भारत के राष्ट्रपति ने "लॉ, जस्टिस एंड ज्युडिशियल पॉवर- जस्टिस पीएन भगवती’ज़ एप्रोच" पुस्तक की प्रथम प्रति प्राप्त की
राष्ट्रपति भवन : 08.02.2019
भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द ने भारत के मुख्य न्यायाधीश, न्यायमूर्ति श्री रंजन गोगोई से "लॉ, जस्टिस एंड ज्युडिशियल पॉवर- जस्टिस पीएन भगवती’ ज़ एप्रोच" पुस्तक की प्रथम प्रति प्राप्त की; श्री गोगोई ने, नई दिल्ली में आज (8 फरवरी, 2019) एक समारोह में इसका औपचारिक रूप से लोकार्पण किया।
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि ऐसा अकारण नहीं है कि न्यायमूर्ति भगवती को भारत में जनहित याचिका का जनक कहा जाता है। किसी पोस्टकार्ड पर भी दायर याचिका का संज्ञान लेने वाले देश के सर्वोच्च न्यायालय की आदर्शवादिता और सादगीसराहनीय है। जनहित याचिका की परंपरा, विधि के शासन और न्याय संदाय की प्रक्रिया में भारत का योगदान है। अन्य लोकतांत्रिक देशों और अन्य कानूनी तंत्रों ने भी इसकी प्रशंसा की है। हालांकि ऐसे उदाहरण भी देखने में आते हैं जहां पेशेवर जनहित याचिकाकर्ता अपने निहित स्वार्थों के लिए ऐसे प्रावधानों का दुरुपयोग कर सकते हैं या विधि-सम्मत निर्णय प्रक्रिया में बाधा डाल सकते हैं फिर भी, राष्ट्रपति के अनुसार, न्यायपालिका ऐसे प्रयासों का सावधानी से सामना कर रही है। उन्होंने कहा कि व्यापक परिदृश्य मेंदेखें तो जनहित याचिका जैसे तंत्र का महत्व और सेवाएं बहुत शिक्षाप्रद मालूम होती हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि न्याय की प्रक्रिया न तो स्वयं में संपूर्ण है और न ही स्थिर है। न्याय की परिभाषा के साथ-साथ न्याय के मार्ग का उद्भव और विकास मानव इतिहास की लंबी परंपराओं के साथ ही हुआ है। तीन दशक से भी अधिक समय पहले, न्यायमूर्ति भगवती और उनकी पीढ़ी के न्यायविदों ने न्याय के क्षितिज का विस्तार किया। आज, हमारेविकास के इस चरण में, सामाजिक और आर्थिक न्याय तथा जलवायु और प्रौद्योगिकी सम्बन्धी न्याय की प्राप्ति में नए प्रकार की चुनौतियाँ सामने आई हैं।
यह विज्ञप्ति 2000 बजे जारी की गई।