राष्ट्रपति भवन में केंद्रीय विश्वविद्यालय अधिनियम, 2009 के अंतर्गत स्थापित 17 नए केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की एक दिवसीय बैठक की मेजबानी की गई।
राष्ट्रपति भवन : 06.01.2018
राष्ट्रपति भवन में आज (6 जनवरी, 2018) केंद्रीय विश्वविद्यालय अधिनियम, 2009 के अंतर्गत स्थापित 17 नए केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की एक दिवसीय बैठक की मेजबानी की गई।
बैठक की कार्यसूची में, शैक्षिक और संकाय विकास की गुणवतता सुधारना; निर्माण और बुनियादी ढांचे से संबंधित मुद्दे, संकाय और प्रशासन में रिक्तियों को भरना; प्रत्येक विश्वविद्यालय के शैक्षिक कार्यक्रम का समय पर अनुपालन; शिक्षण के प्रौद्योगिकी प्रेरित मॉडलों को प्रोत्साहन, प्रशासन और अन्य प्रशासनिक मामलों में कम्प्यूटरीकरण; उच्च शिक्षा में निधिकरण विकल्प; वार्षिक लेखओं का रखरखाव और लेखापरीक्षण; अनुसंधान और नवान्वेषण पर प्रगति तथा शिक्षा-उद्योग संयोजन का निर्माण; विश्वविद्यालयों के बीच शैक्षिक सहयोग की स्थापना; नए केंद्रीय विश्वविद्यालयों की दीर्घकालिक संकल्पना शामिल थे।
समापन सत्र को संबोधित करते हुए, भारत के राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे नए केंद्रीय विश्वविद्यालयों को आरंभिक कठिनाइयां हो सकती हैं परन्तु इन्हें बाद में लाभ होगा। वे अतीत के मुद्दों से पूरी तरह बच सकते हैं। वे ऐसी प्रणालियां और तंत्रों का निर्माण कर सकते हैं जो भावी जरूरतों और भावी प्रौद्योगिकियों के साथ चल सकें। संक्षेप में, वे वास्तव में, 21वीं शताब्दी के विश्वविद्यालय बन सकते हैं। एक साथ स्थापित होने से, ये विश्वविद्यालय आईआईएम और आईआईटी की तरह एक समुदाय बन गए हैं। इसलिए नए केंद्रीय विश्वविद्यालयों को संगठित होना चाहिए और परस्पर-शिक्षण में शामिल होना चाहिए।
राष्ट्रपति ने कहा कि केंद्रीय विश्वविद्यालयों में तत्काल रिक्तियां भरी जानी चाहिए। अघ्यापकों की रिक्तियों को न भरा जाना उन विद्यार्थियों की शिक्षा के प्रति अन्याय होगा जिन्होंने इनमें प्रवेश लिया है। जहां आवश्यक हो, वहां कुछ अवधि के लिए सेवानिवृत्त प्रोफेसरों को नियुक्त किया जा सकता है। सेवानिवृत्ति या बढ़ती हुई आवश्यकताओं के कारण प्रत्याशित रिक्तियों की पूर्ति की योजना महीनों पहले ही पूर्ण हो जानी चाहिए। यह सुनिश्चित करना प्रशासन का दायित्व है कि भर्तियां पूरी ईमानदारी से की जाएं तथा किसी भी प्रभाव से मुक्त हो।
राष्ट्रपति ने कहा कि इन विश्वविद्यालयों को समुदाय तथा अपने राज्यों की बेहतरी में योगदान करना होगा। राज्य सरकारों के साथ समन्वय करना एक निरंतर प्रक्रिया है और यह भूमि अंतरण के आरंभिक प्रश्नों तक ही सीमित नहीं रहना चाहिए। आसपास स्थित विश्वविद्यालयों और संस्थानों के साथ ससाधनों को बांटना, उनसे लाभ लेना और साझीदारियां करना लाभकारी भी होगा।
राष्ट्रपति ने जोर देकर कहा कि हमारे देश में और विश्व में प्रतिभावान प्रोफेसरों और विद्यार्थियों में स्पर्द्धा बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि श्रेष्ठ अध्यापकों और प्रोफेसरों के लिए द्वार खुले हुए हैं। विश्वविद्यालयों में प्रतिभा के लिए स्पर्द्धा होनी चाहिए। इसीलिए उदाहरणत: एनएएसीमूल्यांकन प्रणाली के आधार से विश्वविद्यालयों की श्रेष्ठता जांचना बहुत जरूरी है।
इससे संभावित विद्यार्थी को यह तय करने में मदद मिलेगी कि किस विश्वविद्यालय का चयन किया जाए। राष्ट्रपति, कोविन्द ने केंद्रीय विश्वविद्यालयों से आग्रह किया कि वे अपने लिए और संबंधित कॉलेजों के लिए श्रेष्ठ एनएएसी वरीयता प्राप्त करने का प्रयास करें।
राष्ट्रपति ने आशा व्यक्त की कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय उन समस्याओं को समयबद्ध ढंग से हल करेगा तथा इन नए केंद्रीय विश्विद्यालयों के लिए दीर्घकालिक माध्यम भी आरंभ करेगा। उन्होंने कहा कि हमें राष्ट्रीय परिसंपत्ति और विश्वस्तरीय संस्थान बनने की तैयारी करनी चाहिए। यदि हमने समुचित समयसीमा में ऐसा नहीं किया तो हमारी आने वाली पीढ़ियां विफल हो जाएंगी।
इस एक दिवसीय बैठक में केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री, श्री प्रकाश जावड़ेकर, मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री, डॉ. सतपाल सिंह, अध्यक्ष, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, प्रो. डी.पी. सिंह, 17 नए केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के अतिरिक्त मानव संसाधन विकास मंत्रालय, व्यय विभाग, वित्त मंत्रालय के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
यह विज्ञप्ति 1845 बजे जारी की गई