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भारत के राष्ट्रपति ने फ़ेडरल काउंसिल ऑफ़ स्विटज़रलैंड को संबोधित किया; उन्होंने कहा कि हर प्रकार के आतंकवाद को परास्त और समाप्त करने के लिए वैश्विक प्रयासों को बढ़ाने में भारत स्विटज़रलैंड की सहायता चाहता है; उन्होंने ‘परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह’ में भारत की सदस्यता के लगातार समर्थन के लिए स्विटज़रलैंड को धन्यवाद दिया

राष्ट्रपति भवन : 13.09.2019

भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द ने आज (13 सितंबर, 2019) स्विस संघ के अध्यक्ष श्री उएली मौरे के साथ बर्न में ‘फ़ेडरल काउंसिल ऑफ़ स्विटज़रलैंड’ को संबोधित किया। ‘फ़ेडरल काउंसिल’ स्विट्जरलैंड का सर्वोच्च कार्यकारी प्राधिकरण है। इसमें सात सदस्य शामिल होते हैं, जो फेडरल असेंबली द्वारा चुने जाते हैं।

राष्ट्रपति कोविन्द ने अपने संबोधन में कहा कि भारत और स्विट्जरलैंड की साझेदारी बहुत आगे बढ़ी है। हमारी पूरक शक्तियां हमें स्वाभाविक साझेदार बनाती हैं। भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था है। हमने 2025 तक 5 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य रखा है। हमारी लगभग 65 प्रतिशत आबादी 35 वर्ष से कम उम्र की है। हमारे युवाओं के पास ‘मशीन-इंटेलिजेंस’ युग को गति देने और चौथी औद्योगिक क्रांति की रूपरेखा तैयार करने की तत्परता, ऊर्जा तथा आत्मविश्वास है। हम अपने जनसांख्यिकीय स्वरूप को जनसांख्यिकीय लाभ में परिवर्तित करने के लिए उन्हें कुशल और सशक्त बना रहे हैं। उन्हें अपनी वृद्धि और समृद्धि का वाहक बनाने में स्विट्जरलैंड के सहयोग पर हमें भरोसा है।

राष्ट्रपति को यह जानकर प्रसन्नता हुई कि भारत और स्विट्जरलैंड के बीच आने वाले सप्ताह में ‘कर मामलों’ पर जानकारी का पहला स्वचालित आदान-प्रदान शुरू होगा। उन्होंने कहा कि यह बहुत ही सकारात्मक घटना है। राष्ट्रपति ने आतंकवाद के साथ ‘कर चोरी’ और मनी लॉन्ड्रिंग के संबंधों को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि आतंकवाद का खतरा आज दुनिया के सामने उपस्थित सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है। उन्होंने कहा कि भारत दशकों से राज्य-प्रायोजित आतंकवाद का शिकार रहा है और चाहता है कि हर प्रकार के आतंकवाद को परास्त और समाप्त करने के वैश्विक प्रयासों को बढ़ाने के लिए उसे स्विट्जरलैंड से समर्थन प्राप्त हो।

राष्ट्रपति ने इस बात पर जोर दिया कि बहुपक्षीय क्षेत्रों में भारत और-स्विट्जरलैंड के संयुक्त प्रयासों को मजबूत करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों को समकालीन दुनिया की वास्तविकताओं को प्रतिबिंबित करने की आवश्यकता है। ऐसा करके ही वे प्रभावी भूमिका निभाते रह सकते हैं। उन्होंने भारत को ‘परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह’ की सदस्यता प्राप्त होने की दिशा में लगातार समर्थन देते रहने के लिए स्विट्जरलैंड को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि भारत जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए स्विट्जरलैंड के साथ मिलकर काम करने के लिए प्रतिबद्ध है। भारत को यह भी आशा है स्विट्जरलैंड ‘अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन’ में शामिल होगा।

आज (13.09.2019) बाद में, राष्ट्रपति अपने समकक्ष के साथ शिष्टमंडल स्तरीय वार्ता का नेतृत्व करेंगे, इनके समक्ष सहमति-पत्रों/समझौतों पर हस्ताक्षर किये जाएंगे और वे भारत-स्विट्जरलैंड के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों के व्यापार मंच को संबोधित करेंगे। शाम को स्विट्जरलैंड के राष्ट्रपति द्वारा आयोजित भोज में भी वे शामिल होंगे।

इसी बीच, कल शाम (12 सितंबर, 2019), राष्ट्रपति ने बर्न में भारतीय समुदाय और ‘फ्रेंड्स ऑफ इंडिया’ के स्वागत समारोह में भाग लिया, जिसकी मेजबानी स्विट्जरलैंड में भारत के राजदूत, श्री सिबी जॉर्ज द्वारा की गई थी। उपस्थित समुदाय को संबोधित करते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि भारत को अपने जीवंत और विविधता से परिपूर्ण प्रवासी भारतीय समुदाय पर पर गर्व है जिन्होंने पूरे विश्व में सम्मान अर्जित किया है। स्विटज़रलैंड में हमारे प्रवासी भारतीयों में फ़ेडरल और केंटोनल पार्लियामेंट के सदस्य, कई कंपनियों के सीईओ और वरिष्ठ कार्यकारी, वरिष्ठ सरकारी अधिकारी, प्रफेसर, डॉक्टर, इंजीनियर और मेडिकल पेशेवर शामिल हैं। स्विट्जरलैंड के प्रमुख विश्वविद्यालयों में भारतीय छात्रों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है। वे सभी ऐसा माध्यम बन रहे हैं जिससे हमारे दोनों देश एक-दूसरे के करीब आ रहे हैं। उन्होंने दोनों देशों के लोगों के बीच बढ़ते सांस्कृतिक जुड़ाव के लिए भारतीय दूतावास और ‘इंडियन एसोसिएशन्स इन स्विट्जरलैंड’ की सराहना की।