Back

भारत के राष्ट्रपति ने ‘जेएसएस अकैडमी ऑफ़ हायर एजुकेशन एंड रिसर्च’ के वरुणा परिसर की आधारशिला रखी

राष्ट्रपति भवन : 11.10.2019

भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द ने आज (11 अक्टूबर, 2019) मैसूरु के वरुणा गाँव में ‘जेएसएस अकैडमी ऑफ़ हायर एजुकेशन एंड रिसर्च’ परिसर की आधारशिला रखी।

इस अवसर पर राष्ट्रपति ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि वरुणा ग्राम में ‘जेएसएस अकैडमी ऑफ हायर एजुकेशन एंड रिसर्च’ का वैश्विक परिसर श्री शिवरात्रि राजेंद्र महास्वामीजी को श्रद्धांजलि स्वरुप स्थापित किया जा रहा है, जिनकी इस वर्ष 104वीं जयंती मनाई जा रही है। उन्होंने कहा कि श्री शिवरात्रि देशिकेंद्र महास्वामीजी ने श्री सुत्तूर मठ द्वारा शिक्षा पर ध्यान केन्द्रित रखे जाने को अत्यधिक प्रोत्साहन दिया। ‘जेएसएस अकैडमी ऑफ हायर एजुकेशन एंड रिसर्च’ की स्थापना 2008 में हुई थी और आज इसे स्वास्थ्य विज्ञान के एक प्रतिष्ठित संस्थान के रूप में जाना जाता है। उन्होंने विश्वास जताया कि जेएसएस अकैडमी के इस नए ‘वैश्विक परिसर’ से संस्थान को शिक्षा के क्षेत्र में और योगदान देने में सहायता मिलेगी।

देश में मौजूद स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों की ओर इशारा करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि हमने इतने वर्षों में बहुत कुछ हासिल किया है। फिर भी, विकास के मार्ग में स्वास्थ्य हमारे लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती बना हुआ है। एक देश के रूप में, हमें संक्रामक, गैर-संक्रामक और नए तथा उभरते रोगों के तिहरे बोझ की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। कुपोषण और उष्णकटिबंधीय क्षेत्र की उपेक्षित बीमारियां हमारे लिए भारी संकट उत्पन्न करती हैं। हमें स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच में सुधार करने की आवश्यकता है।

राष्ट्रपति ने कहा कि साफ़-सफाई और स्वच्छता हमारे स्वास्थ्य संबंधी कई मुद्दों और बीमारियों से निपटने के लिए मूलभूत आवश्यकता है। स्वच्छता और स्वास्थ्य के लिए एक राष्ट्रव्यापी क्रांति पहले से ही चलाई जा रही है। हमें इसे जारी रखना है और हर गुजरते दिन के साथ इसे और मजबूत करते जाना है। महात्मा गांधी, हमने अभी-अभी जिनकी 150वीं जयंती मनाई है, को यह हमारी श्रद्धांजलि होगी।

राष्ट्रपति ने कहा कि हमारी स्वास्थ्यगत चुनौतियाँ हमारे सामाजिक-आर्थिक क्षेत्र की व्यापक चुनौतियों से जुड़ी हुई हैं। अपनी स्वास्थ्यगत चुनौतियों का सामना करने के लिए हमें अपने समाधानों को व्यापक और बहु-आयामी बनाने की आवश्यकता है। हमारे समाधानों में आधुनिक चिकित्सा और पारंपरिक ज्ञान दोनों की ही शक्ति का उपयोग किया जाना चाहिए। इस प्रक्रिया में, मन और शरीर दोनों पर ध्यान दिया जाना चाहिए और रोकथाम तथा उपचार दोनों ही पर बल दिया जाना चाहिए।