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राष्ट्रपति ने कहा, विश्वविद्यालय विचारों के महान केन्द्र हैं, किन्तु वे समाज से पृथक नहीं हैं – वे इसका हिस्सा हैं और इसलिए सामाजिक परिवर्तनों में शामिल रहते हैं

राष्ट्रपति भवन : 08.12.2019

भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द ने कहा कि विश्वविद्यालय विचारों के महान केन्द्र हैं, किन्तु उनकी कोई एकान्त सत्ता नहीं हैं – वे समाज का हिस्सा हैं और इसलिए सामाजिक परिवर्तनों में शामिल रहते हैं। अकादमिक समुदाय को उन क्षेत्रों में अनुसंधान कार्यों में संलग्न रहना चाहिए जो न केवल ज्ञान का नया आधार निर्मित करते हैं बल्कि ऐसे ज्ञान का आधार भी बनें, जिनका सरोकार मानव समाज से हो। राष्ट्रपति आज (8 दिसंबर, 2019) भुवनेश्वर में उत्कल विश्वविद्यालय के ‘प्लेटिनम जुबली उत्सव’ के समापन समारोह में बोल रहे थे।

राष्ट्रपति ने कहा कि विद्यार्थियों और शिक्षकों को गरीबों के सशक्तीकरण के विषयों के प्रति संवेदनशील होना चाहिए। पर्यावरण, स्वास्थ्य और शिक्षा के प्रति उत्साहपूर्वक कार्य किया जाना चाहिए। ‘उत्कल विश्वविद्यालय’ जैसे विश्वविद्यालय जो बहु-विषयक संकाय सदस्यों की मौजूदगी के समृद्ध हैं, इस कार्य को करने में अधिक सक्षम हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि ‘प्लैटिनम जुबली’ जैसे अवसर बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। एक लंबी यात्रा के दौरान, जब हम ऐसे ‘मील के पत्थर’ अर्थात् महत्वपूर्ण उपलब्धि तक पहुंचते हैं, तो कुछ क्षण रुकते हैं; एक बार पीछे मुड़कर अपनी उपलब्धियों पर नज़र डालते हैं, और फिर आगे की राह पर सधे कदमों से निकल पड़ते हैं। यह अवसर जहां उन उपलब्धियों की सराहना का होता है, वहीं उन क्षेत्रों पर मंथन करने का भी, जहां और सुधार संभव हैं। पूरे उत्कल समुदाय के लिए, यह समय यहाँ के संस्थापकों के स्वप्न को साकार करने के लिए स्वयं को पुनः समर्पित करने का समय है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि यह विश्वविद्यालय राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर उच्च शिक्षा और अनुसंधान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए प्रतिबद्ध बना रहेगा।

आज सुबह, राष्ट्रपति ने ओडिशा के खुर्दा जिले में बरुनेई हिल का दौरा किया और पाइकअ विद्रोह के स्मारक की आधारशिला रखी।

सभा को संबोधित करते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे इतिहास के स्वर्णिम अध्यायों से लोगों को परिचित करना, विशेष रूप से हमारे पूर्वजों के बलिदान के बारे में युवा पीढ़ी को जागरूक करना, राष्ट्र-निर्माण का महत्वपूर्ण हिस्सा है। उन्होंने ‘पाइकअ विद्रोह स्मारक’ के निर्माण में केन्द्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकार के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने विश्वास जताया कि इस स्मारक के माध्यम से पर्यटकों, विशेषकर युवाओं को पाइकअ विद्रोह से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त होगी।