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झारखंड में भारत के राष्ट्रपति ने राज्य के स्थापना दिवस समारोह को संबोधित किया

राष्ट्रपति भवन : 15.11.2017

भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द ने आज (15 नवम्बर, 2017) रांची में, झारखंड राज्य के स्थापना दिवस के वार्षिक समारोह में भाग लिया और संबोधन किया। उन्होंने इस अवसर पर विभिन्न कल्याण और विकासात्मक परियोजनाओं का उद्घाटन किया और उनकी आधारशिला रखी।

सभा को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने राज्य के गठन की 17वीं वर्षगांठ पर झारखंड के लोगों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि स्थापना दिवस समारोह में उपस्थित लोगों के उत्साह को देखते हुए, वे भूतपूर्व प्रधानमंत्री, श्री अटल बिहारी वाजपेयी की अभिकल्पना की बड़ी सराहना करते हैं, जिन्होंने झारखंड राज्य की स्थापना का निर्णय लिया।

राष्ट्रपति ने स्वतंत्रता सेनानी बिरसा मुंडा, जिनकी जन्म जयंती भी आज मनाई गई थी, सिद्दो-कान्हू, चांद-भैरव, तिलकामांझी, नीलांबर-पीतांबर और जयपाल सिंह मुंडा, 1928 के ओलंपिक हॉकी कैप्टन और भूतपूर्व सांसद सहित झारखंड के दिग्गज नायकों को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि इन लोगों ने समानता और न्याय पर आधारित एक समाज का सृजन करने में अपना जीवन समर्पित कर दिया। राष्ट्रपति ने कहा कि हम सबको एक राष्ट्र निर्माण और एक झारखंड निर्माण की प्रतिज्ञा लेनी चाहिए, जहां प्रत्येक व्यक्ति बिरसा मुंडा द्वारा देखे गए सपनों के अनुसार समानता और खुशहाली का अनुभव करेगा।

राष्ट्रपति ने कहा कि प्रकृति ने झारखंड को देश के खनिज संसाधनों के 40 प्रतिशत से नवाजा है। यह उद्योग के विकास के लिए प्रचुर अवसर प्रदान करता है। उन्होंने इस बात पर खुशी व्यक्त की कि झारखंड अच्छा कार्य कर रहा है और देश के राज्यों में से इसकी दूसरी उच्चतम वृद्धि दर है। श्रम सुधार के क्षेत्र में, इसने पिछले दो वर्षों में सबसे उच्च स्थान प्राप्त किया है। 2014 में ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ के मायने में निम्न रैंक से अब झारखंड की बेस्ट राज्यों में गिनती होती है।

इससे पहले राष्ट्रपति ने ‘धरती एबा’ बिरसा मुंडा की प्रतिमा के समक्ष श्रद्धा व्यक्त करके रांची में अपने कार्यक्रमों की शुरुआत की।

उसके बाद दिन में राष्ट्रपति ने रांची में परम हंस योगानंद की पुस्तक ‘गॉड टाक्स विद अर्जुन’ - द भगवद गीता’ के हिंदी अनुवाद की प्रथम प्रति प्राप्त की। उन्होंने यह प्रति श्रीमती द्रोपदी मुरमु, झारखंड की राज्यपाल से प्राप्त की जिन्होंने औपचारिक रूप से इस पुस्तक का विमोचन किया था।

इस अवसर पर राष्ट्रपति ने योगदा सतसंग सोसायटी और इसके साथ जुड़े हुए लोगों को पूरे विश्व में योग का संदेश फैलाने के लिए उनके शानदार योगदान के लिए बधाई दी। उन्होंने सोसायटी के आश्रम और समाज कल्याण क्रिया-कलापों में ध्यान केंद्रों की सेवा की भी सराहना की।

यह विज्ञप्ति 1630 बजे जारी की गई