भारत के राष्ट्रपति ने एम्स के 45वें दीक्षांत समारोह को संबोधित किया; उन्होंने कहा कि आयुर्विज्ञान समाज के लाभ के लिए है, समाज से आयुर्विज्ञान को लाभ नहीं कमाना चाहिए।
राष्ट्रपति भवन : 16.01.2018
भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द ने आज (16जनवरी, 2018 ) नई दिल्ली में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के45वें दीक्षांत समारोह में भाग लिया और उसे संबोधित किया।
इस अवसर पर, राष्ट्रपति ने कहा कि एम्स एक राष्ट्रीय उत्कृष्ट केंद्र है। यह चिकित्सा अनुसंधान और स्वास्थ्य देखभाल में देश के लिए एक आदर्श है। एम्स गुणवत्ता, प्रतिबद्धता और गहरे अनुभव का पर्याय बन चुका है। संकाय और चिकित्सक तथा वास्तव में विद्यार्थी हमारे चिकित्सा समुदाय और हमारे राष्ट्र का गौरव हैं।
राष्ट्रपति ने स्नातक बने विद्यार्थियों को सलाह दी कि वे एक ऐसी दुनिया में कदम रख रहे हैं,ऐसी दुनिया जिसमें पहले से ज्यादा उनकी सेवाओं की आवश्यकता है। उन्हें याद रखना चाहिए कि उन्हें समाज में योगदान करना है। उन्होंने कहा कि यह सच है कि उनकी शैक्षिक श्रेष्ठता,चिकित्सीय कौशल और उनकी विशेषज्ञता के लिए उन्हें उचित पुरस्कार मिलना चाहिए। तथापि डॉक्टरों के तौर पर उनकी सेवाएं,उनकी फीस वहन करने वालों और गरीब और असमर्थ दोनों तरह के लोगों को मिलनी चाहिए। रोग अमीर-गरीब में भेद नहीं करता परन्तु दुर्भाग्यवश गरीबों को सबसे अधिक कष्ट भुगतना पड़ता है। आयुर्विज्ञान समाज के लाभ के लिए है न कि समाज आयुर्विज्ञान के लाभ के लिए है।
हमारे देश में डॉक्टरों की कमी की ओर ध्यान दिलाते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि डॉक्टरों को और अधिक सहकर्मियों के रूप में मदद की जरूरत है। इसलिए हमें अपने समाज में डॉक्टरों और चिकित्सा पेशेवरों की उपलब्धता बढ़ाने के लिए एक नई नियामक प्रणाली की आवश्यकता है। इसके अभाव में, हमारे डॉक्टरों पर बहुत अधिक कार्यभार है।
राष्ट्रपति ने कहा कि वर्तमान में, हमारे चिकित्सा कॉलेजों में चाहे व सरकारी या निजी सस्थानों द्वारा संचालित हों,लगभग 67000स्नातक और 31000स्नातकोत्तर सीटें हैं।1.3 अरब लोगों के देश में,यह बहुत ही अपर्याप्त है। हमें उन नियामक बाधाओं और स्वार्थी समूहों पर नियंत्रण करना है जो हमारे देश में श्रेष्ठ चिकित्सा शिक्षा के विकास को रोकते हैं। इसमें हमें प्रतिवर्ष लोगों की जरूरतों के मुकाबले बहुत कम चिकित्सा स्नातक और स्नातकोत्तर उपलब्ध होते हैं। इसी वजह से प्रतिभावान चिकित्सा विद्यार्थी अन्य देशों के कॉलेजों में प्रवेश का प्रयास करते हैं क्योंकि देश में उनके लिए कम विकल्प होते हैं। सामान्यत: यह सही नहीं है। एक राष्ट्र के रूप में,हमें तत्काल इस स्थिति पर ध्यान देना होगा। हमें चिकित्सा को अपना रोजगार बनाने वाले युवाओं के लिए और अवसर पैदा करने होंगे।
यह विज्ञप्ति 1400 बजे जारी की गई