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भारत के राष्ट्रपति ने कानपुर में अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन ‘एग्रीकोन 2018’ और एग्रीएक्सपो 2018’ का उद्घाटन किया

राष्ट्रपति भवन : 14.02.2018

भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द ने आज (14 फरवरी, 2018) चन्द्रशेखर आजाद कृषि विश्वविद्यालय, कानपुर में अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन ‘एग्रीकोन 2018’ और ‘एग्रीएक्सपो 2018’ का उद्घाटन किया।

इस अवसर पर, राष्ट्रपति ने कहा कि भारत जैसे विशाल देश में, अलग-अलग क्षेत्रों के किसानों की समस्याएं अलग-अलग हैं। हमें उनकी जरूरतों के अनुसार समाधान खोजने होंगे। पानी की समस्या एक आम समस्या है। सरकार ने इस बारे में ‘प्रति बूंद,अधिक फसल’ (Per drop, more crop) की अवधारणा को बढ़ावा दिया है और यह संदेश देश के प्रत्येक किसान तक पहुंचना चाहिए।

राष्ट्रपति ने आधुनिक कृषि के प्रति मिले-जुले नजरिए की वकालत की और कहा कि अन्न उत्पादन, डेयरी फार्मिंग, पशुपालन और मछली पालन, मुर्गीपालन, बागवानी और रेशमकीट पालन को इसका हिस्सा बनाए जाने की आवश्यकता पर जोर दिया। किसानों को बेहतर कीमत दिलाने और उनकी उपज के प्रति बेहतर बसाव के लिए खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को भी प्रोत्साहित किए जाने की आवश्यकता है।

राष्ट्रपति ने कहा कि यह याद रखा जाना चाहिए कि जब भी देश से कोई कृषि आधारित उत्पाद निर्यात किया जाता है तो उससे भारत का नाम जुड़ा होता है। इसलिए, गुणवत्ता के साथ कोई समझौता नहीं किया जा सकता। ऐसे उत्पादों की मांग को टिकाऊ बनाए रखने के लिए गुणवत्ता कायम रखनी होगी और जनता का भरोसा होना चाहिए कि उत्पादन अंतरराष्ट्रीय स्तर का है।

राष्ट्रपति ने कहा कि वर्तमान समय में ‘जय जवान,जय किसान’का नारा पहले से ज्यादा प्रासंगिक हो गया है। जहां हमारी सेना वीरतापूर्वक आतंवादियों से लड़ रही है और हमारी सीमाओं और राष्ट्र को सुरक्षित रखने के लिए निरंतर प्रयास कर रही है,वहीं देश के किसान देश की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पसीना बहा रहे हैं। सरकार,जवानों और किसानों दोनों को सशक्त करने के लिए पूरी निष्ठा के साथ कार्य कर रही है।

दोपहर के बाद, राष्ट्रपति ने वीएसएसडी कॉलेज, कानपुर में ‘‘बैरिस्टर नरेन्द्रजीत सिंह स्मृति व्याख्यान’’ दिया।

जन समूह को संबोधित करते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि न्याय में देरी का नुकसान गरीबों को बहुत ज्यादा होता है। ऐसी देरी को समाप्त करने के लिए, हमें न्यायिक सुधारों का निरंतर प्रयास करना चाहिए। उन्होंने कहा कि उन्हें यह जानकर खुशी हुई है कि बहुत से उच्च न्यायालय लंबे समय से लटके हुए मामलों को तेजी से निपटाने के लिए प्रभावी कदम उठा रहे हैं।

यह विज्ञप्ति 1430 बजे जारी की गई