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भारत के राष्ट्रपति ने 29वें महालेखाकार सम्मेलन का उद्घाटन किया; उन्होंने कहा कि लेखा-परीक्षा अपने आप में एक साध्‍य नहीं है, बल्कि सरकारों के बेहतर ढंग से काम करने का एक साधन है

राष्ट्रपति भवन : 10.10.2018

भारत के राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविन्‍द ने आज (10 अक्टूबर, 2018) नई दिल्ली में 29वें महालेखाकार सम्मेलन का उद्घाटन किया।

इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि 29वां महालेखाकार सम्मेलन जवाब देही, पारदर्शिता और सुशासन को प्रोत्साहित करने के हमारे मिशन को आगे बढ़ाने के लिए आवश्यक तत्वों पर आत्‍म-चिंतन और विचार-विमर्श करने का एक सही अवसर है। इस वर्ष के सम्मेलन का विषय ‘ऑडिटिंग एंड अकाउंटिंग इन ए डिजिटल इरा’ है। जबकि आज सरकार ‘डिजिटल इंडिया’ का वातावरण बनाने में तेज प्रगति कर रही है तब यह विचार-विमर्श अत्‍यंत प्रासंगिक है।

राष्ट्रपति को यह जानकर खुशी हुई कि नियंत्रक और महालेखा परीक्षक संस्था ने एक ‘डेटा प्रबंधन नीति’ तैयार की है और अपने लेखापरीक्षा कार्य में वह डेटा विश्लेषण विज्ञान का प्रयोग निरंतर बढ़ा रही है। उन्होंने कहा कि डेटा विश्लेषण तकनीकों के प्रयोग के जरिए नियंत्रक और महालेखा परीक्षक न केवल वर्तमान हेतु अंतर्दृष्टि निर्मित करने में सहायता कर सकता है बल्कि विश्वसनीय पूर्वानुमान उपलब्ध करवाने में भी मदद कर सकता है। डिजिटल अर्थव्यवस्था में व्‍यापक होते जा रहे डेटा के प्रबंधन और परीक्षण के उपयुक्त साधनों के द्वारा नियंत्रक और महालेखा परीक्षक अर्थव्यवस्था, शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण, राष्ट्रीय सुरक्षा आदि से संबंधित दीर्घकालिक प्रवृत्तियों और उभरते हुए मुद्दों का पूर्वानुमान करने की सही स्थिति में है।विधि निर्माताओं और कार्यपालिका को इस पर ध्‍यान की जरूरत है।

राष्ट्रपति ने कहा कि लेखापरीक्षा अपने आप में एक साध्‍य नहीं है। बल्कि सरकारों के बेहतर ढंग से काम करने का एक साधन है। परिणामों की अपेक्षा कार्यक्रम के महत्व के अधिक सार्थक मापदण्‍ड के रूप में निष्कर्षों पर हमें जोर देना होगा। एक संगठन के रूप में, नियंत्रक और महालेखा परीक्षक इस पर चिंतन कर सकता है कि कार्यक्रमों के प्रभाव का अध्ययन करने के लिए वह किस प्रकार से निष्कर्षों की पहचान, समझ और मापन करे। कार्यक्रम प्रभावशीलता के ऐसे अध्ययन से नीति निर्माताओं को बहुत लाभ होगा। ऐसे अध्ययन में कार्यान्वयन एजेंसियों की प्रेरणाओं और परिप्रेक्ष्य को समझने के लिए उनके साथ संवाद भी शामिल किया जाना चाहिए।

राष्ट्रपति ने कहा कि हाल के समय में हमने निधियों, कार्यों और कार्य-संचालकों का विकेन्‍द्रीकरण किया है। राज्य सरकारों को अब पहले से अधिक गुंजाइश उपलब्ध है। स्थानीय शहरी निकायों और पंचायतों के माध्यम से अनेक कल्याणकारी योजनाएं लागू की जाती हैं। फिर भी, यह सच है कि स्थानीय स्तर पर जवाबदेही तंत्र उतना मज़बूत नहीं है। यह लेखा-जोखा कि धन का व्‍यय सही तरीके से किया गया है या नहीं, और उससे अभीष्‍ट बदलाव आया है या नहीं, लेने के प्रयोजन से की जाने वाली सामाजिक संपरीक्षा अधिकांश मामलों में, योजना के लाभार्थियों द्वारा ही की जाती है। ऐसी स्थिति में एक संस्था के रूप में नियंत्रक और महालेखा परीक्षक लेखापरीक्षा संबंधी दिशानिर्देशों के निर्माण, मापदंडों के विकास, कार्य-विधि पद्धतियों और प्रतिवेदन तैयार करने के संबंध में स्थानीय नागरिकों और राज्य लेखापरीक्षा सोसायटियों को प्रशिक्षण देने, क्षमता निर्माण करने और परामर्श जारी करने के लिए उनके साथ साझेदारी कर सकता है।

यह विज्ञप्ति 1220 बजे जारी की गई।