भारत के राष्ट्रपति ने राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस समारोह को संबोधित किया
राष्ट्रपति भवन : 11.05.2018
भारत के राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविन्द ने, आज (11 मई, 2018) नई दिल्ली में राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस समारोह में भाग लिया और उसे संबोधित किया।
इस अवसर पर, राष्ट्रपति ने कहा कि स्वतंत्रता के बाद भारत ने अंतरिक्ष और परमाणु ऊर्जा के क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी और ज्ञान अर्जन के सोपान पर आगे बढ़ना शुरू किया। आज हमने संचार प्रौद्योगिकी, सूचना प्रौद्योगिकी, औषध विज्ञान और जैव-प्रौद्योगिकी की अपने किस्म की सर्वोत्तम क्षमताओं का विस्तार किया है। इससे हमारे देश के बारे में अवधारणाएं बदल गई हैं और हमारे लोगों और हमारी अर्थव्यवस्था-दोनों को इससे मदद मिली है। पिछले वर्ष में ही हमने इंडियन रीजनल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम 1एल केप्रक्षेपण जैसी अद्वितीय उपलब्धि हासिल की है। हम चंद्रमा के लिए चंद्रयान-2 मिशन की भी तैयारी कर रहे हैं। भारत को दवाओं और रोग प्रतिरक्षण टीकों के मामले में प्रचुर ख्याति प्राप्त है।
समारोह में पुरस्कार विजेताओं को बधाई देते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे नवाचार और प्रौद्योगिकी प्रयासों में गुणवत्ता पर बल दिया जाता है और इसके साथ कोई समझौता नहीं किया जा सकता। कभी ऐसा समय भी था जब हम कम खर्च वाले और किफायती नवाचार को जुगाड़ समझते थे। जुगाड़ का मतलब- छोटा-मोटा, थोड़ा-थोड़ा करके किया जाने वाला प्रगामी परिवर्तन या मुख्य रूप से प्रौद्योगिकी में कट एंड पेस्ट वाला तरीका था। एक समाज के रूप में हमने ऐसी मानसिकता को समाप्त किया है और आगे भी करते रहना चाहिए। आज के पुरस्कार विजेता इस बात के उदाहरण हैं कि हम कैसे निर्भीक होकर, जोखिम लेते हुए और कुशलता के साथ आगे बढ़ रहे हैं और कैसे हम कल्पनाशक्ति और नवाचार के साथ तेजी से प्रगति कर रहे हैं। उत्पादों और प्रक्रियाओं से परे, हमारे प्रौद्योगिकी इनक्यूबेटरों के बीच यह जो नई ऊर्जा है, वह स्फूर्ति दायक है।
राष्ट्रपति ने कहा कि अब हमें नए सीमांतों को खोजना होगा। सरकार रोबोटिक्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, डिजिटल विनिर्माण, बिग-डेटा विश्लेषण विज्ञान, क्वांटम संचार और इंटरनेट ऑफ थिंग्स में युवा प्रौद्योगिकीविदों को प्रशिक्षित करने के लिए उत्कृष्टता केन्द्र स्थापित करना चाहती है। सरकार स्वच्छ ऊर्जा विकल्पों के प्रदर्शन और अधिष्ठापन तथा जल उपलब्धता की चुनौती से निपटने के लिए सफल प्रौद्योगिकी समाधानों की दिशा में भी काम कर रही है। ये 21वीं सदी की चुनौतियां हैं और इनके लिए 21वीं सदी के हीसमाधानों की जरूरत है।
राष्ट्रपति ने कहा कि प्रौद्योगिकी हमारी नियति है परंतु प्रौद्योगिकी को समतापूर्ण भी होना चाहिए। इसके फायदे सभी को मिलने चाहिए। वित्त और संसाधन उन सभी प्रौद्योगिकीविदों को उपलब्ध होने चाहिए जो उद्यमी बनना चाहते हैं और जो प्रयोगशाला से निकलकर विनिर्माण क्षेत्र में पहुंचना चाहते हैं। सबसे बढ़कर प्रयास यह होना चाहिए कि लैंगिक समता को प्रौद्योगिकी उत्पादन और प्रौद्योगिकी साझे के साथ एकीकृत किया जाए। हम चाहते हैं कि हमारे देश की युवतियां पहले से अधिक संख्या में प्रौद्योगिकी और नवान्वेषण के क्षेत्र में प्रवेश करें। जो यहां पहले से कार्य कर रही हैं वे उल्लेखनीय काम कर रही हैं परंतु उनकी संख्या बढ़ाए जाने की आवश्यकता है और यह कार्य जितना जल्दी किया जाए, उतना अच्छा होगा।
यह विज्ञप्ति 1250 बजे जारी की गई।