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भारतीय रक्षा संपदा सेवा, भारतीय दूरसंचार सेवा तथा पी एंड टी भवन निर्माण सेवा के परिवीक्षाधीन अधिकारियों ने राष्ट्रपति से भेंट की

राष्ट्रपति भवन : 11.07.2018

भारतीय रक्षा संपदा सेवा, भारतीय दूरसंचार सेवा तथा पी एंड टी भवन निर्माण सेवा के परिवीक्षाधीन अधिकारियों के अलग-अलग समूहों ने आज (11 जुलाई, 2018) राष्ट्रपति भवन में भारत के राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविन्‍द से भेंट की।परिवीक्षाधीन अधिकारियों को संबोधित करते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि उनकी सेवाएं राष्ट्र सेवा का एक विशाल मंच मुहैया करवाती हैं। वे भिन्न-भिन्‍न क्षेत्रों की महत्वपूर्ण परियोजनाओं का प्रबंधन करेंगे तथा रक्षा और दूरसंचार जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में कार्य करेंगे। कुछ ही नौकरियां में एक ऐसे कार्यालय में कार्य करने का अवसर प्राप्‍त होता है जहां जो भी कार्य किया जाए वह राष्ट्र की सेवा का कार्य होगा।

राष्ट्रपति ने कहा कि प्रयोक्‍ताओं की कुल संख्या के आधार पर हमारे देश में विश्व का दूसरा विशालतम दूरसंचार नेटवर्क है। दूरसंचार क्षेत्र,विशेषकर बेतार वर्ग में तीव्र प्रगति हुई है और आज यह बिजली, सड़क और पानी जैसी प्रमुख बुनियादी सुविधा माना जाता है। यह क्षेत्र तीव्र आर्थिक प्रगति और सामाजिक-आर्थिक विकास का एक महत्वपूर्ण घटक है।भारतीय दूरसंचार सेवा के अधिकारियों की इसमें एक अहम भूमिका है क्योंकि हम विशेषकर, संपर्क से कटे हुए अपने ग्रामीण और सुदूर इलाकों को दूरसंचार के माध्‍यम से जोड़ना चाहते हैं। यह हमारे विकास को समावेशी बनाने के लिए अत्यावश्यक है। भारतीय दूरसंचार सेवा के अधिकारियों का यह दायित्व है कि वे यह सुनिश्चित करें कि हमारे यहां एक समर्थकारी नीति परिदृश्‍य और एक सक्षम लाइसेंसिंग और विनियामक ढांचा मौजूद हो। इसी प्रकार पी एंड टी भवन निर्माण सेवा अधिकारियों का कार्य भी उतना ही महत्वपूर्ण है जिन्हें कार्यालय और रिहायशी परिसरों के निर्माण और रखरखाव का तथा दूरसंचार विभाग और डाक विभाग दोनों में वैद्युत और ढांचागत कार्य की गुणवत्ता और दक्षता सुनिश्चित करनी होती है।

राष्ट्रपति ने कहा कि रक्षा संपदा अधिकारियों को रक्षा भूमि की संपरीक्षा, अतिक्रमण की रोकथाम, भूमि के इष्‍टतम उपयोग तथा भूमि रिकॉर्ड के रखरखाव का प्रमुख कार्य सौंपा जाएगा। उन्हें इन सभी कार्यों को देश में तीव्र शहरीकरण की वास्तविकता की पृष्‍ठभूमि में निपटाना होता है। छावनियां जो स्वतंत्रता से पहले अलग बस्तियां हुआ करती थीं, अब बहुत से राज्यों के शहरी परिदृश्य का हिस्सा बन चुकी हैं तथा इस प्रकार हमारे शहरों की समस्याओं से संबंधित बुनियादी सुविधाओं से जुड़ी समस्‍याओं से अछूती नहीं है। उन्हें इस असलियत का मुकाबला करना होगा और संभावित हालात से निपटना होगा।

यह विज्ञप्ति 1225 बजे जारी की गई।