राष्ट्रपति भवन में 48वां राज्यपाल सम्मेलन संपन्न हुआ
राष्ट्रपति भवन : 13.10.2017
राष्ट्रपति भवन में आज (13 अक्तूबर, 2017) दो दिवसीय 48वां राज्यपाल सम्मेलन संपन्न हुआ।
अपनी समापन टिप्पणी में भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द ने सम्मेलन में राष्ट्रीय महत्व के मसलों पर विचारों के आदान-प्रदान पर संतुष्टि जताई।
राष्ट्रपति ने कहा कि राज्यपाल युवा पीढ़ी को दिशा दे सकते हैं और छात्रों और शिक्षकों के साथ लगातार संपर्क में रहने से देश के भविष्य को आकार देने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। वे नवोन्वेष केन्द्रों के रूप में विकास के लिए अपने राज्यों में विश्वविद्यालयों को प्रेरित कर सकते हैं। राज्यपालों की भूमिका जनताजनीय क्षेत्रों में शिक्षा और विकास सुनिश्चत करने में और भी अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है।
राष्ट्रपति ने कहा कि राज्यों और राज्यपालों को अपने समकक्षों के साथ अपने सफल कार्यक्रमों के बारे में सूचना को साझा करना चाहिए। राज्यों के बीच उपलब्धियों और समस्याओं पर विचार-विमर्श कोऑपरेटिव फेडरेलिज्म को नए आयाम देंगे।
राष्ट्रपति ने कहा कि सम्मेलन के दौरान स्वच्छता, पर्यावरण, ऊर्जा संरक्षण और व्यर्थ व्यय को कम करने संबंधी मामलों के बारे में उपयोगी अनुभव साझा किए जाएं। अनेक राजभवनों को विरासती भवनों का स्तर दिया गया। उन्होंने राजभवनों के विरासती स्तर को कायम रखते हुए ‘ग्रीन बिल्डिंग’ और ‘स्मार्ट बिल्डिंग’ के विशिष्ट लक्षणों को शामिल करने का आग्रह किया।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत तभी एक विकसित देश के रूप में उभरेगा जब प्रत्येक राज्य का विकास होगा। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि राज्यपाल और उपराज्यपाल अपने-अपने राज्यों के विकास को नई दिशा देने में महत्वपूर्ण योगदान देंगे।
भारत के उप-राष्ट्रपति, भारत के प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, विदेश मंत्री और रक्षा मंत्री ने भी आज सम्मेलन को संबोधित किया। इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि राज्यपाल बदलाव की प्रक्रिया में प्रेरणादायक और मददगार के रूप में कार्य कर सकते हैं। इसका वास्तविक उद्देश्य आम नागरिक की सेवा करना और यह सुनिश्चित करना है कि विकास का लाभ लोगों तक पहुंचे।
सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि हमारे देश में विचारों, संसाधनों और क्षमताओं का कोई अभाव नहीं है। उन्होंने कहा कि राज्यपाल सरकार द्वारा की गई पहलों को बेहतर करने में मदद कर सकते हैं। उन्होंने राष्ट्रीय अखण्डता की दिशामें सुविचारित प्रयास करने पर भी बल दिया ।
केन्द्रीय गृह मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि राज्यपाल केन्द्र और राज्यों के बीच सेतु का कार्य कर सकते हैं। राज्यपाल विश्वास निर्माण के उपायों को मजबूत करने के लिए योगदान दे सकते हैं ताकि लोकतांत्रिक प्रणाली में लोगों के विश्वास को बनाया रखा जा सके।
दिन की शुरूआत में राज्यपालों ने अपने-अपने राज्यों से संबंधित विशेष मसलों पर संक्षिप्त टिप्पणियां दीं। 12 अक्तूबर, 2017 में हुए ‘नया भारत 2022 की अवसंरचना’, ‘नया भारत 2022 के लिए लोक सेवाएं’ और ‘राज्यों में उच्चतर शिक्षा और कौशल विकास’-पर भी आज प्रस्तुतीकरण दिए गए।
राज्यों का सम्मेलन उतना ही पुराना है जितनी हमारी स्वाधीनता है। राज्यपालों का पहला सम्मेलन राष्ट्रपति भवन में 1949 में आयोजित किया गया जिसकी अध्यक्षता श्री सी. राजागोपालाचारी, भारत के गवर्नर जनरल ने की। तबसे राष्ट्रपति भवन में ऐसे 48 सम्मेलन आयोजित किए जा चुके हैं।
यह विज्ञप्ति 1815 बजे जारी की गई