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राष्ट्रपति ने वीडियो संदेश के माध्यम से 60वें एनडीसी पाठ्यक्रम के समापन समारोह को संबोधित किया

राष्ट्रपति भवन : 13.11.2020

भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द ने कहा कि विश्व की वर्तनाम स्थिति ऐसी बनी हुई है कि प्रत्येक देश के समक्ष अनेक चुनौतियां आकर खड़ी हो गई हैं। निर्णय लेने वालों को राष्ट्रीय हितों के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय उद्देश्यों को भी इस प्रकार ध्यान में रखना है कि दोनों में अनुकूलन और बहु उद्देश्‍यता का समावेश रहे। वे आज (13 नवंबर, 2020) वीडियो संदेश के माध्यम से 60वें एनडीसी पाठ्यक्रम के समापन समारोह को संबोधित कर रहे थे।

राष्ट्रपति ने कहा कि कुछ देशों द्वारा विस्तारवाद की नीति अपनाए जाने के कारण विश्व स्तर पर रणनीतिक और परिपक्व प्रतिक्रिया की आवश्यकता उत्पन्न हो गई है। इसे ध्‍यान में रखते हुए कहा जा सकता है कि एनडीसी ऐसी अनेक चुनौतियों से निपटता है और भविष्य के लिए बहुआयामी भू-सामरिक और भू-राजनीतिक वातावरण को समझने के लिए अपने पाठ्यक्रम के प्रतिभागियों को समाधान उपलब्ध कराता है।

राष्ट्रपति ने कहा कि एनडीसी ने न केवल हमारे सशस्त्र बलों और लोक सेवाओं के वरिष्ठ अधिकारियों को ही, बल्कि विदेशी मित्र-देशों को भी अपने-अपने राष्ट्रीय उद्देश्यों और लक्ष्यों से संबंधित नीतिगत निर्णय लेने में सहायता करने योग्‍य कौशल और ज्ञान प्रदान किया है। सभी प्रतिभागियों के लिए इस पाठ्यक्रम में जो सुविस्‍तृत पाठ्य-विवरण उपलब्ध कराया जाता है,वह स्पष्ट रूप से एक सुरक्षित विश्‍व के विचार के अनुरूप प्रशिक्षण और ज्ञान प्रदान करने के उद्देश्य से निर्मित है। किन्तु बेहतर सुरक्षित विश्‍व की परिकल्पना केवल तभी की जा सकती है जब हम इसे मानवता के प्रति सबसे वीभत्स अभिशाप अर्थात् आतंकवाद से मुक्त रख सकें। दुनिया के विभिन्न देश इसके प्रकोप का सामना कर रहे हैं और इस कारण यह अब अंतर्राष्ट्रीय महत्व का मुद्दा बन गया है। यूरोपीय देशों में हत्याओं की हालिया घटनाओं की निंदा शब्दों में कर पाना कठिन है। इन घटनाओं से हमें यह समझ जाना चाहिए कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के सामूहिक प्रयासों के माध्यम से आतंकवाद के किसी भी रूप या अभिव्यक्ति को जड़ से मिटाने की आवश्यकता है।

कुछ दिन पहले एनडीसीमें स्‍थापित की गई ‘राष्ट्रीय सुरक्षा पर राष्ट्रपति उत्कृष्टता पीठ का उल्‍लेख करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि इस महान संस्था की ‘हीरक जयंती’ मनाने का यही सबसे सही उपयुक्‍त तरीका है। उन्होंने आशा जताई कि इस पीठ के माध्यम से भारत की इस सामरिक शिक्षण संस्था के बौद्धिक और शैक्षणिक मानक और समृद्ध बनेंगे।