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भारत के राष्ट्रपति ने राष्ट्रपति भवन में 48वें राज्यपाल सम्मेलन में राज्यपालों/उपराज्यपालों को संबोधित किया

राष्ट्रपति भवन : 12.10.2017

भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द ने आज (12 अक्तूबर, 2017) राष्ट्रपति भवन में 48वें राज्यपाल सम्मेलन का उद्घाटन किया। सम्मेलन में राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के सत्ताईस राज्यपालों और तीन उपराज्यपालों ने भाग लिया। दादर और नगर हवेली तथा दमन और दीव और लक्षद्वीप के केंद्रशासित प्रदेशों के प्रशासकों ने विशेष आमंत्रितों के रूप में सम्मेलन में भाग लिया।

अपने उद्घाटन संबोधन में, राष्ट्रपति ने कहा कि इस सम्मेलन में भाग लेकर राज्यपालों और उपराज्यपालों को महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार-विमर्श करने तथा अपने-अपने राज्यों के अनुभवों को बांटने का अवसर प्राप्त हुआ है। उन्होंने कहा कि राज्यपाल केंद्रीय सरकार और राज्यों के बीच सेतु की भूमिका निभाते हैं। संविधान के संरक्षण और अनुपालन तथा लोगों की सेवा और कल्याण के लिए स्वयं को प्रतिबद्ध करने का राज्यपालों के दायित्व को सहकारी संघीयवाद के मौजूदा उदाहरण में और बड़ा स्थान दिया गया गया है।

राष्ट्रपति ने कहा कि 2022 में स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे होने के संदर्भ में महत्वपूर्ण उद्देश्य और राष्ट्रीय लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं। यह अवधि केवल पांच वर्ष दूर है और भारत सरकार ने एक ऐसे समाज के निर्माण का संकल्प लिया है जो सुरक्षित और सुदृढ़, समृद्ध होगा और हमने सभी के लिए अवसर सुनिश्चित किए है तथा यह विज्ञान और प्रौद्योगिकी में अग्रणी है। इस कार्य के विशाल आकार को देखते हुए, यह आवश्यक हो गया है कि संपूर्ण देश एक ही मंच पर एकजुट होकर कार्य करे। 2017से 2022 तक के पांच वर्ष एक ऐसे नए भारत के निर्माण के लिए समर्पित है जो भ्रष्टाचार, गरीबी, निरक्षरता, कुपोषण और स्वच्छताहीन परिस्थितियों से मुक्त होगा। इसी प्रकार, अग्रणी पीढि़यों के लिए एक मजबूत नींव भी स्थापित की जाएगी। इस राष्ट्रीय लक्ष्य को हासिल करने के लिए एक ही दिशा में ‘टीम इंडिया’ के आगे बढ़ने की गति को सुनिश्चित करने के लिए, राज्यपालों को अपने-अपने राज्यों के सभी संबंधित भागीदारों को प्रेरित करना चाहिए और उनसे जुड़ना चाहिए।

राष्ट्रपति ने कहा कि युवाओं को राष्ट्रनिर्माण की प्रक्रिया के साथ जोड़ना अत्यावश्यक है। देश का भविष्य युवाओं की क्षमताओं, नैतिक मूल्यों और सहृदयता पर निर्भर है। राज्यों के स्तर पर, उच्च शिक्षा और कौशल विकास की ओर विशेष ध्यान देना होगा। ऑटोमेशन और आर्टीफिशियल इंटेलिजेंस की चुनौतियों को देखते हुए यह विशेष रूप से उपयुक्त है। राष्ट्रपति ने ध्यान दिलाया कि देश के 69 प्रतिशत विश्वविद्यालय राज्य सरकारों के अंतर्गत है और कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के 94 प्रतिशत विद्यार्थी इन संस्थानों में पढ़ाई करते हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि प्रौद्योगिकी अत्यधिक कठिन और दीर्घकालिक लक्ष्यों तक पहुंचने में मदद कर सकती है और सभी नागरिकों तक श्रेष्ठ जनसेवाओं तक पहुंच सुनिश्चित करने में सहायता करती है। उन्होंने और अधिक विश्वसनीय नागरिकों पर जोर दिया और व्यक्तियों द्वारा दस्तावेजों का स्वयं सत्यापान और पासपोर्ट प्राप्त करने की आसान प्रणाली के उदाहरण दिए। उन्होंने राज्यों के स्तर पर इन युक्तियों के अनुकरण का आग्रह दिया क्योंकि नागरिकों का अधिकतर संपर्क सरकारी एजेंसियों के साथ राज्यों के स्तर पर होता है।

राष्ट्रपति ने कहा कि अपने राज्यों की विधान संबंधी प्रणाली का अभिन्न अंग होने के कारण राज्यपाल विधायकों के साथ बातचीत करके और जनकल्याण से संबंधित विषयों पर विचार-विमर्श के लिए उन्हें राजभवन आमंत्रित करके अपने राज्यों के विकास को एक नया आयाम प्रदान कर सकते हैं। राज्यों के विश्वविद्यालयों के कुलाधिपतियों और कुलपतियों, शिक्षाविदों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और अन्य प्रबुद्ध और जागरूक नागरिकों के साथ संपर्क स्थापित करके राज्यपाल विचार-विमर्श और संवाद की गुणवत्ता बढ़ा सकते हैं और समाज तथा राज्य सरकार को गति प्रदान कर सकते हैं।

राष्ट्रपति ने यह आशा व्यक्त करते हुए अपनी बात समाप्त की कि इस सम्मेलन से केंद्र सरकार और राज्य नागरिकों विशेषकर युवाओं के हित में मिलकर कार्य करने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि प्रत्येक राज्य के विकसित होने पर ही एक विकसित भारत का सपना साकार होगा। उद्घाटन सत्र में भाग लेने वालों में उपराष्ट्रपति; प्रधानमंत्री; विधि और न्याय तथा इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रोद्योगिकी मंत्री; स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री; कृषि और किसान कल्याण मंत्री; मानव संसाधन विकास मंत्री; पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस तथा कौशल विकास और उद्यमिता मंत्री; रेल और कोयला मंत्री; पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय के राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार), आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय के राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) तथा नीति आयोग के उपाध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी शामिल थे।

दो दिवसीय सम्मेलन में विभिन्न सत्रों के दौरान प्रमुख कार्य सूची मुद्दों पर विचार-विमर्श किया जाएगा। प्रारंभिक सत्र का विषय ‘नया भारत - 2022’ था। सम्मेलन के प्रथम सत्र को भारत के प्रधान मंत्री, श्री नरेन्द्र मोदी ने संबोधित किया। नीति आयोग के उपाध्यक्ष, डॉ. राजीव कुमार द्वारा नये भारत 2022 के पहलुओं पर एक प्रस्तुति भी दी गई।

दूसरा सत्र ‘राज्यों में उच्चतर शिक्षा’ तथा ‘युवाओं को रोजगार योग्य बनाने के लिए कौशल विकास और उद्यमशीलता’ विषय पर है। तीसरा सत्र 13 अक्तूबर, 2017 को होगा, राज्यपाल अपने-अपने राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों से संबंधित किसी भी विशेष मुद्दे पर संक्षिप्त उद्बोधन देंगे। समापन सत्र में संबंधित संयोजकों द्वारा विचार-विमर्शों पर एक संक्षिप्त रिपोर्ट प्रस्तुत की जाएगी।

यह विज्ञप्ति 1310 बजे जारी की गई