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राष्ट्रपति कोविन्द ने यंगून में एंटरप्राइज इंडिया प्रदर्शनी का उद्घाटन किया; ऐतिहासिक श्री काली मंदिर के दर्शन किए और बहादुर शाह जफर के मकबरे पर श्रद्धांजलि अर्पित की

राष्ट्रपति भवन : 13.12.2018

भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द ने म्यांमार की राजकीय यात्रा के अंतिम दिनआज (13 दिसंबर, 2018) यंगून में पांचवीं एंटरप्राइज़ इंडिया प्रदर्शनी का उद्घाटन किया।

इस अवसर पर, राष्ट्रपति ने कहा कि म्यांमार और भारत घनिष्‍ठ पड़ोसी हैं लेकिन हमारी व्यापार और निवेश साझेदारी बहुत अधिक नहीं है। हालांकि, व्यापार का विस्तार करने, संयुक्त उद्यम तैयार करने और एक-दूसरे की तरक्की और विकास में निवेश करने के कई अवसर मौजूद हैं।राष्ट्रपति ने खुशी जाहिर की कि एंटरप्राइज़ इंडिया शो ने म्यांमार में व्यापार साझेदारों, स्टार्ट-अप उद्यमों, इनक्‍यूबेटरों वालों और ग्राहकों को सर्वश्रेष्ठ भारतीय उत्पादों, सेवाओं, नवाचारों और कार्यविधि से अवगत कराया है।उन्होंने शो के आयोजन में भारतीय उद्योग परिसंघ और म्यांमार फेडरेशन ऑफ चेंबर ऑफ कॉमर्स के प्रयासों की सराहना की।

राष्ट्रपति ने कहा भारतीय विकास गाथा में अवसंरचना,अत्याधुनिक उत्पादों और सेवाओं तथा डिजिटल रूप से संचालित विकल्पों फिनटेक से बायोटेक तक, के मामले में म्यांमार के समक्ष प्रस्तुत करने के लिए बहुत कुछ है।उन्होंने नोट किया कि म्यांमार मानव और प्राकृतिक संसाधनों में समृद्ध है। विशेष रूप से ऊर्जा, दूरसंचार, बैंकिंग, बीमा और स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्रों में, यदि सही विनियामक वातावरण तैयार किया जाता है, तो यहाँ हर प्रकार का निवेश आने की वजह मौजूद है। इस संबंध में, उन्होंने कहा कि म्यांमार में निवेश और विदेशी आर्थिक संबंध के एक अलग मंत्रालय का गठन एक स्‍वागत योग्‍य कदम है।

इससे पहले राष्ट्रपति ने यंगून में ऐतिहासिक श्री काली मंदिर के दर्शन के साथ दिन का अपना कार्यक्रम आरम्भ किया।मंदिर करीब 150 साल पुराना है और म्यांमार में भारतीय मूल के संपूर्ण समुदाय के लिए एकता का प्रतीक है।इसके बाद राष्ट्रपति 1857 के विद्रोह के समय के जननायक, बहादुर शाहजफर के मकबरे गए। उन्होंने मज़ार में एक मोमबत्ती जलाकर अपना सम्मान प्रदर्शित किया।2006 में डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के बाद, राष्ट्रपति कोविन्द मकबरे की यात्रा करने वाले भारत के दूसरे राष्ट्रपति बने।

शाम को, राष्ट्रपति ने यंगून में साझा द्विपक्षीय विरासत के प्रतीक धम्म ज्योति विपश्यना ध्यान केन्‍द्र की यात्रा के साथ म्यांमार की अपनी राजकीय यात्रा का समापन किया।भारत की सर्वाधिक प्राचीन ध्‍यान तकनीकों में से एक है-विपश्यनाऔर म्यांमार के भिक्षुओं और साधकों द्वारा इसे संरक्षित रखा गया है। ऐसा माना जाता है कि यह तकनीक म्यांमार से भारत वापस आ गई है।

यह विज्ञप्ति 1655 बजे जारी की गई।