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भारत के राष्ट्रपति ने राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी उद्यमशीलता और प्रबंधन संस्थान, सोनीपत के प्रथम दीक्षांत समारोह को संबोधित किया

राष्ट्रपति भवन : 10.02.2018

भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द ने आज (10 फरवरी, 2018) सोनीपत (हरियाणा) में राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी उद्यमशीलता और प्रबंधन संस्थान (निफ्टेम) के प्रथम दीक्षांत समारोह में भाग लिया और उसे संबोधित किया।

इस अवसर पर, राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे पूर्वजों द्वारा सिंधु घाटी में अन्न उपजाने के बाद से भारत लगातार एक कृषि आधारित अर्थव्यवस्था बना हुआ है। पोषक अनाज की अनेक किस्में और विभिन्न किस्म की दालें भारतीय अनुभव की पहचान हैं। यही बात, जिलेवार न सही परंतु एक राज्य से दूसरे राज्य में बदलने वाली खानपान की आदतों और व्यंजनों पर भी लागू होती है। ये भारत के विस्तार और विविधता, जो हमारी ताकत है, के प्रतीक हैं। इस ताकत के मूल में हमारे लाखों-करोड़ों किसान हैं। ये करोड़ों स्त्री-पुरुष हमारे लिए अन्न पैदा करने के लिए अथक मेहनत और कड़े प्रयास करते हैं। वे न केवल खाद्य सुरक्षा में बल्कि वस्तुत: राष्ट्रीय सुरक्षा में योगदान देते हैं। ऐसे नि:स्वार्थ कार्य करने वाले किसानों की कमाई प्राय: सीमित होती है और उन्हें मानसून और बाजार की अनिश्चितता का सामना करना पड़ता है।

राष्ट्रपति ने कहा कि एक समाज के रूप में और एक नागरिक के रूप में, हम पर अपने किसानों का जीवन बेहतर बनाने तथा उन्हें प्राकृतिक व मौसम संबंधी आपदाओं और यथा- संभव मांग एवं पूर्ति के उतार-चढ़ाव से मुक्त करने का दायित्व है। यही सरकार का संकल्प है और उसने इसे आगे बढ़ाने के लिए नीतियां व कार्यक्रम आरंभ किए हैं। इन कार्यक्रमों के लिए खाद्य आपूर्ति शृंखला के साथ विज्ञान और प्रौद्योगिकी का प्रयोग अत्यावश्यक है। और ऐसी स्थिति में, ‘निफ्टेम’ जैसे संस्थान और यहां के स्नातक प्रमुख भूमिका निभा सकते हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि जैसे-जैसे सामाजिक आदतों में बदलाव हो रहा है और खास तौर पर हमारे शहरों में एकल परिवारों की संख्या बढ़ रही है, भारत में पैक किए हुए और ‘खाने के लिए तैयार’ खाद्य उत्पादों की मांग बढ़ती जा रही है। खाद्य पदार्थों में शामिल अवयवों की गुणवत्ता, सुरक्षा और लेबल मानकों को वैश्विक मापदण्डों के बराबर रखना एक चुनौती है। यह आवश्यक है कि पैकेज किये हुए आहार से सुविधा और सेहत को बढ़ावा मिले और यह भी कि भारत के प्रत्येक राज्य में पाए जाने वाले पोषक अन्न और पारंपरिक खाद्य वस्तुओं का अस्तित्व बना रहे। खाद्य उद्योगों का यह दायित्व है कि वह नवान्वेषण करें और हमारे देश में जीवनशैली से उत्पन्न रोगों के प्रकोप का सरल उपयोगी समाधान निकालें। यह सब करने के लिए, हमें विशेषकर सदियों तक भारत का गौरव रहे पारंपरिक और पोषक तथा देश-विदेश के अधिक से अधिक उपभोक्ताओं को सुलभ कराए जा सकने वाले खाद्य पदार्थों के अपने खुद के ब्रांड बनाने के प्रति जागरूक भी रहना होगा।

राष्ट्रपति ने कहा कि ‘निफ्टेम’ ऐसे ही सामाजिक संदर्भ में उभर कर सामने आया है। इस संस्थान के स्नातक, किसानों को समाज व प्रौद्योगिकी के साथ जोड़ते हुए, उद्यमशीलता और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के साथ जोड़ते हुए अपनी केन्द्रीय भूमिका निभाएंगे। उनका दायित्व अनेक प्रकार के हित धारकों-जैसे उद्योग क्षेत्र,विनियामकों, नीति निर्माताओं, उपभोक्ताओं, वित्तीय और ऋणदाता संस्थाओं तथा किसानों के बीच साझेदारियां निर्मित करने का है।

यह विज्ञप्ति 1415 बजे जारी की गई