भारत के राष्ट्रपति मॉरिशस पहुंचे; महात्मा गांधी संस्थान में विद्यार्थियों को संबोधित किया; उन्होंने कहा कि भारत की आकांक्षा है कि मॉरिशस समूचे हिन्द महासागर क्षेत्र में एक अग्रणी अर्थव्यवस्था और शांति व स्थिरता की आवाज़ बने
राष्ट्रपति भवन : 11.03.2018
भारत के राष्ट्रपति,श्री राम नाथ कोविन्द आज (11 मार्च, 2018) मॉरिशस और मेडागास्कर की अपनी राजकीय यात्रा के पहले चरण में मॉरिशस पहुंचे। मॉरिशस के माननीय प्रधान मंत्री, श्री प्रविन्द कुमार जगन्नाथ और उनकी पूरी कैबिनेट तथा सैकड़ों गणमान्य और स्थानीय लोगों ने हवाई अड्डे पर उनका स्वागत किया।
बाद में,राष्ट्रपति कोविन्द ने मोका, मॉरिशस के महात्मा गांधी संस्थान में,जहां उन्होंने महात्मा गांधी की प्रतिमा पर श्रद्धांजलि भी अर्पित की,विद्यार्थियों और युवाओं की भारी भीड़ को संबोधित किया।
संस्थान में राष्ट्रपति ने कहा कि वह मॉरिशस के इतिहास के महत्वपूर्ण पड़ाव, अर्थात् औपनिवेशिक शासन से स्वतंत्रता की 50वीं वर्षगांठ पर मॉरिशस आने पर सम्मानित महसूस कर रहे हैं। कल, 12 मार्च न केवल मॉरिशस की स्वतंत्रता की स्वर्ण जयंती है बल्कि इस राष्ट्र के गणराज्य बनने की 26वीं वर्षगांठ भी है।
राष्ट्रपति ने कहा कि 200 वर्ष पहले 1820 के दशक में भारत के लोग पहली बार मॉरिशस पहुंचे। 1834 में,भारत के पहले गिरमिटिया मजदूर इन तटों पर पहुंचे। उन शुरुआती चुनौतियों के बाद से,भारतीय समुदाय ने एक लंबा सफर तय किया है। इसने अपनी विविध पृष्ठभूमि वाले नागरिकों के साथ मॉरिशस को समृद्ध देश और इस क्षेत्र का एक आदर्श देश बनाने में योगदान दिया है। एक पक्के मित्र के रूप में भारत को इनके प्रयासों में सहयोग देकर गर्व होता रहा है। उन्होंने कहा कि मॉरिशस के भारतीय समुदाय में वे लोग शामिल हैं जो बिहार और उत्तर प्रदेश से लेकर तमिलनाडु से गुजरात और अन्य अनेक भारतीय राज्यों में अपनी जड़ें पाते हैं। उन्होंने उनसे आग्रह किया कि वे मॉरिशस और भारत तथा मॉरिशस और भारत के अलग-अलग राज्यों के बीच एक जीता-जागता सेतु बनें।
राष्ट्रपति ने कहा कि मॉरिशस के लिए भारत का प्रेम और स्नेह भावना अफ्रीका और हिन्द महासागर क्षेत्र के लिए हमारी साझी आकांक्षाओं का प्रतीक है। सबसे बढ़कर, हमारी जनता हमें एकजुट करती है। मॉरिशस भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग कार्यक्रम के सबसे बड़े प्रतिभागी देशों में से एक है। यहां के 300से ज्यादा युवा प्रत्येक वर्ष भारत में असैन्य और रक्षा संबंधी प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं। भारत अफ्रीका मंच शिखर सम्मेलन पहल के भाग के रूप में,भारत के अफ्रीका छात्रवृत्ति कार्यक्रम के अंतर्गत प्रत्येक वर्ष मॉरिशस के विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा के लिए 97 छात्रवृत्तियां प्रदान की जाती हैं। इसके अलावा 200 अन्य विद्यार्थी स्ववित्त पोषण आधार पर भारतीय विश्वविद्यालयों में स्वयं दाखिला लेते हैं। वे घनिष्ठ मित्रों के रूप में भारत आते हैं। और हम उन्हें भारत के दूतों के रूप में और हमारी साझेदारी के आजीवन समर्थकों के रूप में वापस भेजते हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे सामने दोहनकारी और भारी ऊर्जा खपत वाले मॉडलों के प्रयोग के बिना अपने समाज और अर्थव्यवस्था को आधुनिक बनाने की चुनौती है। भारत इस चुनौती का मुकाबला करने का भरसक प्रयास कर रहा है परंतु यह अकेले भारत की चुनौती नहीं है। यह चुनौती प्रत्येक देश और प्रत्येक विश्व नागरिक के लिए है। एक द्वीपीय राष्ट्र होने के कारण मॉरिशस को वास्तव में इस चुनौती के प्रति अति सावधान है।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत मॉरिशस को हिन्द महासागर क्षेत्र के उभरते हुए संस्थागत संस्थान में केन्द्रीय भूमिका में देखता है और हम इस शानदार जलराशि में एक-दूसरे से बहुत दूर तक जाना चाहते हैं। मॉरिशस के लिए हमारी आकांक्षा है कि यह एक अग्रणी अर्थव्यवस्था और समूचे हिन्द महासागर क्षेत्र में शांति और स्थिरता की आवाज़ के रूप में उभरे।
राष्ट्रपति ने पोर्ट लुई के निकट स्टेट हाउस में मॉरिशस गणराज्य की महामहिम राष्ट्रपति,डॉ. अकीमा गरीब-फाकिम से भेंट की। विचार-विमर्श के दौरान राष्ट्रपति ने अपने हार्दिक स्वागत के लिए मॉरिशस सरकार और जनता को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि ऐसा महसूस होता है जैसे वह भारत में और अपने लोगों के बीच में हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत मॉरिशस के साथ विकास सहयोग साझेदारी के प्रति वचनबद्ध है। भारत मॉरिशस के लिए अपने क्षमता निर्माण और वित्तीय सहायता कार्यक्रम को और मजबूत बनाना चाहता है। उन्होंने कहा कि हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हमारे द्विपक्षीय संबंधों की पारंपरिक मजबूती,गतिशीलता और ऊंचे दर्जे को आगे ले जाने की जिम्मेदारी हमारे युवाओं को सौंपी जाए। हमारे द्विपक्षीय क्षेत्रीय और प्रवासी समुदाय नेटवर्क में युवाओं को और भी अधिक जोड़ने की आवश्यकता है।
बाद में शाम को,राष्ट्रपति अपने सम्मान में मॉरिशस के माननीय प्रधान मंत्री प्रविन्द कुमार जगन्नाथ द्वारा आयोजित एक राजभोज में भाग लेंगे।
यह विज्ञप्ति 1940 बजे जारी की गई