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भारतीय राजस्व सेवा (सीमा शुल्क और केंद्रीय उत्पाद शुल्क) के 67वें बैच के परिवीक्षार्थियों ने राष्ट्रपति से भेंट की

राष्ट्रपति भवन : 06.09.2017

भारतीय राजस्व सेवा (सीमा शुल्क और केंद्रीय उत्पाद शुल्क) के 67वें बैच के परिवीक्षार्थियों के एक समूह ने आज (06 सितंबर, 2017) राष्ट्रपति भवन में भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द से भेंट की।

परिवीक्षार्थियों को संबोधित करते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि राजस्व का संग्रहण राष्ट्र निर्माण के कार्य के लिए अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि कर संग्रहण की प्रक्रिया सरल होनी चाहिए और करदाता पर कम से कम बोझ पड़ना चाहिए। उन्होंने अर्थशास्त्र में कर संग्रहण के बारे में चाणक्य का यह कथन याद रखने की सलाह दी कि सरकार को मधुमक्खी की तरह कर वसूल करना चाहिए जो फूल से उतनी मधु की उचित मात्रा ग्रहण करती है कि वह खिला रहे।

राष्ट्रपति ने कहा कि युवा अधिकारियों को स्वतंत्रता के बाद के भारत के सबसे बड़े आर्थिक सुधारों में से एक जीएसटी को आगे बढ़ाना चाहिए। उनके अनुसार यह वैश्वीकरण और प्रौद्योगिक उन्नति का युग है। यह व्यापार और निवेश के लिए अपार अवसर मुहैया कराता है। दुर्भाग्यवश इससे जालसाली और काले धन को सफेद करने की संभावनाएं भी उभरती हैं। आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करने और जालसाजी को समाप्त करना उनका काम है। ये दोनों ही लक्ष्य महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि वे जो काम करते हैं उनका प्रभाव भारत और विश्व में एक ईमानदार और सही कर व्यवस्था वाले एक विश्वसनीय कारोबार स्थल के रूप में भारत की प्रतिष्ठा पर पड़ता है। उन्होंने कहा कि उन्हें अपनी इस भारी जिम्मेदारी का ध्यान रखना होगा।

उन्होंने सभी अधिकारियों को उनके भावी करियर के लिए शुभकामनाएं दीं और कहा कि उनकी ईमानदारी के साथ कोई समझौता नहीं हो सकता। एक विश्वसनीय कर प्रणाली अधिकारियों से ही बन सकती है।

इस समय परिवीक्षार्थी राष्ट्रीय सीमा शुल्क, अप्रत्यक्ष कर और स्वापक अकादमी, फरीदाबाद में कार्य प्रशिक्षण ले रहे हैं।

यह विज्ञप्ति 1415 बजे जारी की गई