राष्ट्रपति ने कहा, मानव की सबसे बड़ी सेवा उसकी क्षमता को साकार करने में मदद करना है
राष्ट्रपति भवन : 08.10.2017
भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द ने आज (08 अक्तूबर, 2017) कोल्लम, केरल में माता अमृतानंदमयी मठ द्वारा आयोजित अनेक कल्याणकारी कार्यक्रमों के शुभारंभ समारोह में भाग लिया और उसे संबोधित किया।
इस अवसर पर, राष्ट्रपति ने केरल को हमारे देश और हमारी सामसिक संस्कृति के अग्रणी आध्यात्मिक स्थान बनाया। उन्होंने कहा कि हमारे सैनिकों की वीरता और हमारे आध्यात्मिक प्रमुखों की करुणा और प्रज्ञा दो स्तंभ हैं जिनपर हमारी आशाएं टिकी हुई हैं। इससे हमारी सभ्यता सुरक्षित रही है। केरल में अध्यात्म की लौ प्रज्ज्वलित रही और ऐसा अब तक हजारों वर्षों से होता आया है। आदि शंकराचार्य, श्री नारायण गुरु और अय्यनकली जैसे पूज्यजनों ने आध्यात्मवाद की सामान्य भावना के साथ हमारे देश को एकताबद्ध करने तथा आवश्यक सामाजिक सुधार करने का प्रयास किया।
राष्ट्रपति ने कहा कि केरल की आध्यात्मिक चेतना आस्था और धार्मिक पहचान से ऊपर है। भारत की पहली मस्जिद का निर्माण केरल में हुआ। केरल की एक समृद्ध यहूदी विरासत है। ये ऐतिहासिक उदाहरण केरल के विभिन्न पंथों और धार्मिक समुदायों के परस्पर समायोजन और सद्भावना को प्रतिबिंबित करते हैं। यही वह राज्य है जहां एक समुदाय दूसरे को स्वैच्छिक रूप से स्थान देता है। यह इतिहास है जिसे हम नहीं भूल सकते और जिससे हमें सीखना चाहिए। यही समायोजन और सद्भावना है जो आध्यात्मिकता का सार है।
सामाजिक कार्यों के लिए माता अमृतानंदमयी की सराहना करते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि वह केरल की प्रबुद्ध आध्यात्मिक परंपरा का प्रतिनिधित्व करती हैं। आदि शंकराचार्य या अय्यनकली की भांति वह अपने आध्यात्मिक मिशन को राष्ट्र निर्माण में योगदान के रूप में देखती है। एक सच्चे आध्यात्मिक व्यक्ति के रूप में वह जानती हैं कि मानव सेवा ही ईश्वर की महानतम सेवा है। मनुष्यों विशेषकर वंचितों की सबसे बड़ी सेवा उनकी क्षमता को साकार करना है। इसमें स्वास्थ्य और शिक्षा में उनकी क्षमता का निर्माण करना और यह सुनिश्चित करना शामिल है कि उन्हें समान अवसर मिलें। राष्ट्रपति ने कहा कि माता अमृतानंदमयी मठ ने इन क्षेत्रों में उपयुक्त कार्य किया है।
यह विज्ञप्ति 1715 बजे जारी की गई