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भारत के राष्ट्रपति ने राष्ट्रीय भू-वैज्ञानिक पुरस्कार प्रदान किए

राष्ट्रपति भवन : 16.05.2018

भारत के राष्‍ट्रपति, श्री रामनाथ कोविन्‍द ने आज (16 मई, 2018) को नई दिल्ली में राष्ट्रीय भू-विज्ञान पुरस्कार प्रदान किए।

इस अवसर पर, राष्ट्रपति ने कहा कि भारत विश्व की सबसे तेजी से बढ़ रही प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में शामिल है। हमारा सकल घरेलू उत्पाद और विकास की हमारी वृहत्‍तर प्रक्रिया आने वाले दशकों में और तेज होने जा रही है। अर्थव्यवस्था के इस विस्तार के परिणाम-स्वरूप खनन और खनिज क्षेत्र के बढ़ने की संभावना है। साथ ही, यह आर्थिक विस्तार का प्रेरक भी बनेगा। हम जैसे-जैसे अधिक से अधिक शहर और मकान तथा वाणिज्यिक केन्‍द्र तथा अत्याधुनिक ढांचागत सुविधाओं का निर्माण करेंगे वैसे-वैसे प्मुख संसाधनों का हमारा प्रयोग भी बढ़ेगा। जैसा कि सभी को विदित है, भारत में बहुत से संसाधनों और वस्तुओं का प्रति व्यक्ति उपभोग अभी भी वैश्विक मानकों से बहुत कम है और यहां इसके बढ़ने की काफी गुंजाइश है। इसके लिए सतत, पर्यावरण अनुकूल संसाधन सृजन के लिए उच्च गुणवत्ता पूर्ण अनुसंधान पहलों तथा खनन क्षेत्र में प्रौद्योगिकी नवाचार में सार्थक निवेश की जरूरत होगी।

भारत के राष्ट्रपति ने कहा कि इसीलिए सरकार ने पिछले 4 वर्ष के दौरान खनन क्षेत्र में सुधार को बढ़ावा दिया है। इन सुधारों में मौजूदा कानूनों में संशोधन तथा रॉयल्टियों की एक अधिक समतापूर्ण व्‍यवस्‍था की स्‍थापना शामिल है और इन सुधारों के परिणाम मिलने शुरू हो गए हैं। अनेक खनिज ब्लॉकों की खोज की जा रही है। खान मंत्रालय द्वारा उठाए गए कदमों से राज्‍यों में नीलामी के लिए संभावनापूर्ण खनिज ब्लॉकों की पहचान हुई है। इन उपायों से हमारे राज्यों की वित्तीय सेहत बढ़ने तथा संसाधनों के खनन के फायदे जनता तक पहुंचाने में सफलता मिलेगी। अंततोगत्वा खनिज संसाधनों की खोज, निष्कर्षण और विकास का लाभ स्थानीय समुदाय को ही मिलना चाहिए।

राष्ट्रपति ने कहा कि हाल के वर्षों में हमारे भूवैज्ञानिक समुदाय से सामाजिक अपेक्षाएं काफी बढ़ गई हैं। भू निर्मिति आयामों की गहरी समझ से युक्‍त भूवैज्ञानिकों की,कृषि पैदावार और किसानों की आय बढ़ाने,स्‍मार्ट सिटी पहल को एक मजबूत आधार प्रदान करने तथा एक भीषण समस्या के रूप में उभर रही जल की कमी की चुनौती से लड़ने में हमारे नागरिकों की मदद करने में एक अहम भूमिका है। इन सभी से हमारे प्रतिभावान और मेहनती भू-वैज्ञानिकों के कंधों पर भारी जिम्मेदारी आ जाती है। उन्होंने विश्‍वास व्यक्त किया कि वे हमारे देश और हमारी जनता की सेवा में अपने ज्ञान और तकनीकी कौशल का प्रयोग करते रहेंगे।

यह विज्ञप्ति 1230 बजे जारी की गई।