राष्ट्रपति भवन में 19 केन्द्रीय उच्चतर शिक्षा संस्थानों के कुलपतियों, निदेशकों और प्रमुखों की एक दिवसीय बैठक की मेजबानी की गई
राष्ट्रपति भवन : 13.07.2018
राष्ट्रपति भवन में आज (13 जुलाई, 2018) 19 केन्द्रीय उच्चतर शिक्षा संस्थानों के कुलपतियों, निदेशकों और प्रमुखों की एक दिवसीय बैठक की मेजबानी की गई। 146 केन्द्रीय विश्वविद्यालयों और उच्चतर शिक्षा संस्थानों के कुलाध्यक्ष के रूप में, केन्द्रीय विश्वविद्यालयों और उच्चतर शिक्षा संस्थानों के प्रमुखों के साथ भारत के राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविन्द की नियमित बातचीत का यह एक हिस्सा है।
जिन संस्थानों के प्रमुखों ने इस बैठक में भाग लिया, वे हैं: केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय; डॉ राजेंद्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय; रानी लक्ष्मीबाई केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय; राष्ट्रीय औषधीय शिक्षा और अनुसंधान संस्थान, अहमदाबाद; राष्ट्रीय औषधीय शिक्षा और अनुसंधान संस्थान, गुवाहाटी; राष्ट्रीय औषधीय शिक्षा और अनुसंधान संस्थान, हाजीपुर; राष्ट्रीय औषधीय शिक्षा और अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद; राष्ट्रीय औषधीय शिक्षा और अनुसंधान संस्थान, कोलकाता; राष्ट्रीय औषधीय शिक्षा और अनुसंधान संस्थान, रायबरेली; राष्ट्रीय औषधीय शिक्षा और अनुसंधान संस्थान, एस ए एस नगर, मोहाली; राजीव गांधी राष्ट्रीय उड्डयन विश्वविद्यालय; फुटवियर डिजाइन एवं विकास संस्थान; नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन; नालंदा विश्वविद्यालय; भारतीय समुद्री विश्वविद्यालय; राष्ट्रीय फैशन प्रौद्योगिकी संस्थान; भारतीय पेट्रोलियम और ऊर्जा संस्थान; राजीव गांधी पेट्रोलियम और प्रौद्योगिकी संस्थान तथा राजीव गांधी राष्ट्रीय युवा विकास संस्थान।
समापन सत्र में, राष्ट्रपति ने कहा कि इन संस्थानों में से प्रत्येक का एक समृद्ध इतिहास रहा है। गरीबी उन्मूलन करने और मध्यम आय वाला देश बनने का भरसक प्रयास कर रहे भारत ने अपने सामने जो सामाजिक और आर्थिक लक्ष्य रखें हैं, उन्हें साकार करने में इनमें से प्रत्येक संस्थान की महत्वपूर्ण भूमिका है।
राष्ट्रपति ने कहा कि इन संस्थानों को अपनी-अपनी विशिष्टताएं विकसित करते हुए एक-दूसरे का सहयोग करना चाहिए और एक-दूसरे से सीखना चाहिए। यह कर पाना उन एक क्षेत्र के संस्थानों के लिए संभव है। यह प्रर्वगों में भी संभव है जो एक ही क्षेत्र में काम कर रहे हैं। सभी श्रेणियों में परस्पर सहयोग और सीख भी संभव है। उन्होंने इन संस्थानों के प्रमुखों का आह्वान किया कि वे, सहयोग के लिए व्यवहार्य और संकेंद्रित योजना बनाएं।
राष्ट्रपति ने इन संस्थानों से आग्रह किया कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में और परे भी देश और विदेश के अन्य विश्वविद्यालयों के साथ साझेदारी करें। उन्होंने कहा कि ज्ञान अलग-अलग प्रयास करने से विकसित नहीं हो सकता इसलिए यह जरूरी है कि हर संस्थान, दूसरों के विकास में सहभागिता करे।
यह विज्ञप्ति 1615 बजे जारी की गई।