राष्ट्रपति कोविन्द ने यंगून में सभा को संबोधित किया; ऐसी परियोजनाओं के लिए भारत की प्रतिबद्धता जताई जिससे म्यांमार की प्राथमिकताओं, एक स्थिर पड़ोस और स्थानीय समुदायों के विकास को बढ़ावा मिले; राष्ट्रपति ने म्यांमार में रहने वाले आईएनए के पूर्व सैनिकों का अभिनन्दन भी किया
राष्ट्रपति भवन : 12.12.2018
भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द, म्यांमार की राजकीय यात्रा के दूसरे दिन,आज (12 दिसंबर, 2018), दोपहर यंगून पहुंचे।बाद में, उन्होंने म्यांमार में भारत के राजदूत श्री विक्रम मिसरी द्वारा आयोजित स्वागत समारोह में बड़े पैमाने पर आए भारतीय मूल के लोगों और भारतीय प्रवासी जनों की एक सभा को संबोधित किया।
इस अवसर पर, राष्ट्रपति ने कहा कि भारत की "एक्ट ईस्ट"और "नेबरहुड फर्स्ट" नीतियों में भारत के पड़ोसी क्षेत्रों को प्राथमिकता दी गई है, और म्यांमार दोनों ही रूपों में प्राथमिकता के केन्द्र में है।इन नीतियों ने भारत को ऐसी दुनिया के अनुरूप ढलने में मदद की है, जिसमें यह प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक है, और यह अपने पड़ोसियों को भी तरक्की और विकास के लिए साझेदारी में शामिल होने में सक्षम बनाता है।अवसर अब केवल व्यापार और निवेश से कहीं आगे, ऊर्जा और विद्युत ग्रिडों, संचार और परिवहन, और लोगों के बीच आपसी संबंधों तक विस्तारित हो गए हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत के विदेश संबंध, विशेष रूप से पड़ोसी देशों के साथ संबंध में विकास सम्बन्धी सहयोग, अब एक महत्वपूर्ण घटक बन गयाहै।भारत बुनियादी ढांचे के निर्माण, क्षमता निर्माण और संस्थानों की स्थापना करके अपनी विशेषज्ञता साझा करता है। राष्ट्रपति ने कहा कि भारत ऐसा इसलिए कर पाता है क्योंकि वह यह मानता है कि एक शांतिपूर्ण, समृद्ध और स्थिर पड़ोसी हर किसी के हित में होता है।ऐसी परियोजनाओं को लागू करते समय, भारत का दृष्टिकोण अपने सहयोगियों की प्राथमिकताओं - कानून का शासन और सुशासन सुनिश्चित करने; पारदर्शिता पर जोर देने; स्थानीय समुदायों को कौशल और प्रौद्योगिकियों का स्थानांतरण करने की प्रतिबद्धता रखने; परियोजनाओं को पर्यावरण और सामाजिक रूप से जिम्मेदार बनाया जाना सुनिश्चित के अनुरूप होता है; और सबसे महत्वपूर्ण बात यह सुनिश्चित करने की है कि ऐसी परियोजनाओं का बोझ असाध्य न हो। राष्ट्रपति ने कहा कि ये नियम किसी उत्तरदायी परियोजना विकास के आवश्यक मानदंड होते हैं और उन्हें खुशी है कि भारत-म्यांमार द्विपक्षीय सहयोग इन मानदंडों अनुसार तैयार किया गया है।
राष्ट्रपति ने नोट किया कि म्यांमार लोकतंत्र, शांति और आर्थिक विकास की दिशा में एक साथ कई परिवर्तनों से गुज़र रहा है।एक सहयोगी लोकतंत्र और एक सभ्यतागत मित्र के रूप में, भारत म्यांमार के सामने आने वाली चुनौतियों से पूरी तरह अवगत है।पिछले 70 वर्षों में, भारत ने ऐसी शासन व्यवस्था और संरचना स्थापित की है जिससे विविधता के बावजूद राष्ट्रीय प्रगति का ध्येय पूरा हो पा रहा है।एक अच्छे पड़ोसी की इसी सहयोग भावना से भारत म्यांमार को राष्ट्रीय सुलह, पुनर्निर्माण और आर्थिक विकास के मुद्दों के समाधान के लिए किसी भी प्रकार की सहायता प्रदान करने के लिए तैयार है।
इससे पहले राष्ट्रपति ने यंगून में शहीदों के मकबरे पर श्रद्धांजलि अर्पित कर अपना यहां का कार्यक्रम आरम्भ किया।उन्होंने पूज्य श्वेदागों पगोड़ा का भी दौरा किया।इसके बाद, उन्होंने यंगून में रहने वाले आज़ाद हिन्द फौज के नौ जीवित पूर्व सैनिकों से मुलाकात की और उन्हें सम्मानित किया।उनमें से सबसे बुज़ुर्ग, श्री के.ए.पेरुमल की आयु लगभग 90 वर्ष है।
आज सुबह, राष्ट्रपति ने म्यांमार की राजधानी, ने पि तॉ से यंगून के लिए प्रस्थान किया।राजधानी में अपने कार्यक्रम समाप्त करने के बाद, राष्ट्रपति ने येज़िन कृषि विश्वविद्यालय में एडवांस्ड सेंटर फॉरएग्रीकल्चरल रिसर्च एंड एजुकेशन (एसीएआरई) का दौरा किया।वहां, उन्होंने उन भारतीय प्रौद्योगिकी परियोजनाओं का उद्घाटन और समीक्षा की जिनका उद्देश्य म्यांमार में किसानों की सहायता करने का और जो विदेश मंत्रालय के समर्थन से, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा संचालित की जा रही हैं।राष्ट्रपति ने औपचारिक रूप से एक मोबाइल ऐप लॉन्च किया जो किसानों को तकनीकी सहायता उपलब्ध कराता है, इसके साथ-साथ खेत विशेष के रासायनिक विश्लेषण के आधार पर तैयार मृदा स्वास्थ्य कार्ड भी उन्होंने वितरित किए।यह पहली बार है कि म्यांमार में मृदा स्वास्थ्य कार्डों का उपयोग किया जा रहा है।
इसके बाद, राष्ट्रपति ने साथ लगे ‘राइस बायो-पार्क’ का दौरा किया।वहां, विदेश मंत्रालय द्वारा वित्त पोषित एम.एस.स्वामीनाथ नरिसर्च फाउंडेशन धान की पराली और चावल की भूसी सहित, चावल की खेती से उत्पन्न समस्त जैव-स्रोतों के इष्टतम उपयोग और मूल्यसंवर्धन सुनिश्चित करने के लिए एक परियोजना शुरू कर रहा है।धान की पराली और चावल की भूसी को जलाने से प्रदूषण हो सकता है।परियोजना में धान की पराली और चावल की भूसी को काम में लाने के लिए वैकल्पिक और लाभप्रद तरीकों का प्रयोग किया जाता है जिससे मवेशियों के लिए चारे का उत्पादन, मशरूम उत्पादन को बढ़ावा देने और कागज और खाद बनाने में इनका उपयोगकर लिया जाता है।
कल (13 दिसंबर, 2018),अपनी राजकीय यात्रा के अंतिम दिन, राष्ट्रपति यंगून में पांचवीं इंटरप्राइज इंडिया प्रदर्शनी का उद्घाटन करेंगे।वह शहर के ऐतिहासिक काली मंदिर भी जाएंगे, जो म्यांमार के पूरे भारतीय समुदाय की आस्था का प्रतीक है, साथ हीवे, 1857 के विद्रोह के दौरान जन नायक की भूमिका में रहे बहादुर शाहजफर के मक़बरे पर भी श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे।
यह विज्ञप्ति 1925 बजे जारी की गई।