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राष्ट्रपति ने कहा कि यह देश के प्रत्येक व्यक्ति का कर्त्तव्य है कि हमारे बच्चों को भारत का एक बेहतर नागरिक बनाने के अवसर और अनुभव प्रदान करे

राष्ट्रपति भवन : 16.10.2017

भारत के राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविन्द ने आज (16 अक्तूबर, 2017) राष्ट्रपति भवन में श्री कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रन्स फाउंडेशन द्वारा आयोजित ‘सुरक्षित बचपन-सुरक्षित भारत’ के लिए भारत यात्रा के समापन समारोह में भाग लिया और उसे संबोधित किया।

इस अवसर पर, राष्ट्रपति ने कहा कि वह मानते हैं कि यदि एक बच्चा असुरक्षित रहता है तो समस्त समाज दोषी है। इसलिए ‘सुरक्षित बचपन-सुरक्षित भारत’ के लिए यह यात्रा हमारे राष्ट्र के बच्चों के लिए सुरक्षित वातावरण प्रदान करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। इस यात्रा के उद्देश्यों से जुड़ना और एक बेहतर भारत का नागरिक बनाने के अवसर और अनुभव बच्चों को प्रदान करना देश के प्रत्येक व्यक्ति का कर्त्तव्य है।

राष्ट्रपति ने कहा कि श्री कैलाश सत्यार्थी लगभग 40 वर्षों से बच्चों के अधिकारों के क्षेत्र में योगदान कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें ज्ञात है कि 85000 से अधिक बच्चों को श्री सत्यार्थी के प्रयासों द्वारा अत्याचारों से बचाया गया है। उन्हें शैक्षिक अवसर प्रदान किए गए हैं और उन्हें नए सिरे से अपना जीवन आरंभ करने में सहायता मिली है।

राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे देश के बच्चों के अधिकार सुनिश्चित करने के लिए नीतियां और कानून मौजूद हैं। तथापि सम्पूर्ण समाज की जागरूकता और संवेदनशीलता के द्वारा ये अधिकार सुनिश्चित किये जा सकते हैं। दक्षिण से लेकर उत्तर तक के करोड़ों लोगों को भारत यात्रा के जरिए इस मुद्दे के बारे में जागरूक किया गया है।

राष्ट्रपति ने कहा कि देश को यह सुनिश्चित करने के लिए एकजुट हो जाना चाहिए कि प्रत्येक बच्चा स्वस्थ और सुरक्षित होकर शिक्षा प्राप्त करे तथा स्वतंत्रता और सम्मान के साथ अपनी पूरी क्षमता को साकार करे। श्री कैलाश सत्यार्थी का यह फाउंडेशन सदैव इन उद्देश्यों को हासिल करने का प्रयास करता रहा है। उन्होंने फाउंडेशन और इससे जुड़े लोगों की सराहना की। उन्होंने आशा व्यक्त की कि हम मिलकर एक ऐसे भारत का निर्माण करेंगे जहां बच्चों के यौन शोषण और अवैध मानव व्यापार के लिए कोई जगह न हो।

इस अवसर पर, नोबेल पुरस्कार विजेता श्री कैलाश सत्यार्थी ने कहा कि ‘सुरक्षित बचपन-सुरक्षित भारत’ के लिए भारत यात्रा बच्चों के यौन शोषण, बलात्कार और अवैध व्यापार के विरुद्ध एक अहिंसक युद्ध था। उन्होंने कहा कि अब बच्चों की आवाज को और नहीं दबाया जा सकता। उन्होंने आग्रह किया कि इस वर्ष दीवाली पर, सभी बच्चों की सुरक्षा के नाम पर एक दीया जलाएं।

इस अवसर पर, राष्ट्रपति ने एक प्रतीकात्मक दीपक - ‘बाल सुरक्षा ज्योति’ को भी प्रज्वलित किया। आयोजन स्थल पर एक फोटो प्रदर्शनी और एक लघु फिल्म दिखाई गई जिनमें भारत यात्रा की एक झलक थी।

यह विज्ञप्ति 1825 बजे जारी की गई