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भारत के राष्ट्रपति गोवा पहुंचे; गोवा विश्वविद्यालय के 30वें वार्षिक दीक्षांत समारोह को संबोधित किया; उन्‍होंने इसे समुद्री अर्थव्यवस्था ज्ञान उद्यम का आधार बनने का आग्रह किया

राष्ट्रपति भवन : 07.07.2018

भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्‍द ने आज (7 जुलाई, 2018) तालेगांव पठार गांव में, गोवा विश्वविद्यालय के 30वें वार्षिक दीक्षांत समारोह में भाग लिया और उसे संबोधित किया।

स्नातक विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि उन्‍हें यह ध्यान रखना चाहिए कि भारत में उच्‍चतर शिक्षा तक पहुंच अभी भी एक विशेष अवसर माना जाता है। असंख्‍य नागरिकों के योगदान से ही गोवा विश्वविद्यालय जैसे संस्थान कायम हैं और इनमें से अनेक लोग व्यक्तिगत रूप से उनसे परिचित भी नहीं होंगे।‘जब आप दुनिया में कदम रखें और अपनी आजीविका कमाएं तो उन नागरिकों का योगदान याद रखें और अपनी क्षमता अनुसार, अपनी मर्जी से समाज में योगदान करने का प्रयास करें’। उन्‍होंने जोर देकर कहा कि शिक्षा सशक्‍तीकरण का माध्‍यम है। यह न केवल दुनिया को बेहतर ढंग से समझने में मदद करती है बल्कि बेहतरी के लिए दुनिया को बदलने के तौर-तरीकों पर सोच-विचार करने में भी सक्षम बनाती है।

देश में उच्च शिक्षा परिदृश्य का उल्‍लेख करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि भारत में विश्व का तीसरा सबसे विशालतम शिक्षा तंत्र मौजूद है परंतु यह विश्व की विशालतम युवा जनसंख्या को शिक्षा प्रदान करने का दायित्‍व भी निभाता है। भारत ने उच्च शिक्षा वातावरण के विस्तार में प्रभावी बढ़त बनाई है।सच्चाई यह है कि केंद्रीय विश्वविद्यालयों और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों सहित अधिकांश नए विश्वविद्यालय पिछड़े हुए क्षेत्रों में स्थापित किए जा रहे हैं जिससे उच्‍चतर शिक्षा को व्‍यापक जनसमूह तक ले जाने की राष्ट्रीय प्रतिबद्धता का पता चलता है।

राष्ट्रपति ने कहा कि बढ़ती हुई संख्‍या के साथ-साथ गुणवत्ता पर भी ध्‍यान देना होगा। यह यही सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है। प्रौद्योगिकी के आगे बढ़ने और समाजों का चौथी औद्योगिक क्रांति के निहितार्थों के साथ आमना-सामना होने की स्थिति को देखते हुए उच्चतर शिक्षा को नई उम्मीदों के अनुसार खुद को ढालना होगा। इसे विषयगत ज्ञान के मूल विचार से विचलित हुए बिना, अंत:विषयी और परस्‍पर-विषयी पद्धति का सहारा लेना चाहिए।

राष्ट्रपति ने कहा कि पारंपरिक रूप से,संसाधन जुटाने के लिए सरकार पर निर्भरता रही है परंतु सभी पक्षों को राजकोषीय सीमाओं के प्रति तथा विश्वविद्यालयों की निरंतर बढ़ती जरूरतों के प्रति सचेत रहना चाहिए। इस संबंध में,स्वयं संसाधन जुटाने पर जोर देने की आवश्यकता है। उन्‍होंनेविश्वविद्यालयों को शैक्षिक प्रयासों की प्रामाणिकता से कोई समझौता किए बिना उद्योग और अन्‍य बाहरी संस्थानों के साथ लक्षित साझेदारियों के लिए प्रोत्‍साहित किया। उन्होंने जोर देकर कहा कि विद्यार्थियों और शोधकर्ताओं में उद्यमिता की संस्कृति को बढ़ावा दिए जाने की जरूरत है।

राष्ट्रपति ने कहा किविश्वविद्यालय के प्रत्येक संकाय, प्रत्येकविधा और प्रत्येक विषयकी अपनी-अपनी एक प्रतिष्‍ठा होती है परंतु विश्वविद्यालयों में विशेषज्ञता हासिल करने की प्रवृत्ति होती है। वे कभी-कभी ऐसी विशेषज्ञता प्रदान करने लगते हैं जो अन्‍यत्र सुलभ नहीं होती। ज्ञान के दो ऐसे क्षेत्र हैं जिनमें गोवा विश्वविद्यालय राष्ट्र का मार्गदर्शन कर सकता है। पहला, पुर्तगाली भाषा और लूसोफोन अध्‍ययन विभाग है। राष्ट्रपति ने कहा कि यह इस उपमहाद्वीप में इस प्रकार का ऐसा अकेला विभाग है। उन्होंने कहा कि यह अफ्रीका से लेकर दक्षिण अमेरिका तक फैले हुए लुसोफोन देशों के बारे में जानकारी प्राप्त करने और उनके साथ नेटवर्क स्‍थापित करने का अवसर प्रदान करता है। यह पुर्तगाल और यूरोपीय संघ के साथ रिश्तों को मजबूत बनाने का भी अवसर देता है।

राष्ट्रपति ने कहा कि दूसरा क्षेत्र, समुद्री विज्ञान विभाग का है। इस विभाग की संभावित क्षमता लगभग असीम है। भारत समुद्र से घिरा हुआ है। इसके पास एक लंबी तट रेखा और विशाल समुद्री क्षेत्र है। इसके बावजूद हम समुद्री संपदा का दोहन करने और अपनी समुद्री अर्थव्यवस्था के विकास में पीछे रहे हैं। समुद्री जैव विविधता और ऊर्जा संसाधनों एवं समुद्री खनिजों में इसकी उपयोगिता के लिए इतना सब कुछ है कि हम उसका फायदा उठा सकते हैं। भारत इस क्षेत्र में अगुआकार बन सकता है और गोवा विश्वविद्यालय हमारी समुद्री अर्थव्यवस्था के ज्ञान उद्यम का आधार बन सकता है।

शाम को, राष्ट्रपति ने गोवा सरकार द्वारा उनके सम्‍मान में आयोजित एक नागरिक अभिनंदन समारोह में भाग लिया।

इस अवसर पर, राष्ट्रपति ने कहा कि गोवा का प्राकृतिक सौंदर्य अद्भुत है। इसने सदियों से समूची दुनिया के लोगों को आकर्षित किया है। इसके परिणाम स्वरुप इस संपर्क ने उन धारणाओं और विचारों को प्रोत्साहित किया है जिन्होंने गोवा के विकास में हाथ बटाया है। उन्होंने गोवा के लोगों की, विशेषकर पर्यटकों के प्रति उनके सह्दयपूर्ण स्वभाव के लिए सराहना की।

राष्ट्रपति को यह जानकर प्रसन्नता हुई कि गोवा की सरकार बालिकाओं और महिलाओं के सशक्तिकरण पर विशेष ध्यान दे रही है। उन्होंने वहां कॉमन सिविल कोड की विरासत की प्रशंसा की जिसमें प्रत्येक महिला और पुरुष को समान अधिकार प्रदान किए गए हैं। उन्होंने कहा कि गोवा सिविल कोड में हमारे संविधान में उल्लिखित समानता का आदर्श प्रतिबिंबित होता है और शेष देश के लिए एक श्रेष्ठ उदाहरण प्रस्तुत करता है।

यह विज्ञप्ति 1845 बजे जारी की गई।