भारत के राष्ट्रपति ने जैव प्रौद्योगिकी विभाग और ‘वेलकम ट्रस्ट’ के बीच भागीदारी की 10 वीं वर्षगांठ के समारोह को सम्बोधित किया
राष्ट्रपति भवन : 12.11.2018
भारत के राष्ट्रपति, श्री रामनाथ कोविन्द ने नई दिल्ली में आज (12 नवंबर, 2018) विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग और वेलकम ट्रस्ट के बीच भागीदारी की 10वीं वर्षगांठ के समारोह में भाग लिया और उसे संबोधित कियाl
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि जैव प्रौद्योगिकी विभाग तथा वेलकम ट्रस्ट की भागीदारी का एक दशक पूरा हुआ है और यह अवसर इंडिया अलायन्स के लिए अगले चरण की अपनी प्राथमिकता तय करने का उपयुक्त समय है।आज, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के माध्यम से, मनुष्य जाति के पास हमारे ग्रह का भविष्य बनाने की अकल्पनीय शक्ति आ गई हैlइसलिए अब हमारी जिम्मेदारी पहले से कहीं अधिक हो गई है।और वैज्ञानिक, विशेष रूप से जैव-वैज्ञानिक, हमारी धरती, हमारी प्रजातियों और हमारे भविष्य की संरक्षा के युद्ध में हमारे सैनिक और सेनापति की भूमिका में हैंl
राष्ट्रपति ने इस युद्ध में चार मोर्चों पर काम करने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि पहला मोर्चा पर्यावरण हैlहमारी वायु, जल और मिट्टी को साफ़ रखा जाना जरूरी हैlऐसा करते हुए, हमें मानव जाति और पशुधन की सेहत पर होने वाले दुष्परिणामों का शमन करना होगाlदूसरा मोर्चा जीवन शैली संबंधी रोगों का हैlमधुमेह, हाइपरटेंशन और ह्रदय रोग की समस्याएं बढ़ रही हैl 1990 के बाद की इस चौथाई शताब्दी में, मधुमेह पीड़ित भारतीयों की संख्या 26 मिलियन से बढ़कर 65 मिलियन हो गईlइसी अवधि में, सभी प्रकार के कैंसरों में लगभग 30% की वृद्धि हुई हैlतीसरा मोर्चा संक्रामक बीमारी का हैlजहां हम ज्ञात संक्रामक बीमारियों से सचेत रहते हैं, वहीं अल्प ज्ञात बीमारियों के विस्तार का खतरा बढ़ जाता हैlविज्ञान की तरह ही रोगों की भी कोई सीमा नहीं होतीlमहामारी के रूप में इनफ्लुएंजा वायरस को फैलने के लिए पासपोर्ट और वीजा की आवश्यकता नहीं होतीlदूसरी ओर, पशु पर्यावासों के कम होते जाने से पशु जनित बीमारियों और एक से दूसरी प्रजाति में फैलने वाली बीमारियों की गुंजाइश पैदा हो रही हैlअंतिम मोर्चा, मस्तिष्क के रोगों का हैlशहरी तनाव और विशाल उम्र दराज आबादी जैसे कारकों से भारत को मानसिक स्वास्थ्य महामारी का सामना करना पड़ रहा हैl हमारी अनुवांशिकी और जीवन शैली के लिए प्रासंगिक निवारक उपाय जो अभी सिद्धांत के तौर पर ही देखे जा रहे हैं, अन्वेषण की प्रतीक्षा में हैंl अगर हमारे लोगों को पूरी मानसिक क्षमताओं के साथ बढ़ती उम्र का सामना करना है तो हमें इनका अन्वेषण करना ही होगाl
राष्ट्रपति ने इंडिया अलायंस का भविष्य इन चार मोर्चों पर तय करने की अपील कीlउन्होंने कहा कि हम आज जहां आसमान छूती उम्मीदों की दहलीज पर खड़े हैं,वहीं भारी अनिश्चितता के मुहाने पर भी खड़े हैंlप्रयोक्ता अनुकूल और सटीक दवा; जिनोमिक दवा; प्रयोगशाला में तैयार अंग; क्लिनिकल शोध के लिए डेटा उपयोग के साथ-साथ तर्क संगत डेटा गोपनीयता और व्यापक लोकहित जैसे मुद्दे-हमारी निरोगता के लिए अच्छी संभावनाएं पेश कर रहे हैं, लेकिन ये मुद्दे बायोएथिकल कशमकश के साथ-साथकानूनी प्रश्न भी खड़े कर सकते हैंlइससे हटकर लेकिन इससे संभवत: प्रासंगिक विषय विनियमन और नीति तैयार करने का हैlभारत में, विभिन्न क्षेत्रों में, हमने कभी-कभी चिकित्सकों और नियामकों के बीच सोच या दृष्टि का अंतरपाया हैl जैसे-जैसे जीवविज्ञान बढ़ता और विकसित होता जा रहा है, अधिक से अधिक चिकित्सकों को विनियामक की भूमिका में आना चाहिए।
यह विज्ञप्ति 1840 बजे जारी की गईl