संबोधित किया।

इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि हमने हाल के समय में देखा है कि कैसे कुछ व्यावसायिक उद्यमों ने लोगों का भरोसा तोड़ा है। कंपनियां या तो लड़खड़ा गईं या उनके कार्य में ठहराव आ गया। इस प्रक्रिया में, आम जनता को समस्याओं का सामना करना पड़ा है। उन्होंने कहा कि कंपनी सचिव प्रशासन पेशेवर और व्यापार में आंतरिक भागीदार के रूप में अपनी भूमिका निभाते हैं। उन्हें व्यापार की जिम्मेदार कार्यशैली को बढ़ावा देना चाहिए और बड़े सामाजिक-आर्थिक लक्ष्यों तथा आर्थिक उद्देश्यों के बीच संतुलन स्थापित करना चाहिए। उन्हें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हितधारकगण लाभ उठाने और मुनाफाखोरी के बीच के अंतर को समझें और कानून का पालन करेगा। और उन्हें उन मुद्दों पर विचार-विमर्श करना चाहिए जिनमें सुधार लाए जाने की आवश्यकता है, ताकि अतीत की गलतियों या कमियों को पर्याप्त तौर पर सुधारा जा सके।

राष्ट्रपति ने कहा कि कॉर्पोरेट प्रशासन एक जटिल प्रक्रिया है लेकिन जिन सिद्धांतों पर यह आधारित है वे स्पष्ट और सुपरिभाषित हैं। पारदर्शिता, जवाबदेही, ईमानदारी और निष्पक्षता इसके चार स्तंभ हैं। कंपनी सचिवों को जिम्मेदारी की भावना से यह तय करना चाहिए कि इन सिद्धांतों को व्यवहार में कैसे लाया जाए। भारत ने अंतरराष्ट्रीय व्यापार और निवेश के गंतव्य के रूप में अपनी ‘ब्रांड-वेल्यू’ बढ़ाने की रूपरेखा तैयार की है। इस प्रयास में, यह बात अत्यधिक महत्वपूर्ण है कि वे कंपनी कानूनों को पारदर्शी तरीके से कैसे लागू करते हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि कुशल, निष्पक्ष और न्यायसंगत कॉर्पोरेट प्रशासन प्रणाली हमारे राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया का प्रमुख घटक है। और इस प्रक्रिया में बुनियादी जिम्मेदारी कंपनी सचिवों की है। उनकी सत्यनिष्ठा और ईमानदारी से न्यायपूर्ण समाज की हमारी प्रतिबद्धता का पता चलता है।