भारत के राष्ट्रपति ने भारतीय विज्ञान संस्थान, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों और भारतीय विज्ञान और शिक्षा अनुसंधान संस्थानों के निदेशकों से कहा कि वैज्ञानिकों की भावी पीढ़ी के नेतृत्वकारी मार्गदर्शक के रूप में अपनी प्रमुख भूमिका निभाएं
राष्ट्रपति भवन : 06.03.2018
राष्ट्रपति भवन ने आज (06मार्च, 2018) भारतीय विज्ञान संस्थान, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों और भारतीय विज्ञान और शिक्षा अनुसंधान संस्थानों के निदेशकों की एक दिवसीय बैठक की मेज़बानी की।
बैठक के समापन सत्र में,भारतीय विज्ञान संस्थान, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों और भारतीय विज्ञान और शिक्षा अनुसंधान संस्थानों के निदेशकों को संबोधित करते हुए,राष्ट्रपति कोविन्द ने कहा कि शिक्षा, विशेषकर उच्च शिक्षा एक ऐसा विषय है, जिसके बारे में मेरी व्यक्तिगत दिलचस्पी है। इसीलिए, हमारे संस्थानों के समक्ष जो समस्याएं आती हैं, उन्हें समझने,उन पर चर्चा करने और जहां तक संभव हो, उनके तुरंत समाधान ढूंढ़ने के लिए उन्होंने यह बैठक बुलाई है।
राष्ट्रपति ने कहा कि राष्ट्रीय महत्व के इन संस्थानों की एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी यह सुनिश्चित करने की है कि हमारे देश और विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अनुसंधान और विकास को हमारे लोगों की जरूरतों से जोड़ा जाए। हर वैज्ञानिक प्रयास के मूल में अकसर कोई न कोई समस्या होती है जिसे कोई वैज्ञानिक हल करना चाहता है। यह महत्वपूर्ण है कि हमारे राष्ट्र और हमारे समाज के सम्मुख जो चुनौतियां हैं, वे चुनौतियां ज्ञान, आविष्कार और नवान्वेषण के उनके प्रयासों के लिए प्रमुख प्रेरणा स्रोत बनें।
राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे सामने असीम चुनौतियां हैं। चाहे हमारे लोगों को ़गरीबी के दलदल से निकालना हो,उनका स्वास्थ्य और सेहत सुनिश्चित करनी हो या खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा हासिल करनी हो,ये संस्थान इन चुनौतियों का मुकाबला करने में अहम भूमिका निभा सकते हैं। हमारे प्राकृतिक संसाधनों के प्रदूषण से लेकर तेजी से फैल रहे हमारे शहरों में यातायात जाम की समस्याओं का समाधान निकालने में भी उनके इन्क्यूबेशन सेंटर मदद कर सकते हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि विज्ञान में महिलाओं की भागीदारी को हरसंभव तरीके से बढ़ावा दिया जाना अति आवश्यक है। । हमें विज्ञान और प्रौद्योगिकी में छात्राओं और महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाना होगा। यदि इस असमानता पर ध्यान नहीं दिया गया तो हमारी वैज्ञानिक उपलब्धियां हमेशा श्रेष्ठता के स्तर से और वांछित स्तर से नीचे रहेंगी।
भारत के वैज्ञानिक अनुसंधान क्षेत्र की महान विभूतियों-विक्रम साराभाई, होमी जहांगीर भाभा,सतीश धवन और उनके जैसे अन्य को याद करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि जो बातें उन्हें बाकी लोगों से अलग सिद्ध करती हैं, वे हैं विकास को संस्थागत रूप देने की उनकी क्षमता और अगली पीढ़ी के वैज्ञानिक प्रशासकों और अगुवाकारों को तैयार करना। उन्होंने भारतीय विज्ञान संस्थान,भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों और भारतीय विज्ञान और शिक्षा अनुसंधान संस्थानों के निदेशकों से कहा कि उन्हें भावी पीढ़ी के वैज्ञानिकों के नेतृत्वकारी मार्ग-दर्शक की प्रमुख भूमिका निभानी होगी। उन्होंने कहा कि इससे यह सुनिश्चित होगा कि हमारे पास वैज्ञानिकों-प्रशासकों का एक प्रतिभा समूह तैयार मिलेगा जो हमारे वैज्ञानिक संस्थानों की परिकल्पना, संस्थापना और संचालन का काम संभाल सके।
इस एक दिवसीय बैठक में भाग लेने वालों में केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री, श्री प्रकाश जावड़ेकर; केन्द्रीय मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री;डॉ. सत्यपाल सिंह;अध्यक्ष;अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद् के अध्यक्ष, प्रो. अनिल डी. सहस्रबुद्धे, कल 31भारतीय विज्ञान संस्थानों, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों और भारतीय विज्ञान और शिक्षा अनुसंधान संस्थानों के निदेशकों के अलावा मानव संसाधन विकास मंत्रालय, वित्त मंत्रालय तथा विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के प्रतिनिधि शामिल थे।
यह विज्ञप्ति 1935 बजे जारी की गई