भारत के राष्ट्रपति ने ग्वालियर में, ‘डॉ.राम मनोहर लोहिया चतुर्थ स्मृति व्याख्यान’ दिया
राष्ट्रपति भवन : 11.02.2018
भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द ने आज (11 फरवरी, 2018) ग्वालियर, मध्य प्रदेश में, ‘डॉ.राम मनोहर लोहिया चतुर्थ स्मृति व्याख्यान’ दिया।
इस अवसर पर, उपस्थितजनों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि डॉ. राम मनोहर लोहिया ने अपना जीवन लोगों के कल्याण के लिए समर्पित कर दिया था और उन्होंने समाज के वंचित वर्गों के लिए अनवरत संघर्ष किया। समाज के कमजोर वर्गों की डॉ. लोहिया की परिभाषा में दलित, आदिवासी, महिलाएं और पिछड़ी जातियां शामिल थीं। उनके लिए ‘विशेष अवसर’ दिए जाने का सुझाव उन्होंने दिया। डॉ. लोहिया का कहना था कि यदि ‘समान अवसर’ और ‘विशेष अवसर’ के बीच चुनाव करना पड़े तो ‘विशेष अवसर’ को ही चुनना चाहिए।‘समान अवसर’ की बात तब होनी चाहिए जब शिक्षा, रोजगार और जीविका आदि तक हर व्यक्ति की पहुंच हो जाए।
राष्ट्रपति ने कहा कि डॉ. लोहिया को उनके अथक प्रयासों, निर्बाध राजनीतिक यात्रा और अपने सिद्धांतों के लिए सब कुछ त्याग देने का साहस तथा सत्य को बिना लाग-लपेट के बोलने की हिम्मत के कारण भारतीय राजनीति का ‘संत कबीर’ कहा जा सकता है। राष्ट्रपति ने कहा कि महात्मा गांधी, डॉ. बी.आर. अम्बेडकर, डॉ. लोहिया और दीनदयाल उपाध्याय ने अपना जीवन समाज के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्तियों के कल्याण में लगा दिया। उन सभी ने भारत की समस्याओं के अपरिचित समाधानों की बजाय सर्व-समावेशी और जमीनी उपायों पर जोर दिया। यद्यपि उनके तरीकों में कुछ अंतर था परन्तु पारंपरिक रूप से वंचित वर्गों पर विशेष बल देते हुए भारत के सभी लोगों को समान अधिकार देने का उनका लक्ष्य एक जैसा था। राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे इतिहास के उस महान दौर के जननायकों की सोच से आज हमें पे्रेरणा लेनी होगी और हमारे समाज की अंतिम कतार में खड़े अंतिम व्यक्ति के चेहरे पर मुस्कान लानी होगी। ऐसे ही प्रयास डॉ. लोहिया के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होंगे।
दिन की शुरुआत में, राष्ट्रपति ने ग्वालियर को ‘दिव्यांग सहायक जिला’ घोषित करने तथा कृत्रिम अंग वितरित करने के लिए आयोजित एक समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया। दिल्ली लौटने से पूर्व उन्होंने जीवाजी विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह को भी संबोधित किया।
ग्वालियर को ‘दिव्यांग सहायक जिला’ घोषित करने के लिए आयोजितसमारोह में राष्ट्रपति ने दिव्यांग जनों के जीवन को बेहतर और सुगम बनाने के प्रयासों के लिए सरकार और गैर सरकारी संगठनों की सराहना की। उन्होंने दिव्यांगता के बारे में जागरूकता और संवेदनशीलता बढ़ाने का आग्रह लोगों से किया। जीवाजी विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए, राष्ट्रपति ने इस बात पर बल दिया कि शिक्षा को, प्रौद्योगिकी द्वारा प्रस्तुत की गई और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के चलन से पैदा हुई चुनौतियों और अवसरों के साथ निपटना होगा। इस संबंध में, विश्वविद्यालय के शिक्षकों की भूमिका अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।
यह विज्ञप्ति 1735 बजे जारी की गई