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भारत के राष्ट्रपति कल आइसलैंड पहुंचे; उन्होंने भारतीय समुदाय और ‘फ्रेंड्स ऑफ़ इंडिया’ द्वारा आयोजित स्वागत समारोह को संबोधित किया

राष्ट्रपति भवन : 10.09.2019

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भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द आइसलैंड, स्विट्जरलैंड और स्लोवेनिया की अपनी यात्रा के पहले चरण में कल (9 सितंबर, 2019) रेक्याविक पहुंचे। 2005 में डॉ. कलाम की यात्रा के बाद यह किसी भारतीय राष्ट्रपति द्वारा आइसलैंड की पहली यात्रा है।

आज (10 सितंबर, 2019), राष्ट्रपति ने ‘बेससतादिर प्रेसिडेंशियल रेजिडेंस’ पहुँचने के साथ अपनी कार्यक्रमों की शुरुआत की, जहां आइसलैंड के राष्ट्रपति, श्री गुडनी योहानेसन ने उनकी अगवानी की और उनका समाहोरिक स्वागत किया गया।

राष्ट्रपति योहानेसन के साथ परस्पर चर्चा के दौरान, राष्ट्रपति ने गर्मजोशी भरे स्वागत और अतिथि-सत्कार के लिए उनका धन्यवाद किया। उन्होंने जलवायु परिवर्तन से निपटने और महासागरों के प्रबंधन में आइसलैंड के नेतृत्व की सराहना की। उन्होंने इन दोनों क्षेत्रों में भारत के सुदृढ़ समर्थन का आश्वासन दिया। राष्ट्रपति ने मई 2019 में आइसलैंड द्वारा ‘आर्कटिक काउंसिल’ की अध्यक्षता का पद ग्रहण करने पर उन्हें बधाई दी। उन्होंने कहा कि एक पर्यवेक्षक की भूमिका में भारत विचार-विमर्श में सक्रिय रूप से भाग लेगा और योगदान देगा। इसके बाद, राष्ट्रपति ने दोनों पक्षों के बीच शिष्टमंडल स्तरीय वार्ता का नेतृत्व किया।

दोनों पक्षों ने इस बात पर सहमति जताई कि आतंकवाद मानवता के लिए गंभीर खतरा है और दोनों देशों ने आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई को मजबूत करने के लिए साथ मिलकर काम करने की प्रतिबद्धता जताई। राष्ट्रपति कोविन्द ने, भारत की प्रमुख चिन्ताओं की समझ के लिए राष्ट्रपति योहानेसन का आभार जताया; उन्होंने बताया कि भारत कई दशकों से सीमा पार आतंकवाद का शिकार रहा है। दोनों पक्षों ने सहमति व्यक्त की कि आतंकवाद मूलभूत मानव-अधिकारों का जघन्यतम उल्लंघन है और इसके हर प्रारूप से दृढ़ता के साथ निपटने की आवश्यकता है।

आर्थिक पहलू के बारे में राष्ट्रपति ने कहा कि आइसलैंड-भारत साझेदारी को मजबूत करने की प्रचुर संभावना है। दोनों पक्षों ने चर्चा की कि व्यापार, निवेश, प्रौद्योगिकी और नवाचार सहयोग का विस्तार किस प्रकार से किया जा सकता है। भारत ने 2025 तक पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य तय किया है; ऐसी स्थिति में भारत की परिवर्तनकारी प्रगति और आइसलैंड की प्रौद्योगिकी व तकनीकी ज्ञान से दोनों देश एक दूसरे के लिए बहुत लाभप्रद सिद्ध हो सकते हैं।

भारत ने जलवायु परिवर्तन, समुद्री कचरे और पर्यावरण संबंधी अन्य मुद्दों पर आइसलैंड के साथ हर संभव तरीके से सहयोग करने पर सहमति जताई। राष्ट्रपति ने कहा कि भारत अपनी आर्थिक प्रगति को स्वच्छ प्रौद्योगिकी के साथ जोड़ना चाहता है। उन्होंने कहा कि भारत सतत मत्स्य-आखेट, समुद्री अर्थव्यवस्था, नौवहन, हरित विकास, ऊर्जा, निर्माण और कृषि क्षेत्रों में आइसलैंड की क्षमताओं का लाभ उठाने का इच्छुक है। जबकि, भारतीय कंपनियां फार्मा, उच्च स्तर आईटी सेवाओं, जैव प्रौद्योगिकी, ऑटोमोबाइल्स, नवाचार और स्टार्ट-अप के क्षेत्र में आइसलैंड के लिए अवसर उपलब्ध करा सकती हैं।

भारत और आइसलैंड ने मत्स्य-आखेट सहयोग, सांस्कृतिक सहयोग और राजनयिक व सरकारी पासपोर्ट-धारकों को वीजा में छूट देने के क्षेत्र में तीन करारों पर भी हस्ताक्षर किए और इनका आदान-प्रदान किया। राष्ट्रपति कोविन्द ने घोषणा की कि आइसलैंड विश्वविद्यालय में हिन्दी भाषा शिक्षण शीघ्र ही शुरू होगा और बताया कि आइसलैंड विश्वविद्यालय में भारत की सहायता से हिंदी अध्ययन पीठ की स्थापना की सभी औपचारिकताएं पूरी हो चुकी हैं।

राष्ट्रपति कोविन्द द्वारा इस अवसर पर दिया गया प्रेस वक्तव्य संलग्न है।

बाद में, राष्ट्रपति ने "इंडिया-आइसलैंड फॉर अ ग्रीनर प्लेनेट" विषय पर आइसलैंड विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों और संकाय सदस्यों को संबोधित किया।

राष्ट्रपति ने कहा कि आज, ऐसे वैश्विक मंचों की संख्या बढ़ रही है, जहां हम पर्यावरण संरक्षण, जैव विविधता संरक्षण, कार्बन सिंक और हरित विकास पर चर्चा कर रहे हैं। फिर भी, इस विषय पर व्यापक जानकारी उपलब्ध होने के बावजूद, हमारे सामने ग्लेशियर और बर्फ की परतें तेजी से पिघल रही हैं, अतिविषम मौसम सामने आ रहे हैं, समुद्री संसाधन कम हो रहे हैं, वन्य-क्षेत्र सिकुड़ रहे हैं और जैव-विविधता घट रही है। स्पष्ट है कि, जानकारी में वृद्धि और वैज्ञानिक प्रमाणों की उपलब्धता के बाद भी जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय क्षय से निपटने के लिए पर्याप्त व्यावहारिक कार्रवाई नहीं हुई है।

राष्ट्रपति ने कहा कि भारत आज दुनिया की सर्वाधिक तेजी से बढ़ रही प्रमुख अर्थव्यवस्था है और हमें अपनी ऊर्जा उत्पादन में प्रभूत विस्तार की आवश्यकता है। लेकिन हम इसे टिकाऊ तरीके से कर रहे हैं। विकास की दिशा में आगे बढ़ते हुए भी, हम पेरिस समझौते के तहत अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के रास्ते पर चल रहे हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि भारत ने 2022 तक ‘एकल-उपयोग प्लास्टिक’ को खत्म करने का संकल्प लिया है। उन्होंने यह भी कहा कि जल संरक्षण के लिए और देश भर के सभी घरों में पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए, भारत ने महत्वाकांक्षी ‘राष्ट्रीय जल कार्यक्रम’ आरम्भ किया है। इससे, लाखों लोगों की प्यास बुझेगी और हमारी पारिस्थिति की व पर्यावास को पोषण प्राप्त होगा।

शाम को, राष्ट्रपति, आइसलैंड के राष्ट्रपति द्वारा अपने सम्मान में आयोजित राज-भोज में शामिल होंगे।

कल शाम (9 सितंबर, 2019), राष्ट्रपति ने आइसलैंड में भारत के राजदूत श्री टी. आर्मस्ट्रांग चांगसन की मेजबानी में भारतीय समुदाय और ‘फ्रेंड्स ऑफ़ इंडिया’ के स्वागत समारोह में हिस्सा लिया।

राष्ट्रपति ने कहा कि भारत परिवर्तनकारी विकास पथ पर अग्रसर है। हमने 2025 तक पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए व्यापक सुधार प्रक्रिया जारी है। उन्होंने प्रवासी भारतीयों को भारत की परिवर्तनकारी यात्रा का हिस्सा बनने के लिए आमंत्रित किया। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी, निवेश, पर्यटन और सांस्कृतिक संबंध बनाने और आइसलैंड एवं विश्व के साथ भारत के संबंधों को मजबूत करने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका है।