भारत के राष्ट्रपति ने चामराजनगर में चामराजनगर आयुर्विज्ञान संस्थान के नवनिर्मित शिक्षण चिकित्सालय का उद्घाटन किया
राष्ट्रपति भवन : 07.10.2021
भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द ने कहा, हम आत्मनिर्भर भारत के निर्माण की आशा तभी कर सकते हैं जब हमारी प्रौद्योगिकी, मानव संसाधन और इन दोनों तक पहुंच में तालमेल स्थापित हो। वे आज (7 अक्टूबर, 2021) कर्नाटक के चामराजनगर में ‘चामराजनगर आयुर्विज्ञान संस्थान’ के नवनिर्मित शिक्षण चिकित्सालय के उद्घाटन के अवसर पर अपना वक्तव्य दे रहे थे।
इस तथ्य की ओर इशारा करते हुए कि ‘सिम्स’ के आसपास सघन वन क्षेत्र है और इस क्षेत्र में रहने वाले अनेक लोग अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति से हैं, राष्ट्रपति ने ‘सिम्स’ के प्रशासन और कर्नाटक की राज्य सरकार से आग्रह किया कि सभी के लिए सार्वभौमिक स्वास्थ्य-चर्या उपलब्ध कराने के लक्ष्य की दिशा में, राज्य सरकार उन्हें भी किफायती स्वास्थ्य-चर्या उपलब्ध कराने के लिए कदम उठाए। यह देश में चिकित्सा सेवाओं के विस्तार के वास्तविक उद्देश्य के बिलकुल अनुरूप होगा। उन्होंने कहा कि भारत सरकार पहले ही एम्स की संख्या 6 से बढ़ाकर 22 कर चुकी है। पूरे देश में स्वास्थ्य के अवसंरचनात्मक ढांचे में सुधार के लिए, सरकार हर जिले में नए मेडिकल कॉलेज भी खोल रही है। नए स्नातकोत्तर महाविद्यालयों के खुलने के साथ ही, मौजूदा स्नातकोत्तर संस्थानों को भी उत्कृष्टता केन्द्र के रूप में परिवर्तित करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। लेकिन मानव संसाधन के बिना, केवल बुनियादी ढांचे से उद्देश्य की पूर्ति नहीं की जा सकती है। यदि हमारे पास एक मजबूत वितरण तंत्र नहीं है तो समस्त प्रौद्योगिकी व्यर्थ रहेगी। हमें अपनी स्वास्थ्य सेवाओं को अपने देश के सुदूरतम क्षेत्रों तक ले जाने की आवश्यकता है। हम आत्मनिर्भर भारत के निर्माण की आशा तभी कर सकते हैं जब हमारी प्रौद्योगिकी, मानव संसाधन और इन दोनों तक पहुंच में तालमेल स्थापित हो।
राष्ट्रपति को यह जानकर प्रसन्नता हुई कि 2020-21 में ‘आयुष्मान भारत-आरोग्य कर्नाटक’ योजना के सफल कार्यान्वयन में ‘सिम्स’ को तृतीय स्थान प्राप्त हुआ। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य-चर्या तक पहुंच को बढ़ावा देने में इस संस्थान के विद्यार्थियों और प्रशासकों की महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि यहां प्रशिक्षित किए जा रहे डॉक्टर, नर्स और पैरामेडिकल कार्मिक उच्च स्तर की प्रतिबद्धता और समर्पण के साथ राष्ट्र की सेवा करेंगे और अपने पेशे तथा अपनी मातृ-संस्था को गौरवान्वित करेंगे।
पिछले वर्ष की शुरुआत से ही पूरी दुनिया में कोविड-19 महामारी के दुष्प्रभावों के बारे में राष्ट्रपति ने कहा कि हमारा देश कोई अपवाद नहीं है, और हमने इस वर्ष संक्रमण की विनाशकारी लहर का सामना किया। यह एक गंभीर संकट था, लेकिन इस संकट ने अदृश्य शत्रु के विरुद्ध इस युद्ध में सभी भारतीयों को एकजुट भी कर दिया। इस महामारी के पुनः प्रसार की संभावना काफी हद तक दूर हो गई है, और यह कार्य हमारी चिकित्सा बिरादरी के प्रभूत समर्पण के बिना संभव नहीं हो पाता। उन्होंने कहा कि कुछ लोगों ने कर्तव्य की पंक्ति में अपने प्राणों तक की आहुति दे दी। हमारा देश सदैव उनका ऋणी रहेगा। हमारे कोरोना योद्धाओं - डॉक्टरों, नर्सों, पैरामेडिकल स्टाफ और अन्य लोगों - ने अपने अथक समर्पण-भाव से हमारे देश को गौरवान्वित किया है। उन्होंने कहा कि इतिहास के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान के पीछे भी यही प्रतिबद्धता काम कर रही है। भारत ने न केवल देश में ही कोरोनावायरस के टीके तैयार किए हैं, बल्कि टीके लगाने में नए विश्व कीर्तिमान स्थापित किए हैं। एक ही दिन में, हम लगभग 2.5 करोड़ लोगों को टीका लगाने में कामयाब रहे, और हमारे टीकाकरण का कुल कवरेज शीघ्र ही एक अरब का आंकड़ा पार कर लेगा। उन्होंने कहा कि हमारे स्वास्थ्य पेशेवरों की अनुकरणीय प्रतिबद्धता के बिना यह मुकाम हासिल कर पाना संभव नहीं था।
राष्ट्रपति ने कहा कि, उनके विचार में, जिन दो पेशों पर किसी राष्ट्र के विकास की नींव टिकी होती है, वे हैं- स्वास्थ्य-चर्या और शिक्षा। और ‘सिम्स’ ने अपने में इन दोनों ही आधारों को समाहित किया हुआ है। यह स्नातक स्तर पर चिकित्सा शिक्षा प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों के लिए एक मेडिकल कॉलेज है। इसके साथ ही, इसे चामराजनगर जिले में तृतीयक स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने वाले एकमात्र मेडिकल कॉलेज होने का गौरव प्राप्त है। उन्होंने कहा कि 450 बिस्तरों वाले अस्पताल के उद्घाटन से यहां उभरती प्रतिभाओं को व्यावहारिक अनुभव और प्रशिक्षण के अधिक अवसर मिलेंगे। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि अत्याधुनिक सुविधाओं और कार्डियोलॉजी, न्यूरोलॉजी आदि जैसे क्रिटिकल केयर और सुपर स्पेशियलिटी विभागों के लिए पर्याप्त बुनियादी ढांचे वाले इस अस्पताल में इस क्षेत्र के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध होंगी।