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भारत के राष्ट्रपति ने ‘चौथे भारत अंतरराष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव’ का उद्घाटन किया; उन्होंने वैज्ञानिक समुदाय से आग्रह किया कि वे विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं और विद्यार्थियों के साथ साझेदारी करें और उन्‍हें परामर्श प्रदान करें

राष्ट्रपति भवन : 06.10.2018

भारत के राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविन्‍द ने आज (6 अक्टूबर, 2018) लखनऊ में ‘चौथे भारत अंतरराष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव’ का उद्घाटन किया।

इस अवसर पर, राष्ट्रपति ने कहा कि विज्ञान हमेशा भारतीय संस्कृति का एक हिस्सा रहा है। सदियों पहले हमारे पूर्वजों ने गणित के रहस्य और शून्‍य की अवधारणा को उद्घाटित किया था। वे चिकित्सा और धातु कर्म जैसे विविध क्षेत्रों में विज्ञानके नुस्‍खों का प्रयोग किया करते थे। विज्ञान ने 1947 के बाद, हरित क्रांति से लेकर हमारेअंतरिक्ष कार्यक्रम; समृद्ध जैव प्रौद्धोगिकी और औषध निर्माण उद्योग के आधुनिकीकरण को आगे बढ़ाया है। आज 21वीं शताब्दी के पहले चतुर्थांश में रोबोटिक्स और प्रिसीजन विनिर्माण, बायोइनफॉर्मेटिक्स और जीन एडिटिंग, चौथी औद्योगिक क्रांति और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के युग में ऊंची छलांग लगाने का समय आ गया है।

राष्ट्रपति ने कहा कि विज्ञान को जन आंदोलन में तब्दील किए बिना, और हमारी प्रयोगशालाओं, हमारे विश्वविद्यालयों और विद्यालयों में भी दिन-प्रतिदिन की गतिविधि के रूप में छोटे-छोटे नव-परिवर्तन और नवाचार को प्रोत्साहित किए बिनाहम आगे नहीं बढ़ सकते। जुगाड़, कट-पेस्ट प्रयोगों और किफायती नवाचारों की अपनी-अपनी भूमिका होती अवश्‍य है। फिर भी, यदि हम भारत को मध्यम आय वाली अर्थव्यवस्था और एक उन्नत औद्योगिक शक्ति में बदलना चाहते हैं तो हमें ज्ञान अर्जन के प्रेरकों को उन्नत बनाना होगा। विज्ञान और प्रौद्योगिकी केवल कोई अतिरिक्त साधन नहीं हैं, उनके सर्व-व्‍यापी स्वरूप और प्रत्येक क्षेत्र में तथा हमारे सभी प्रमुख कार्यक्रमों और विकासात्मक प्रयासों में उनकी भूमिका की पहचान करनी होगी।

राष्ट्रपति ने कहा कि हमारी राष्ट्रीय विकासात्मक कार्य सूची में विज्ञान और वैज्ञानिक नवाचार की भूमिका दिन प्रतिदिन बढ़ रही है।2017 में भारतीय स्टार्ट-अप के पेटेंट आवेदन बढ़कर 909 हो गए। 2016 के 61 की तुलना में यह बढ़ोत्‍तरी 15 गुना है। 2018 में भारत का अनुसंधान और विकास निवेश सराहनीय रूप से 83.27 बिलियन अमेरिकी डॉलर के बराबर हो जाएगा। सरकार ने ‘प्राइम मिनिस्‍टर्स रिसर्च फैलोशिप’ की घोषणा की है। इससे नवाचार के जरिए विकास को प्रोत्साहन मिलेगा और इसमें 2018-19 से प्रारम्‍भ 7 वर्षों के लिए 1650 करोड़ रुपयेका बजट रखा गया है। भारत में विज्ञान के लिए यह उत्‍साहजनक दौर है। अब हमारे पास संसाधन उपलब्ध हैं और अब आगे बढ़ने की बारी हमारे प्रतिभा समूह की है।

राष्ट्रपति ने कहा कि विज्ञान सर्वोत्तम तरीके से कार्य तभी करता है जब वित्‍त पोषण संसाधनों सहित सभी संसाधनों के साथ यह कार्य सहयोगात्मक तौर पर किया जाए और सुविधाओं को साझा किया जाए। यह समय अनुसंधान केंद्रों और विश्वविद्यालयों के बीच साझेदारियों का समय है। उन्होंने वैज्ञानिक समुदाय से आग्रह किया कि वे विश्वविद्यालयों में उदीयमान शोधकर्ताओं और विद्यार्थियों का मार्गदर्शन करें और उनके लिए अपने द्वार खोल दें।उन्होंने कहा कि उदीयमान शोधकर्ता और विद्यार्थी मार्गदर्शन, सहयोगऔर प्रयोगशालाओं व उपकरणों तक पहुंच बनाने के लिए वरिष्ठ वैज्ञानिकों से उम्मीद करते हैं।ऐसी सदाशयता और बुद्धि‍मत्‍ता से भारतीय विज्ञान की पहचान बेहतर बनेगी। यह देश अपनी श्रेणी में सर्वोत्‍तम वातावरण तैयार करने के और नजदीक पहुंच जाएगा।

राष्ट्रपति ने उच्चतर विज्ञान में महिलाओं की अल्‍प भागीदारी की ओर ध्यान आकृष्ट किया। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद् में कार्यरत 3446 वैज्ञानिकों में से केवल 632 अथवा 18.3% महिलाएं हैं। उन्होंने कहा कि इसी सप्ताह महिला वैज्ञानिकों ने भौतिकी और रसायन में नोबेल पुरस्कार जीता है; ऐसे समय में यह प्रतिशत अपनी कहानी स्‍वयं बयां करता है। इससे यह भी पता चलता है कि अपनी बेटियों की वैज्ञानिक क्षमताओं का पूरा प्रयोग नहीं कर पा रहे हैं। यह चुनौती सामाजिक भी है और व्‍यवस्‍थागत भी; परन्‍तु इस पर विजय प्राप्त करना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है।

यह विज्ञप्ति 1900 बजे जारी की गई।