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भारत के राष्ट्रपति महाराष्ट्र के रत्नागिरी स्थित आम्बडवे गांव में डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर स्मारक पहुंचे

राष्ट्रपति भवन : 12.02.2022

भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द आज (12 फरवरी, 2022) महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले के आम्बडवे गांव (डॉ. बी आर आंबेडकर का पैतृक गांव) पहुंचे, जहां उन्होंने डॉ. बी आर आंबेडकर के अस्थि कलश का पूजन किया और भगवान बुद्ध, डॉ. आंबेडकर, श्रीमती रमाबाई आंबेडकर, और रामजी आंबेडकर को श्रद्धा-सुमन अर्पित किए।

इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि 7 नवंबर का दिन, महाराष्ट्र के विद्यालयों में, विद्यार्थी-दिवस के रूप में मनाया जाता है। सन 1900 में, 7 नवंबर को ही, बाबासाहब ने विद्यालय में दाखिला लिया था। उन्होंने महाराष्ट्र सरकार के इस प्रयास की सराहना की और कहा कि बाबासाहब से जुड़ा हर कार्यक्रम हमें करुणा-युक्त व समतामूलक समाज की परिकल्पना को साकार करने के लिए प्रेरित करता है। उन्होंने कहा कि शिक्षा के प्रति बाबासाहब आंबेडकर के लगाव को स्मरणीय बनाने हेतु पूरे देश में 7 नवंबर को विद्यार्थी-दिवस के रूप में मनाने पर भी विचार किया जा सकता है।

आम्बडवे गांव को 'स्फूर्ति-भूमि' का नाम दिए जाने का उल्लेख करते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि अनेक क्षेत्रों में पूरी ऊर्जा के साथ आजीवन योगदान देने वाले बाबासाहब के इस पैतृक गांव को ‘स्फूर्ति-भूमि’ का नाम दिया जाना सर्वथा उपयुक्त है।‘स्फूर्ति-भूमि’ के आदर्श के अनुरूप पूरे देश के प्रत्येक गांव में समरसता, सौहार्द और समानता पर आधारित ऐसी समाज व्यवस्था होनी चाहिए जैसी बाबासाहब की परिकल्पना थी।

राष्ट्रपति को यह जानकर प्रसन्नता हुई कि दलित इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (DICCI) ने खादी एवं ग्रामोद्योग निगम, डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर टेक्निकल यूनिवर्सिटीऔर बैंक ऑफ बड़ौदा के सहयोग से आम्बडवे गाँव को आत्मनिर्भर बनाने के लिए विभिन्न पहल की हैं। साथ ही इस संगनठन के द्वारा जून 2020 में निसर्ग चक्रवात से प्रभावित ग्रामीणों के लिए राहत कार्य चलाए जा रहे हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इस गांव में छोटे उद्यमों को बढ़ावा देकर लोगों को आत्मनिर्भर बनाने का यह सामूहिक प्रयास परिवर्तनकारी सिद्ध होगा तथा यहां के लोगों के जीवन में अच्छा बदलाव आएगा।उन्होंने कहा कि इसी प्रकार भारत के अन्य ग्रामीण अंचलों में भी विकास और आत्मनिर्भरता का प्रसार होना चाहिए। जब हमारे गांव आत्मनिर्भर होंगे तभी सही अर्थों में आत्मनिर्भर भारत के निर्माण का संकल्प पूरा होगा।

राष्ट्रपति ने कहा कि बाबासाहब स्वरोजगार के समर्थक थे। उन्होंने स्टॉक और शेयर्स के व्यापार में सलाहकार के रूप में व्यवसाय करने के लिए एक फर्म की स्थापना की थी। सी.पी.डबल्यू.डी. के टेंडरों में वंचित लोगों की हिस्सेदारी की मांग करते हुए उन्होंने सन 1942 में वायसराय लिनलिथगो को ज्ञापन दिया था। अपनी व्यापक सामाजिक व राजनैतिक जिम्मेदारियों के कारण वे अपने उद्यमी पक्ष को समय नहीं दे सके। बाबासाहब द्वारा तैयार किए गए संविधान की व्यवस्था में आज प्रत्येक वर्ग के युवाओं को हर क्षेत्र में आगे बढ़ने के अवसर उपलब्ध हैं।