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भारत के राष्ट्रपति ने 16वें प्रवासी भारतीय दिवस समारोह के समापन सत्र को संबोधित किया

राष्ट्रपति भवन : 09.01.2021

भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द ने आज (9 जनवरी, 2021) 16वें प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन के समापन सत्र को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संबोधित करते हुए कहा कि हमारे प्रवासी भारतीय विश्व के सम्मुख हमारा चेहरा हैं और वैश्विक मंच पर वे भारत के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए पूरे जोश से कार्य करते हैं। चाहे वह भारत के हितों से संबंधित अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों के बारे में हमारा पक्ष हो, या निवेश और धन-प्रेषण के माध्यम से भारतीय अर्थव्यवस्था में योगदान करना हो, ये प्रवासी भारतीय जन हमेशा भारत के लिए मददगार रहे हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि 1915 में आज के ही दिन, महानतम प्रवासी भारतीय, महात्मा गांधी भारत लौटे थे। उन्होंने हमारे सामाजिक सुधारों और स्वतंत्रता आंदोलन को बहुत व्यापक आधार दिया और अगले तीन दशकों के दौरान उन्होंने भारत में अनेक आधारभूत परिवर्तनों को साकार किया। की राह दी। इससे पहले, अपने दो दशकों के विदेश प्रवास के दौरान, बापू ने भारत की प्रगति और विकास के लिए अपनाए जाने वाले मूल सिद्धांतों की पहचान कर ली। राष्ट्रपति ने कहा कि व्यक्तिगत और सामूहिक जीवन के लिए भी प्रवासी भारतीय दिवस, गांधीजी के आदर्शों को याद करने का अवसर है। उन्होंने कहा कि हमें गांधीजी से भारतीयता, अहिंसा, नैतिकता, सादगी और सतत विकास पर बल जैसे मार्गदर्शक सिद्धांत प्राप्‍त हुए हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि हम श्री अटल बिहारी वाजपेयी के ऋणी हैं जिनकी दूरदर्शिता के परिणाम स्‍वरूप प्रवासी भारतीयों के साथ हमारे संबंधों में नई ऊर्जा का संचार हुआ। संकल्प के माध्यम से प्रवासी भारतीयों के साथ हमारे संबंध फिर से सक्रिय हुए। 2003 में जब वे भारत के प्रधानमंत्री थे, तब प्रवासी भारतीय दिवस समारोह का आयोजन आरम्भ हुआ। अटलजी की पहल मातृभूमि के साथ प्रवासी भारतीयों के जुड़ाव को मजबूत करने में काफी मददगार सिद्ध हुई है।

राष्ट्रपति ने कहा कि प्रवासी भारतीयों की संख्‍या लगभग 3 करोड़ है और दुनिया की विशालतम प्रवासी आबादी में से एक है। प्रवासी भारतीय आज दुनिया के हर कोने में बसे हुए हैं। प्रवासी भारतीयों को संबोधित करते हुए, राष्ट्रपति ने कहा "आपने भारत की ‘सॉफ्ट पावर’ का प्रसार किया है और वैश्विक मंच पर अपनी छाप छोड़ी है। भारत, भारतीय संस्कृति और भारतीय परंपराओं के प्रति आपके सतत भावनात्मक लगाव को देखकर हम सभी को आप पर बहुत गर्व होता है। अपने निवास वाले देशों की प्रगति और विकास में तो आपका योगदान है ही, इसके साथ ही, आपके दिलों में भारतीयता भी बसती है। इस भावनात्मक लगाव से भारत को अनेक वास्तविक लाभ भी प्राप्‍त हुए हैं। आपने भारत की वैश्विक स्वीकार्यता का विस्तार किया है।"

कोविड महामारी के बारे में राष्ट्रपति ने कहा कि वर्ष 2020, कोविड-19 से उत्पन्न वैश्विक संकट का वर्ष रहा है। महामारी से उत्पन्न भारी चुनौतियों से निपटने के लिए वैश्विक स्तर पर कार्रवाई करने में भारत सबसे अग्रिम पंक्ति में रहा है। हमने लगभग 150 देशों में दवाओं की आपूर्ति की, जिससे विश्व में भारत की पहचान 'फार्मेसी ऑफ़ द वर्ल्ड' के रूप में बनी। हमारे वैज्ञानिकों और तकनीशियनों को कोविड के दो टीके विकसित करने में हाल ही में मिली सफलता, ‘आत्म-निर्भर भारत अभियान’ की दिशा में बड़ी उपलब्धि है जो वैश्विक कल्याण की भावना से संचालित है।

राष्ट्रपति ने कहा कि अनेक वर्ष पहले ही महात्मा गांधी के स्वदेशी और आत्मनिर्भरता के आह्वान से ‘आत्म-निर्भर भारत’ बीज बोया जा चुका था। आत्म-निर्भर भारत की हमारे सोच में अर्थव्यवस्था, अवसंरचना, जनसांख्यिकी, लोकतंत्र और आपूर्ति श्रृंखलाओं के रूप में पाँच प्रमुख स्तंभ शामिल हैं। इन सभी कारकों के सफल एकीकरण से तेजी से प्रगति और विकास करने में सहायता मिलेगी। राष्ट्रपति ने कहा कि ‘आत्म-निर्भर भारत’ की सोच का अर्थ यह कतई नहीं है कि हम आत्म-केंद्रित व्यवस्था बनाना चाहते हैं या देश को अंतर्मुखी बनाना चाहते हैं। यह पहल, आत्म-विश्वास के बारे में है जिससे हम आत्म-निर्भरता की ओर आगे बढ़ेंगे। हम वस्तुओं और सेवाओं की उपलब्धता बढ़ाकर वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में आए व्यवधान को दूर करने की दिशा में योगदान करना चाहते हैं। भारत के ‘आत्म-निर्भर भारत’ अभियान से विश्व अधिक न्यायसंगत और निष्पक्ष बन सकेगा जिससे अधिक से अधिक सहयोग और शांति को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि भारत की वैश्विक आकांक्षाओं की प्राप्ति में हमारे प्रवासी भारतीयों की भूमिका महत्वपूर्ण है।