भारत के राष्ट्रपति ने विश्व-भारती के वार्षिक दीक्षान्त समारोह को संबोधित किया
राष्ट्रपति भवन : 11.11.2019
भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द आज (11 नवंबर, 2019) शांतिनिकेतन में विश्व-भारती के वार्षिक दीक्षान्त समारोह में शामिल हुए और सभा को संबोधित किया।
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि विश्व-भारती, गुरुदेव के विश्व के साथ संवाद करते भारत के दर्शन का साकार रूप है। उन्होंने इसे "विचारों के परिपाक" के स्थान के रूप में विकसित किया। यहां भारतीय लोकाचारों में बद्ध-मूल रहते हुए, सम्पूर्ण विश्व की संस्कृतियों का स्वागत किया गया। हमें विश्वभारती के इस अनूठेपन के महत्व को समझने और पूरी दुनिया के समक्ष इसे गर्व के साथ प्रस्तुत करने की आवश्यकता है। यह वही स्थान है, जहाँ टैगोर वास करते और कार्य करते हुए उन्होंने अपने सपनों को साकार किया। उन्होंने कहा कि विश्व भारती के ख्यातिलब्ध पूर्व छात्रों में इंदिरा गांधी से लेकर सत्यजीत रे और अमर्त्य सेन तक कई प्रतिष्ठित व्यक्तित्व शामिल हैं, जिन्होंने न केवल अपने संस्थापक के स्वप्नों को बहुत हद तक पूरा किया बल्कि स्वतंत्र भारत को जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में नई ऊंचाइयों तक ले जाने में भी योगदान दिया।
राष्ट्रपति ने कहा कि एक ऐसे समय में, जब प्रायः शिक्षार्थियों को रोबोट की तरह सिखाने का पात्र समझा जाता था, वहां विश्व-भारती की स्थापना शिक्षाशास्त्र के विशाल मरूस्थल में किसी मरूद्यान की तरह थी। इस मरूद्यान में, टैगोर ने हमें ऐसे तरीके से जीना सिखाया था, जिससे मानव अपनी अन्तरात्मा की प्यास बुझाने योग्य हो। इस उद्देश्य के लिए, उन्होंने न केवल दर्शन, साहित्य या इतिहास जैसे विषयों के माध्यम से छात्रों की बुद्धि को प्रशिक्षित करने की, अपितु संगीत और चित्रकारी तथा ललित कलाओं के माध्यम से उनकी अंतरात्मा को जागृत करने की भी आवश्यकता महसूस की। व्यावहारिक आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए, कृषि अध्ययन को भी स्थान दिया गया था। यही कारण था कि शांति के वास-स्थान ‘शांतिनिकेतन’ के साथ, उन्होंने समृद्धि के वास-स्थान ‘श्री निकेतन’ में ग्रामीण पुनर्निर्माण और ग्राम कल्याण को इतना अधिक महत्व दिया।