भारत के राष्ट्रपति ने इंडिया रैंकिंग्स – 2019 और अटल रैंकिंग ऑफ़ इंस्टीट्युशन्स ऑन इनोवेशन अचीवमेंट्स जारी किया
राष्ट्रपति भवन : 08.04.2019
भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द ने आज (8 अप्रैल, 2019) नई दिल्ली में आयोजित समारोह में इंडिया रैंकिंग्स - 2019 जारी किए और अलग-अलग श्रेणियों में शीर्ष आठ संस्थाओं को इंडिया रैंकिंग्स पुरस्कार प्रदान किए। उन्होंने अटल रैंकिंग ऑफ़ इंस्टीट्युशन्स ऑन इनोवेशन अचीवमेंट्स (एआरआईआईए) भी जारी की और शीर्ष दो संस्थानों को एआरआईआईए पुरस्कार प्रदान किए।
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि भारत में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में हुए हाल के विस्तार से उच्च शिक्षा तक पहुंच बढ़ी है और हिस्सेदारी बढ़ी है। फिर भी, गुणवत्ता अब भी चिंता का विषय बनी हुई है। हालांकि सार्वजनिक और निजी-दोनों क्षेत्रों में उत्कृष्टता के कतिपय केन्द्र मौजूद हैं, किन्तु कुल मिलकर स्थिति मानकों के मामले में असमान है। जैसे-जैसे हमारी उच्च शिक्षा का बुनियादी ढांचा विकसित होता जा रहा है और जैसे-जैसे नामांकन बढ़ रहा है, वैसे-वैसे मानकों को ऊपर उठाना जरूरी है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि उच्च शिक्षा से न केवल व्यक्तिगत आकांक्षाएं पूरी हों, बल्कि राष्ट्रीय लक्ष्य और प्राथमिकताएं भी पूरी हों, एक सुविचारित कार्यनीति लागू करना आवश्यक है।
राष्ट्रपति ने नोट किया कि समग्र रैंकिंग के अलावा, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के लिए श्रेणी-आधारित रैंकिंग शुरू की गई है; साथ ही इंजीनियरिंग, प्रबंधन, फार्मेसी, वास्तुकला, कानून और चिकित्सा जैसे क्षेत्रों के लिए विषय-आधारित रैंकिंग भी दी गई है। उन्होंने कहा कि इस तरह की रैंकिंग प्रणाली संस्थाओं के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा की भावना को बढ़ावा देती है। ऐसा करना महत्वपूर्ण है क्योंकि सभी संस्थाएं आज प्रतिभा के लिए प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं – चाहे वह शिक्षण प्रतिभा हो, या अनुसंधान की प्रतिभा हों, सर्वाधिक प्रतिभाशाली विद्यार्थी हो और यहां तक कि सर्वाधिक प्रबुद्ध प्रशासकों की खोज का मामला हो। यदि कोई संस्था सर्वोत्तम विद्यार्थियों को आकर्षित करना चाहती है, तो उसे भी सर्वश्रेष्ठ संस्थानों में से एक होना चाहिए। संस्था के लिए यह भी आवश्यक होगा कि वह छात्रों और शैक्षणिक समुदाय के सदस्यों के लिए उत्साहजनक वातावरण और उपयुक्त परिसर संस्कृति, प्रदान करने वाली हो।
राष्ट्रपति ने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि निकट भविष्य में अग्रणी विश्वविद्यालयों और उच्चतर शिक्षण संस्थाओं की वैश्विक रैंकिंग में भारतीय संस्थाएं अच्छी-खासी संख्या में अपनी उपस्थिति दर्ज कराएं। हम ज्ञान-आधारित समाज और एक नवोन्मेषी अर्थव्यवस्था के बीच चौथी औद्योगिक क्रांति के युग में रह रहे हैं। हम संख्या और मानक दोनों की कसौटी पर खरे उतरे बिना और शिक्षा के अपेक्षित बुनियादी ढांचे के बिना अपनी क्षमताओं को साकार नहीं कर सकते हैं। इसीलिए, भारत की रैंकिंग व्यवस्था में संस्थाएं जिस उत्सुकता से भागीदारी कर रहीं हैं, वह उत्सुकता कायम रहनी चाहिए और वैश्विक स्तर पर सर्वश्रेष्ठ संस्थाओं में रैंकिंग हासिल करने की ललक पैदा करने के लिए इस उत्सुकता को बढ़ाया जाना चाहिए।