भारत के राष्ट्रपति जोधपुर पहुंचे; उन्होंने एम्स जोधपुर के ‘द्वितीय दीक्षान्त समारोह’ को संबोधित किया; राजस्थान उच्च न्यायालय के नए भवन का उदघाटन भी किया
राष्ट्रपति भवन : 07.12.2019
भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द ने आज (7 दिसंबर, 2019) एम्स, जोधपुर के ‘द्वितीय दीक्षांत समारोह’ को संबोधित किया। उन्होंने जोधपुर में ‘राजस्थान उच्च न्यायालय’ के नए भवन का उद्घाटन भी किया।
अपने दीक्षान्त भाषण में, राष्ट्रपति ने कहा कि देश में कम लागत वाली नैदानिक, उपचार और पुनर्वास सेवाओं को विकसित किए जाने की आवश्यकता है। यह महत्वपूर्ण है कि भारत अपने स्वयं के उपकरण बनाना शुरू करे, जिससे न केवल सस्ती स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध होगी, बल्कि इससे भारत ‘मेक इन इंडिया’ पहल के भाग के रूप में चिकित्सा प्रौद्योगिकी के केन्द्र के रूप में स्थापित हो सकेगा। उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हुई कि ‘एम्स जोधपुर’ ‘आईआईटी जोधपुर’ के साथ मिलकर ‘चिकित्सा प्रौद्योगिकी नवाचार केन्द्र’ स्थापित कर रहा है। दोनों ‘एम्स-आईआईटी नॉलेज इनोवेशन क्लस्टर’ तैयार करने के लिए भी परस्पर सहयोग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह स्वागत योग्य कदम है क्योंकि इससे देश में चिकित्सा प्रौद्योगिकी क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने इन संस्थानों से इस क्षेत्र और देश में लोगों की भलाई के लिए मिलकर काम करते रहने का आग्रह किया।
राष्ट्रपति ने स्नातक उपाधि प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों से कहा कि वे करुणा के मार्ग पर चलें और अपने कौशल तथा ज्ञान का उपयोग करते हुए लोगों के जीवन की रक्षा करने या इसमें सुधार लाने का कोई भी अवसर हाथ से न जाने दें। उन्होंने कहा कि उन्हें पूरे करियर में हमेशा नैतिकता पर चलने और पेशेवर व्यवहार में उच्चतम स्तर के मानक बनाए रखने के लिए प्रयासरत रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि सभी डॉक्टर और नर्सिंग स्नातक यह स्मरण रखें कि उनके आसपास के लोग उनकी ओर आशा भरी नज़रों से देखते हैं, और उन्हें इस पेशे की उत्कृष्टता को बनाए रखना होगा।
बाद में, राजस्थान उच्च न्यायालय के समारोह में राष्ट्रपति ने कहा कि मेरी सबसे बड़ी चिंता यह है कि हम सभी के लिए न्याय किस प्रकार से सुलभ करा सकते हैं। पुराने समय में, राजमहलों में न्याय की गुहार लगाने के लिए लटकाई गई घंटियों का उल्लेख होता रहा है। कोई भी व्यक्ति घंटी बजाकर राजा से न्याय पाने के लिए प्रार्थना कर सकता था। क्या आज कोई गरीब या वंचित वर्ग का व्यक्ति अपनी शिकायत लेकर यहां आ सकता है? यह सवाल सर्वाधिक महत्वपूर्ण है, क्योंकि संविधान की प्रस्तावना में ही हम सब ने, सभी के लिए न्याय सुलभ कराने का दायित्व स्वीकार किया है।
राष्ट्रपति ने कहा कि अनेक कारणों से न्याय-प्रक्रिया बहुत खर्चीली हो गई है, यहाँ तक कि जन-सामान्य की पहुँच के बाहर हो गई है। लेकिन अगर हम गांधीजी की इस प्रसिद्ध ‘कसौटी’ को ध्यान में रखें कि अगर हम कोई कार्य करते समय गरीब से गरीब और कमजोर व्यक्ति का चेहरा याद करें तो हमें सही राह नज़र आ जाएगी। मिसाल के तौर पर, हम निशुल्क कानूनी सहायता उपलब्ध कराके जरूरतमंदों की मदद कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि आज के युग में असमानता दूर करने और सामाजिक परिवर्तन लाने में टेक्नॉलॉजी से बहुत सहायता मिली है। न्याय सुलभ कराने के लिए टेक्नॉलॉजी के जरिये न्यायपालिका के दरवाजें सामान्य लोगों के लिए खोले जा सकते हैं।